मानसिक विकास के बिना बाल संरक्षण संभव नहीं: चीफ जस्टिस मलिमठ
सिद्धार्थ पांडेय
जबलपुर २६ अगस्त ;अभी तक ; बाल संरक्षण के लिए राज्य स्तरीय परामर्ष के लिए दो दिवसीय “विमर्श” नाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम का षुभांरभ करते हुए मध्य प्रदेष हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानसिक विकास के बिना बाल सरंक्षण संभव नहीं है। अस्वस्थ मस्तिक ही षरीरिक स्वास्थ में गिरावट का मुख्य कारण है।
दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन मध्य प्रदेष हाईकोर्ट,मप्र राज्य न्यायिक अकादमी,मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, यूनिसेफ एवं प्रदेष सरकार के संयुक्त तत्वान में किया गया। मप्र राज्य अकादमी में आयोजित कार्यक्रम को उद्प्रज्वलन के साथ किया। उन्होने कहा कि बच्चे की सुरक्षा का दायरा काफी बडा है। बाल संरक्षण को आम तौर पर बच्चे का शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कल्याण तथा पुनर्वास और प्रभावी ढंग से किशोर न्याय अधिनियम का पालन करना समझते है।
कानून के उद्देश्यों की प्राप्ती तभी संभव है,जब बच्चे की मानसिक भलाई सुनिश्चित की जाये। इस क्षेत्र के कुषल परामर्शदाता और चिकित्सक निश्चित रूप से बच्चों के जीवन में बदलाव ला सकते हैं। यह जिम्मेदारी राज्य सरकार व उन संस्थाओं की जो इस क्षेत्र में कार्य करती है। कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लक्ष्य को प्राप्त करना है।
उन्होने सुझाव दिया कि सरकारी एजेन्सी को स्कूल व कॉलेज में परामर्शदाताओं और चिकित्सकों की नियुक्ति पर विचार करना चाहिए। माता-पिता का भी दायित्व है कि वह बच्चों को परामर्षदताओं व चिकित्साकों के पास लेकर जाये। स्कूलों में ऐसा किया जाता है तो अपराध से पीडित बच्चों के लिए लाभदायक होगा जो घर पर अपने विचार साज्ञा करने में असहज होते है। बच्चे की मानसिक भलाई उसके जीवन को सुरक्षित करती है।
इस अवसर पर हाईकोर्ट जज तथा किषोर न्याय समिति के सदस्य जस्टिस आनंद पाठक ने कहा कि यह कार्यक्रम का उद्देष्य केवल तंत्र पर ध्यान केन्द्रित करना नही है। बच्चों की सुरक्षा संबंधित मुद्दों के साथ-साथ भविष्य की चुनौतियाँ पर विचार करना है। समृद्ध वर्ग समाज के लोगों को स्कूलों में जाकर बच्चों के साथ खुद को शामिल करना चाहिए। बच्चों के लिए असुरक्षित स्थानों में भी जाकर उनसे बात करनी चाहिए।
गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेष राजोरा तथा यूनिसेफ की मुख्य फिल्ड अधिकारी सुश्री मार्गरेट ग्वाडा ने कार्यक्रम को संबोधित किया।