बाढ से बिगडे हालात ; क्षेत्रीय विघायक बोले ऐसी बारिश पिछले सौ साल में नहीं देखी गयी
मयंक शर्मा
खंडवा २० जुलाई ;अभी तक; भाजपा के मांधाता विधायक नारायण पटेल ने बताया कि मंगलवार बुधवार कर दरम्यिानी रात बदल फटने से पुनासा क्षेत्र मेेे जोरदार बारिश हुई। ऐसी बारिश पिछले कई दशको में भी नहीं हुई।
जिले के पुनासा ब्लाक की अजनाल और कावेरी नदी तक उफान पर आ गई थीं। नदी किनारे के गांवों में सैकड़ों घर जलमग्न हो गए। राहत एवं बचाव कार्यों को लेकर दो दिनो से कलेक्टर, एसडीएम और पूरा प्रशासन लगा है। हालात भयावह है। नुकसानी के आकलन में ही तीन दिन का समय लगेगा। क्षेत्रीय विधायक नारायण पटेल ने पीडितो को भरोसा दिया है कि आकलन कर नुकसान की भरपाई की जाएगी।
अजनाल, कावेरी और अन्य सहायक नदियों का पानी नर्मदा में मिलता है। पुनासा क्षेत्र के सारे गांव ओंकारेश्वर डैम के बैक वॉटर से जुड़े हैं, इसलिए इन नदियों का पानी ओंकारेश्वर डैम में जाकर मिला। ओंकारेश्वर डेम के जल विद्युत गृह (पावर हाउस) के 8 टरबाइन चलाकर 1896 क्यूसेक पानी निकाला जा रहा है। पुनासा के गांवों में बाढ़ के हालातों को नियंत्रित करने का भरोसा दिया था लेििकन गेट नहीं खोले गए। सिर्फ पावर हाउस के टरबाइन चलाकर पानी छोड़ा गया।
कांग्रेस नेता उत्तमपाल सिंह कहते हैं कि इतने कम समय में इतना ज्यादा पानी आया कि तबाही मच गई। दर्जनों गांव में हालात बहुत खराब हैं। इसे तो बादल फटने की घटना मान सकते हैं। अटुट गांव में मकान, अनाज, मवेशी और बकरी बह गए। रिछफल गांव में बड़े-बड़े डंपर 100-100 मीटर दूर पेड़ों पर अटके मिले। सोच सकते हैं कि किस स्तर का पानी आया होगा।
उधर बुधवार को प्रभावित पुनासा क्षेत्र में रिछफल, धमनगांव, गुर्जरखेड़ी, अटूटखास, आवलिया, खुटला, देवला सहित खंडवा जनपद के ग्राम कालमुखी, आमोदा, जुलवानिया, पिपलिया ग्रामों में भी नुकसानी हुई है। रनगांव-कोलगांव के पास एक निर्माणाधीन सड़क टूट गई।
अटूट क्षेत्र के लोगों ने मुआवजे की मांग को लेकर सनावद हाईवे पर बुधवार को चक्काजाम किया।अटूटखास के भूरिया अटोदे ने कहा कि पानी इतना तेज था कि भैंस बह गई। टप्पर और चद्दर भी पानी में चले गया। यहां तक कि परिवार ने घर की छत पर रात गुजारी। खतरनाक बाढ़ थी। मैं घर में फंसा था। छत पर बैठे परिवारवालों के पास तक नहीं जा सका। डर, सहम कर रात गुजारी और दिन निकाला। हम लोग तो मरते-मरते बच गए। जीवन में पहली बार ऐसी बरसात देखी।
पूर्व कांग्रेस सांसद अरुण यादव ने जिला प्रशासन से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस बाढ़ से रिछफल, धमनगांव, गुर्जरखेड़ी एवं अन्य क्षेत्रों में काफी नुकसान हुआ है। मकान ढह गए हैं। करीब दो हजार एकड़ से अधिक की कपास एवं अन्य फसलों को नुकसान हुआ है।
मांधाता के पूर्व विधायक ठाकुर राजनारायण सिंह पुरनी ने प्रभावित इलाकों का जायजा लिया। आवलिया पहुंचकर प्रभावित राजू पिता लक्ष्मण व सुनील पिता धनसिंह को त्वरित पांच हजार की सहायता राशि दी। इसी तरह ग्राम देवला में प्रभावित इलाके में 3 क्विंटल गेहूं दिया। अटुट पहुंचकर प्रभावितों की आर्थिक मदद की।
प्रभावित ग्राम के एक पीडित ने बारिश के हालात को लेंकर मीडियाकर्मिया के समक्ष जो बंया किया उससे रोंगटे खडे हो जाना सामान्य है उसने यूं कहा कि……………..हम लोग नींद में थे। तड़के 3 बज रहे होंगे। अचानक तेज बारिश से टीन-टप्पर बजने लगे। इतने में नींद खुल गई। उठे तो चारों तरफ अंधेरा था। जमीन पर पैर रखा, तो पानी ही पानी। मोबाइल टॉर्च की रोशनी से देखा, तो घर के अंदर-बाहर सब जगह पानी भरा था। बाहर निकले तो पड़ोसी भी जाग चुके थे। जैसे-तैसे अनाज को सुरक्षित किया। सुबह के 7 बज गए थे। अचानक घरों की दीवारें धंसने लगी। आंखों के सामने हमारा आशियाना उजड़ गया।
अटूटखास गांव की बड़ा टांडा बस्ती में रहने वाले इस आदिवासी पीडित भूरिया ने आगे कहा किं मंगलवार की रात में बादल फटने जैसी बारिश हुई। अजनाल नदी की बाढ़ में कई कच्चे घर उजड़ गए।पक्के मकानों में कीचड़ भर गया। खेतों में फसलें बह गईं। गृहस्थी और मवेशी बह गए। सनावद-मूंदी स्टेट हाईवे हो या फिर सनावद-पुनासा स्टेट हाईवे- दोनों सड़कों पर कई किलोमीटर में साइड धंस गई है। अटूटखास से जलवा की ओर निकले, तो दैत फाटा के पास अजनाल नदी के बड़े पुल पर लोहे की रेलिंग धंसी मिली। पास में ही बिजली के ट्रांसफर टूटकर बह गए। बुजुुर्ग किसान तुलसीराम ने कहा कि ऐसी बारिश कभी नहीं देखी, ऐसा लग रहा था कि बादल फट गए हों।
ग्राम की गंगाबाई नायक ने कहा कि गृहस्थी का सारा सामान बाढ़ में बह गया। घर की दीवार पर 32 इंच की एलईडी टीवी लगी थी। दो कोठियों में गेहूं भरा था। दीवारें टूटीं तो एलईडी पानी में बह गई। कोठियों से थोड़ा-बहुत अनाज निकाल सके। बाकी बह गया। खटिया, बिस्तर और कूलर तो मिट्टी में दब गए। दो बकरियां थीं, वो भी बह गईं। मकान समेत डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
ग्राम की ही कविताबाई ने कहा कि कच्चा मकान था। सरकार हम जैसे गरीबों को कुटीर कहां देती है? बरसात का पानी घर के किचन को लांघ गया। मकान की एक दीवार भी गिर गई है। फसलें खराब हो गई हैं, तो समझो हमारी धाकड़ी (रोजगार) भी चली गई। अब सरकार के लोग थोड़ी बहुत आर्थिक सहायता हम तक पहुंचा दें, तो मेहरबानी होगी।अंकित सिंह तोमर ने बताया कि रात 2 बजे से डेढ़ घंटे तक तेज बारिश हुई। इस पानी ने इतनी तबाही मचाई कि धरों में चार से पांच फीट तक पानी था। 10 एकड़ खेत में कपास की फसल खड़ी थी। पानी ने फसल बहा दी। खेत को एक फीट खोदकर मिट्टी भी बहा ले गया। खेत में फसल ढूंढना तो दूर उसका पत्ता भी नहीं मिल पाएगा।