भागवत कथा पूर्णाहुति पर इंद्रदेव ने किया सुबह से ही अपना आगमन, ग्रामीणों में छाई खुशी की लहर

महावीर अग्रवाल

मंदसौर २१ अगस्त ;अभी तक;  दलोदा ग्राम बनी तहसील दलौदा जिला मंदसौर के समस्त ग्राम वासियों के द्वारा भगवान से पर्याप्त वर्षा की मनोकामना को लेकर श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन नाहरसिंह माता मंदिर पर किया गया श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिवस में इंद्र देव भगवान ने सुबह से ही किया आगमन निरंतर बारिश से ग्राम वासियों में छा गई खुशी की लहर बड़ी संख्या में ग्राम वासियों के द्वारा भागवत कथा पंडाल के अंदर एकत्रित होकर श्रीमद् भागवत महापुराण के लगाएं जय कारें पूरे ग्राम वासियों के द्वारा भगवान श्री कृष्ण ठाकुर जी का एवं व्यास पीठ पर विराजित भागवताचार्य पंडित श्री मुकेश शर्मा नारायण जी का भव्य स्वागत सम्मान किया।

                      इस भागवत गंगा के गांव में आने से जो कृपा भगवान ने बरसाई है ऐसी कृपा भगवान की सदैव हम भक्तों की ऊपर बनीरहे श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिवस में पंडित श्री नारायण जी के द्वारा कहा गया यदि हमारे जीवन में मित्र बनाना हो तो ऐसा मित्र बनाओ जो हो भक्त सुदामा की तरह अपना जीवन जीता हो पूर्ण रूप से स्वाभिमान के साथ एवं अपने मित्र को सदैव भक्ति के मार्ग पर चलना सिखाए ऐसा ही मित्र इंसान के जीवन में होना चाहिए जो निरंतर आपके मनुष्य जीवन को भक्ति के मार्ग से जोड़ने का प्रयास करें एवं मित्र ऐसा हो जिसके मन में कोई छल कपट के भाव ना हो किसी गलत मार्ग पर वह ना चलता हो ऐसा ही मित्र हमारे जीवन में होना चाहिए मित्र वही सच्चा कहलाता है जो अपने मित्र के सुख से अधिक दुख के समय में साथ निभाना का प्रयास करता है वही सच्चा मित्र कहलाता है श्रीमद्
भागवत कथा के सातवें दिवस में पंडित श्री नारायण जी ने भगवान श्री कृष्णा
एवं भक्त सुदामा की भक्ति का सुंदर वर्णन करते हुए कहा भक्त सुदामा के
भाग्य में गरीबी भगवान की लीला से आई थी क्योंकि भगवान संसार को बताना
चाहते थे इंसान को अपनी गरीबी में भी अपनी सच्ची भक्ति के ऊपर से विश्वास
कम ना करना चाहिए जिसका विश्वास पूर्ण रूप से संकल्पित होता है उसके दुख
का हरण करने के लिए निश्चित भगवान आते हैं जिस प्रकार भक्त सुदामा ने
अपनी इस गरीबी में भी सदैव भगवान की भक्ति को निरंतर कायम रखा एवं अपना पूर्ण जीवन स्वाभिमान से जिया भगवान भक्त सुदामा की अत्यंत गरीबी को देखकर नगर सेठ का रूप अपना कर सुदामा जी की पत्नी सुशीला से विनती करते हैं कि भक्त सुदामा के मित्र तो जगत के पालनहार है सिर्फ एक बार मित्रता का ही मिलन कर ले भक्त सुदामा द्वारकाधीश अपने मित्र भक्त सुदामा का कईवर्षों से कर रहे हैं इंतजार इस विनती को स्वीकार कर भक्त सुदामा अपने
मित्र के लिए उपहार के रूप में कुछ घर से मांगे हुए चावल की पोटली को ले
जाते हैं भगवान श्री कृष्णा स्वयं नाविक का रूप अपना कर भक्त सुदामा को
नदी पार कर द्वारकापुरी नगरी पहुंचाने का कार्य करते हैं अपने द्वार पर
भक्त सुदामा की आने का समाचार सुनकर भगवान श्री द्वारिकाधीश  दौड़े चले
आते हैं अपने मित्र सुदामा को ह्रदय से लगाकर भक्त सुदामा के चरणों को
अपने आंसुओं से धोकर सच्ची भक्ति का मिलन करते हैं अपने भक्त सुदामा की
पोटली के चावल का भोग लगाकर भक्त सुदामा को कई लोको का नाथ बना देते हैं फिर भी भक्त सुदामा अपने राजमहल को त्याग कर कच्ची कुटिया में रहकर ही भगवान की भक्ति को अपना जीवन समर्पित करते हैं अंत समय स्वर्ग को प्राप्त करते हैं श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिवस की आरती प्रसादी विशाल धनोरा विनोद पंपोडिया बद्रीलाल वकतारिया राहुल गरगामा के द्वारा की गई श्रीमद् भागवत कथा के भवय सफल आयोजन पर पंडित श्री नारायण जी के द्वारा समस्त आयोजन समिति के सदस्यों का स्वागत सम्मान किया समस्त जानकारी परिषद सदस्य मनीष शर्मा के द्वारा दी गई