अगर चंबल का पानी मंदसौर आया तो फिर नपा के जलाशय खाली कैसे हुये-श्री भाटी

महावीर अग्रवाल
मंदसौर ९ जून ;अभी तक;  लगातार पेयजल योजनाओ के नाम पर मंदसौर शहवासियो को गुमराह किया गया। प्रत्येक योजना के नाम पर न केवल राजनिति चमकायी गयी बल्कि भारी भरकम भ्रष्टाचार भी किया गया। चंबल पेयजल योजना के नाम पर सांसद से लेकर विधायक तक सभी ने आम नागरिको को भरपुर पानी चंबल से लाने का वादा करते हुये स्वागत सत्कार तो करवाये किन्तु चंबल से पुरा पानी आज दिन तक नही आया। परिणाम यह है कि मंदसौर नगर पालिका के रामघाट पर हमारे सूत्रो के अनुसार लगभग 3 फिट पानी है तो कालाभाटा में मात्र 4 फिट पानी ही शेष है जो योजना की कमियां एवं मंदसौर शहर को मिले चंबल के नाममत्र के पानी की कहानी स्पष्ट करता है।
                               यह बात जिला कांग्रेस प्रवक्ता सुरेश भाटी ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही। उन्होनें कहा कि मंदसौर नगर की पेयजल आवश्यकता को पुरा करने के लिये केन्द्र की मनमोहसिंहजी की सरकार ने जल आवर्धन योजना दी किन्तु गलत स्थल चयन के कारण भाजपा की परिषद ने उसे विफल कर दिया, पुनः मंदसौर शहर की पेयजल की पूर्ति के लिये चंबल पेयजल योजना का हर्ष उससे भी बुरा हुआ है। उन्होनें कहा कि मंदसौर नगर की पेयजल की पूर्ति रामघाट एवं कालाभाटा डेम से होती है जिस पर वर्तमान मे हमेशा की तरह कम पानी बचा है जबकी मंदसौर शहर को चंबल का पानी निरंतर मिलने का दावा नपा करती रही तो फिर मंदसौर नपा के रामघाट एवं कालाभाटा डेम में नाममात्र का पानी कैसे बचा।
                                श्री भाटी ने कहा कि मंदसौर शहरवासियो के लिये चंबल योजना काफी महंगी साबित हुई है। लगभग 52 करोड की लागत से तैयार इस योजना के लिये मंदसौर शहरवासियो का पेयजल की राशि बढायी गयी और उसके बावजुद सांसद महोदय द्वारा प्रतिदिन पेयजल देने के वादे के विपरित आज भी मंदसौर वासियो को एक दिन छोडकर पानी मिल रहा है तो फिर रामघाट की कुल 14 फिट क्षमता में से मात्र 3 फिट और कालाभाटा बांध की 21 फिट क्षमता में से कुल 4 फिट पानी आखिर कौन सी कहानी बता रही है। स्थिति साफ है कि चंबल पेयजल योजना से नाममात्र का पानी मंदसौर आ रहा है जिसको लाने के लिये मंदसौर नपा बिजली के बिल सहित अन्य भारी भरकम खर्च कर रही है जिसके कारण योजना के विफलता के साथ ही मेन्टेंस के नाम पर महंगी साबित हो रही है जिसके लिये क्षेत्र के जनप्रतिनिधिगण गलत प्लानिंग के लिये दोषी है।