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भौतिक पदार्थों के प्रति आसक्ति छोड़ों- साध्वी श्री चंदनाश्रीजी
महावीर अग्रवाल
मंदसौर १८ सितम्बर ;अभी तक ; हमें मनुष्य जीवन विषय वासना व भौतिक सुख सुविधाओं में बर्बाद करने के लिये नहीं मिला है। हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है, यह हमें ही तय करना है। मानव जीवन का सबसे प्रमुख लक्ष्य आत्म सुख अर्थात मोक्ष को प्राप्त करना भी होना चाहिए और मोक्ष प्राप्ति के लक्ष्य के लिये जो भी आवश्यक हो, वह करना ही चाहिये।
उक्त उद्गार प.पू. जैन साध्वी श्री चंदनाश्रीजी म.सा. ने नईआबादी शास्त्री कॉलोनी स्थित जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में आयोजित प्रवचन में कहे। आपने बुधवार को साध्वी श्री रमणीककुंवरजी म.सा. की पावन उपस्थिति में आयोजित धर्मसभा में कहा कि मानव जीवन में हमारा लक्ष्य भौतिक साधनों, धन संपत्ति अर्जित करने का नहीं होना चाहिये क्योंकि यह पदार्थ नश्वर है, ये सदैव आपके साथ रहने वाले नहीं है। मृत्यु के बाद भौतिक साधन, धन सम्पत्ति इस पृथ्वी पर रह जाती है। इसलिये मनुष्य जीवन में भौतिक पदार्थों के प्रति आसक्ति छोड़ों तथा मोक्ष प्राप्ति की कामना रखो। आपने इस अवसर पर अर्जुन माली का वृतान्त बताते हुए कहा कि अर्जुन माली ने कई हत्याये की लेकिन जब उन्हें प्रभु महावीर का सानिध्य मिला तो उसने संयम ले लिया और अपने तप बल पर मृत्यु के बाद मोक्ष पाया। जब अर्जुन जैसे पापी की आत्मा मोक्ष पा सकती है तो हम क्यों नहीं विचार करे। हमारे जीवन का लक्ष्य क्या हो यह हमें विचार करना है। भौतिक पदार्थों के प्रति हमारी जो आसक्ति कई जन्मों से चली आ रही है उसे समाप्त करना है तभी हम मोक्ष को प्राप्त कर पायेंगे।
श्रीमती नेहा संदीप मारू के 18 उपवास की तपस्या पूर्ण-साध्वी श्री रमणीकुंवर व साध्वी श्री चंदनाश्रीजी म.सा. की पावन प्रेरणा से श्रीमती नेहा संदीप मारू (अरिहंत फ्लेक्स) ने 18 उपवास की तपस्या पूर्ण की है। कल उनका पारणा हुआ।