प्रदेश

म प्र में कांग्रेस संघठनात्मक तौर पर पूरी तरह बिखरी, कांग्रेस उ प्र की राह पर

पुष्पेंद्र सिंह
टीकमगढ़ 5 जून !’अभी तक ;            ‘मध्यप्रदेश मे चुनाव नतीजों के वाद ये सवाल उठना लाजिमी है कि ‘क्या प्रदेश में कांग्रेस की वही स्तिथि होने जा रही जो उप्र में है ‘ माना कि राज्य में बीजेपी संघठनात्मक तौर पर बहुत मजबूत है और कांग्रेस का विखरा संघठन उसका मुकाबला नहीं कर पा रहा? राजनैतिक समीक्षक इसके लिए राज्य कांग्रेस के क्षत्रपों को जिम्मेदार मानते हैं वे मानते है कि छह माह पहले राज्य विधानसभा के चुनाव में शर्मनाक पराजय के वाद लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को पूरी दम ख़म के साथ मैदान में होना चाहिए था जिससे विखरे कार्यकर्त्ता संघठित होते और चुनाव के मुकाबले में होते! लेकिन ऐसा नहीं हुआ! शायद कांग्रेस के उम्मीदवार किसी चमत्कार की उम्मीद और किस्मत के भरोसे चुनाव लड़ रहे थे क्योंकि जिस रणनीतिक तरीके से बीजेपी चुनाव लड़ रही थी उसके सामने कांग्रेस बहुत कमजोर नज़र आ रही थी,शर्मनाक तो ये भी कहा जा सकता है कि छह माह पहले जिन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस जीतकर आयी लोकसभा  चुनाव में उन क्षेत्रों के विधायक भी पार्टी कोअपने क्षेत्र में हार से नहीं बचा सके!
                         वर्ष 2003से राज्य में बीजेपी की सरकार रही है (2018के चुनाव में कमलनाथ सरकार के डेढ़ साल के कार्यकाल को छोड़ कर )और इस दौरान बीजेपी सरकार के तमाम घोटाले और भ्रष्टाचार के मामले सामने आए, लेकिन  सरकार के खिलाफ उन मुद्दों को लेकर कांग्रेस विपक्ष की हैसियत से जनता के बीच अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकी, शायद इसीलिए प्रदेश की जनता और खासतौर पर युवा, कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सके !
                              इंडिया गठबंधन जिन मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ जनता के बीच गया अधिकांश राज्यों में उन्हें सफलता  प्राप्त हुई!उत्तरप्रदेश, राजस्थान, पंजाब हरियाणा, महाराष्ट्र, पच्छिम बंगाल, विहार समेत अन्य राज्यों में इंडिया गठबंधन ने न सिर्फ बीजेपी के चार सौ पार के उस अभियान की हवा निकाल दी बल्कि खुद को सत्ता पाने के आंकड़ों के करीब ला खड़ा किया, हालांकि एनडीए बहुमत में हैं और सरकार बनाने की तैयारियों में हैं!उक्त राज्यों के के साथ मध्यप्रदेश की जनता के बीच कांग्रेस उन मुद्दों को  ले जाने में असफल रही या यों कहें कि जनता ने कांग्रेस पर भरोसा नहीं किया इसका कारण समीक्षक मानते हैं कि राज्य में कांग्रेस संघठनात्मक तौर पर पूरी तरह बिखर चुकी है और विपक्ष की भूमिका भी वह प्रभावशाली ढंग से निभाने में असफल दिखाई देती है!मध्यप्रदेश में कांग्रेस को नये सिरे से संघठन को पुनर्जीवित और ताकतवर बनाने की आवश्यकता है!वरना  यहाँ भी कांग्रेस  को उप्र  जैसे हालातों में पहुंचने में देर नहीं लगेगी!

 

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