दोनों पक्षों के बीच पत्थर को लेकर सहमति नहीं बनने से श्रीदादाजी के मंदिर का निर्माण कार्य अधर में`
, ट्रस्टी संुभाष नागोरी ने कहा-आज्ञा के ऐसे प्रमाण नहीं है।ट्रस्ट ने लाल पत्थरों मॉडल के अनुसार निर्माण कार्य शुरू किया था।
आपत्ति लगाए जाने के बाद खंडवा जिला प्रशासन ने 2018 से स्टे लगा दिया था। उन्होने कहा कि छोटे दादाजी ने आश्रम संचालन की सारी नियमावली बनाई। उन्होंने 1930 से 1942 तक आश्रम की व्यवस्थाएं संभाली। वर्तमान में जो मंदिर बना है वह 1970 से 75 तक निर्मित हुआ था, तब कभी ऐसी बात सामने नहीं आई कि छोटे दादाजी की इच्छा संगमरमर के मंदिर निर्माण की थी। इस बात के कोई प्रमाण भी नहीं हैं। हमने कभी छोटे सरकार को ऐसा नहीं कहा कि आप बाहर के हैं। दरबार में तो ज्यादातर श्रद्धालु बाहर से दर्शन के लिए आते हैं। गुरूपूर्णिमा पर्व पर 4.से 5 लाख से अधिक श्र0ालुओं की भीड दर साल जुंटती है।
ज्ञातच्य है कि श्रीधूनीवाले दादाजी दरबार में गुरु पूर्णिमा के दूसरे समाधि दर्शन के लिए छोटे सरकार के आगमन पर एक बार फिर नए मंदिर के निर्माण का मुद्दा चर्चा में आया। हर बार की तरह हरिहर भवन में मंदिर निर्माण को लेकर आवाज उठी। 1970 से े मंदिर का निर्माण का मुद्दा विवाद में है।
कुल मिलाकर है। छोटे सरकार ने श्रीदादाजी धाम में समाधि दर्शन करने के बाद धूनी माई में हवन-पूजन भी किया।
इस अवसर पर अधिवक्ता राकेश थापक ने कहा कि जब भी कोई धर्म का काम होता है, तो असुरी शक्ति रोकने का काम करती है। असुरी शक्ति रोकेगी तो क्या हम रुक जाएं। हम सब प्रण लें कि जब भी खंडवा में 84 खंभों का संगमरमर का मंदिर बनाएंगे। धर्म की स्थापना के लिए हमको आगे आना पड़ेगा और गिलहरी की भूमिका निभानी पड़ेगी। विधायक कंचन तनवे उपस्थित नहीं हो पाईं। उनके प्रतिनिधि के रूप में उनके पति मुकेश तनवे भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि वह जनप्रतिनिधि और दादाजी के भक्त होने के नाते दादाजी से प्रार्थना करते हैं कि मंदिर भव्य 84 खंभों का शीघ्र बने। इसके लिए सरकार से क्या गुजारिश करना है और सरकार क्या कर सकती इस संबंध में अच्छे प्रयास करेंगे।महापौर अमृता अमर यादव ने भी कहा कि दादाजी हमारे आराध्य हैं। गुरु पूर्णिमा पर लाखों भक्त आते हैं।दादाजी मंदिर का उत्थान होगा तो शहर का विकास संभव है।