श्री सांवलिया गौशाला कुंचड़ौद में गायों के साथ हिन्दू संगठनों द्वारा छुड़ाये गये 50 बैलों की हो रही अच्छी सेवा
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ११ मई । 28 अप्रैल को राजस्थान मेड़तासिटी बलदेव पशु मेला से 47 ट्रकों में भरे हुए हष्ट पुष्ट तन्दुरूस्त मतवाले 596 बैलों को पिपल्यामंडी बही टोल नाके पर हिन्दू संगठन कार्यकर्ताओं द्वारा इन बैलों से भरे ट्रकों को पकड़ा गया और मतवाले 596 बैलों को पिपलियामंडी के समीप बही टोलनाके पर हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा इन बेलों से भरे ट्रकों को पकड़ा गया और पुलिस द्वारा 100 से अधिक आरोपियों को हिरासत में लिया गया। बैलों को जिले की विभिन्न गौशालाओं में रखा गया। सांवलिया गौशाला कुंचड़ौद की गौशाला में 50 बैलों को रखा गया।
पतंजलि योग संगठन जिला प्रभारी योग गुरू बंशीलाल टांक ने बताया कि इन सभी बैलों को गौशाला में लगभग 500 गौवंश के लिये जो 7 शेड बने हुए है उनमें से पृथक एक शेड में छुड़ाये गये 50 बैलों को रखा गया है। प्रत्येक शेड में गायों को खाने के लिये भूसा डालने की खेरे बनी हुई है और प्रत्येक शेड के बाहर परिसर में गौवंश के घुमने फिरने और पीने के पानी के लिये टेंक (होज) बने हुए है।
गौशाला में चारा भूसा रखने के लिये जो 2 विशाल गोडाउन बने हुए है दोनों गोडाउन में पूरे वर्ष भर के लिये गेहूं-मैथी का पर्याप्त भूसा भरा हुआ है। भूसे के साथ ही गायों के साथ ही हाल ही में घुड़ाये गये सभी बैलों को भरपेट हरी-हरी घास (चरी) खिलाई जा रही है।
टांक ने बताया कि हिन्दू संगठन कार्यकर्ताओं द्वारा जिन बैलांे को छुड़ाया गया है वे वास्तव में देखने लायक है। शरीर से इतने बड़े हष्ट पुष्ट मतवाले बैल जिन्हें देहाती भाषा में खूब लम्बे झम्भे कहा जाता है प्रथम बार देखने को मिले है। भगवान भोले पशुपतिनाथ के ये सभी नन्दीगण दर्शन करने योग्य है।
गौशाला में दिनांक 28 अप्रैल को रात्रि को ट्रकों में जब इनको उतारा गया था तब एक ही स्थान के नहीं होने से आपस में लड़ने लगे थे परन्तु अब सभी पचासों नन्दी बड़े प्रेम से हिल मिलकर रहते है। पेट भर जाने पर एक दूसरे को चाटते है। शाम को जब परिसर में ये इधर से उधर घूमने लग जाते है तो बड़ा मनोरम दिव्य दृष्य इनकों देखकर नेत्रों को सुकुन प्राप्त होता है। कहने को तो जैसा मीडिया में छपा है आरोपियों द्वारा इन बैलों को म.प्र. के खण्डवा, खरगोन आदि स्थानों के अतिरिक्त म.प्र. की सीमा से लगे महाराष्ट्र के किसानों को खेती के लिये देने जा रहे थे परन्तु प्रश्न यहां यह है कि आज जहां सब तरफ बैलों की जगह ट्रेक्टर-ट्राली, थ्रेशर मशीनों ने ले ली है वहां अब बैलों की आवश्यकता कहां रही है। इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि जैसा कि आये दिन राजस्थान आदि स्थानों से मध्यप्रदेश की सीमा से होकर महाराष्ट्र आदि में बड़े-बड़े बूचड़ खानों में आधुनिक बड़ी बड़ी मशीनों से प्रतिदिन हजारों की संख्या में गौवंश का कत्ल होकर टनों गौ मांस जहाजों में भरकर विदेशों में भेजा जा रहा है संभव है निश्चित ही 2- 4 नहीं 590 बैल भी कटने के लिये जा रहे हो जो जांच होने पर पता चलेगा।
जिन गौ भक्त कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मदद से एक साथ इतने भूखे प्यासे ट्रकों में ठूसे गये बैलों को छुड़ाया है उन्होनंे बड़े पुण्य का कार्य किया है। पुलिस सहित सभी साधुवाद के पात्र है।
टांक ने सुझाव दिया है कि इन समस्त नंदी (बैलों) को किसानों को देने के बहाने वापस ले जाने वाले आरोपियों अथवा अन्य किसी को सौंपने के बदले अब गौशालाओं में ही रहने दिया जाना चाहिये। और गौ संवर्धन बोर्ड म.प्र. भोपाल के साथ ही गौभक्त दानदाताओं को भी आगे आकर अपनी सामर्थ्य अनुसार सहयोग कर गौवंश को बचाने में सहयोग करना चाहिये।