वेयर हाउस कारपोरेशन के गोदाम में खुले आसमान के नीचे राखी धान बारिश में भीग जाने से सड़ी

आनंद ताम्रकार

बालाघाट १९ जून ;अभी तक; जिले के कटंगी अनुविभागीय मुख्यालय में स्थित वेयर हाउस कारपोरेशन के गोदाम में विगत 3 वर्ष पूर्व समर्थन मूल्य खरीदी गई धान जिसे सुरक्षित ना रखते हुये खुले आसमान के नीचे रख दिया गया था बारिश के पानी में भीग जाने से सड़ गई उसे अब नये बारदानों में भरकर राईस मिलर्स को खपाने की कवायद की जा रही है। इस तरह बरबाद हो चुकी धान की मात्रा 386 टन बताई गई है जिसका बाजार मूल्य 42 लाख रुपये है आका गया है।

                             आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार समर्थन मूल्य पर वर्ष 2020 में खरीदी गई धान वेयर हाउस के गोदाम में या मंडी प्रांगण में सुरक्षित भण्डारित किया जाना था लेकिन किसानों से खरीदी गई उक्त धान खुले आसमान के नीचे बिना तिरपाल बिछाय जमीन पर ही रख दी गई।  उसको ढक कर रखने के भी इंतजाम नहीं किये गये। अधिकारियों की लापरवाही के चलते सडी हुई धान की मात्रा अब किसी उपयोग के काबिल नही रह गई है। पशु आहार के रूप में भी उसका उपयोग नहीं किया जा सकता  इस धान को नीलामी के जरिये बेचने का प्रयास किया गया था जिसे हरियाणा की एक फर्म आर के इंडस्ट्रीज ने 1152 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदने के लिये टेंडर दिया था जिसकी स्वीकृति के बाद उसने धान का मुआयना किया तो किसी भी उपयोग के काबिल ना होने के कारण धान उठाने से इंकार कर दिया।

                       विभागीय अधिकारियों ने अब उसे 1000 रुपये क्विंटल की दर से बिक्री किये जाने की योजना बनाई है। इस प्रकार बरबाद हो चुकी लाखों रुपयों की धान की मिलिंग करना तो दूर उसे मवेशियों को भी खिलाया नहीं जा सकता उसे नये बारदाने में भरा जा रहा है।

                                  इस संबंध में कटंगी के वेयर हाउस प्रभारी शिवराज भिड़े ने अवगत कराया कि पिछले 3 साल से निरंतर बारिश में भी जाने से धान पूरी तरह बरबाद हो चुकी है उसे नई धान में मिलाकर मिक्स नही किया जा रहा है बल्कि उसे बारदानों में सुरक्षित रखा जा रहा है तथा इसका निपटान शीध्र किया जायेगा। इस दृष्टि से अधिकारियों से पत्राचार किया जा रहा है।

                           यह उल्लेखनीय है की मध्यप्रदेश में बालाघाट जिला सर्वाधिक धान उत्पादक जिला है। जहां प्रतिवर्ष समर्थन मूल्य 40 हजार  मैटिक टन से अधिक धान की नियमित खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है। लगभग 4 अरब रूपयों की लागत से प्रतिवर्ष धान की खरीदी किये जाने के बावजूद उसकी सुरक्षा तथा रखरखाव के पर्याप्त इंतजाम ना होने से खरीदी गई धान खुले आसमान के नीचे रखने रहने के कारण बारिश तथा धूप एवं आंधी तूफान से इसी तरह बरबाद हो रही है।