प्रदेश

अवैध रूप से कट्टा एवं कारतूस रखने वाले आरोपी को दो वर्ष का कारावास

दीपक शर्मा

पन्ना १३ फरवरी ;अभी तक;सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी पन्ना के मीडिया प्रभारी ऋषिकांत द्विवेदी द्वारा बताया कि,  अभियोजन का प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है, सिविल लाईन चौकी पन्ना में उपनिरीक्षक के पद पर पदस्थ सरिता तिवारी दिनांक-10.05.2018 को 13.00 बजे कस्बा एवं देहात भ्रमण हेतु हमराही बल प्रधान आरक्षक 243 रामकृष्ण पाण्डेय, 427 रामभिखारी बागरी, आरक्षक मुकेश कुमार, आरक्षक दुलीचन्द्र जैन के रवाना हुई।

दौरान कस्बा भ्रमण दहलान चौकी में थाना कोतवाली पन्ना के अपराध क्रमांक-326/2018 के आरोपी सरदार सिंह की पतारसी के दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि, सरदार सिंह ग्राम पटी में आतरानी माता मंदिर में छिपा हुआ है, सूचना से हमराही बल को अवगत कराकर मय हमराही बल के ग्राम पटी पहुंची, राहगीर गवाहान को तलब किया एवं मुखबिर सूचना से अवगत कराकर मुखबिर के बताये स्थान पर पहुंची तो एक व्यक्ति पुलिस को देखकर भागा, जिसे घेराबंदी करके पकड़ा, नाम पता पूंछने पर उसने अपना नाम सरदार सिंह बताया, चेक करने पर कमर में पीछे की तरफ एक 315 बोर का देशी कट्टा, एक जिंदा कारतूस पेंट की जेब में मिला, कट्टा एवं कारतूस का लाईसेंस पूंछे जाने पर कोई लाईसेंस न होना बताया गया। आरोपी सरदार सिंह से साक्षीगण के समक्ष कट्टा एवं कारतूस जप्त किया गया। आरोपी को विधिवत् गिरफ्तार किया गया। चौकी वापस आकर असल नम्बर पर थाना कोतवाली पन्ना में अपराध क्रमांक-327/2018 अंतर्गत धारा-25/27 आर्म्स एक्ट पंजीबद्ध कर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध की गई एवं प्रकरण अनुसंधान में लिया गया। संपूर्ण अनुसंधान उपरांत अभियुक्त के विरूद्ध आयुध अधिनियम की धारा-25(1-बी)(ए) के आरोप में अभियोग-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। प्रकरण का विचारण माननीय मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी राजेन्द्र सिंह शाक्य, के न्यायालय में हुआ। शासन का पक्ष सहा.जि.लो.अभि.अधि. रोहित गुप्ता द्वारा रखा गया। अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत तर्को एवं न्यायिक दृष्टातों के आधार पर माननीय न्यायालय से, अभियुक्त को कठोर से कठोर दंड से दंडित किये जाने का निवेदन किया गया। अभियोजन के तर्को से, सहमत होते हुए माननीय न्यायालय के द्वारा अभियुक्त सरदार सिंह पिता ठाकुर सिंह यादव, निवासी ग्राम दहलान चौकी थाना कोतवाली पन्ना को धारा 25 (1-बी)(ए) आयुध अधिनियम के आरोप में 02 वर्ष के सश्रम कारावास और 500 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। अर्थदण्ड के अदा न करने की स्थिति में 01 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास से दंडित किया गया।

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