प्रदेश

50 करोड रुपये की धान बिना जमा कराये काला बाजार में बेच दी गई

आनंद ताम्रकार
बालाघाट १८ अगस्त ;अभी तक;  मध्य प्रदेश के सर्वाधिक धान उत्पादक बालाघाट जिले से प्रति वर्ष 4 अरब रूपयों से भी अधिक की लगभग 40 लाख क्विंटल धान समर्थन मूल्य पर खरीदी जाती है। जिसे  कस्टम मिलिंग के माध्यम से राईस मिलर्स से चावल बनवाकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित किया जाता है।
                            इस वर्ष अनुबंधित 107 राईस मिलर्स को जिला विपणन संघ द्वारा कस्टम मिलिंग के लिये धान प्रदाय की गई उनमें से लगभग 24 राईस मिलर्स ने धान प्राप्त करने के बाद नियमानुसार चावल जमा नहीं कराया।
                        जिला विपणन अधिकारी हिरेन्द्र रघुवंशी के अनुसार मिलर्स द्वारा 33 हजार मैट्रिक टन धान का स्टाक उठा लिया गया लेकिन 1 माह की अवधि के अंदर उनके द्वारा चावल जमा नहीं कराया गया। उन्हें अवगत कराया की निर्धारित समयावधि में चांवल जमा ना कराने वाले 24 राईस मिलर्स को नोटिस जारी किया गया है की वे चावल जमा करवायें अन्यथा उनका नाम ब्लैक लिस्ट में दर्ज कर दिया जायेगा।
                           वास्तविकता यह है की सरकारी संरक्षण के चलते राईस मिलर्स विपणन संघ से धान प्राप्त कर उसे काला बाजार में बेच देता है तथा यू पी बिहार से वहां राशन के माध्यम से बेचे जाने वाला चावल खरीद कर कस्टम मिंलिग के नाम पर चावल जमा करा देते है। यह सिलसिला वर्षों से चल रहा है।
                              संयोगवश इस वर्ष यूपी और बिहार से लाये जाने चांवल का पढता नही बैठने से वहां से चांवल आना बंद हो गया है। इन विसंगतियों के चलते बेची गई सरकारी धान का चांवल राईस मिलर्स कहा से लाकर जमा करायें।
                        यह उल्लेखनीय है की प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी धान उपार्जन एवं कस्टम मिंलिग नीति बनाई गई जिसका प्रकाशन राजपत्र में किया गया है जिसमें यह उल्लेख किया गया है की अनुबंधित राईस मिलर्स धान का उठाव करेगा उसे 1 माह की अवधि के अंदर चांवल बनाकर प्रदाय करना होगा।
                              राईस मिल परिसर में उठाई गई धान की मात्रा एवं निर्धारित अनुपात में चांवल का स्टाक पाया जाना चाहिये जिसका मिलान उसके द्वारा जमा कराये गये चांवल से किया जा सकेगा लेकिन अधिकारियों की एवं धान उपार्जन समिति के द्वारा राईस मिल परिसर धान का स्टाक तथा चांवल की मात्रा का भौतिक सत्यापन ना कराये जाने के कारण समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान को राईस मिलर्स द्वारा काला बाजार में बेच दिया गया और उनके द्वारा चावल जमा नहीं कराया गया।
                             जिला विपणन अधिकारी हिरेन्द्र रघुवंशी ने बताया की जिन 24 राईस मिलर्स को नोटिस जारी किया गया उनमें श्रीराम राइस मिल बोलेगांव, पटेल राइस उद्योग, फरहान राइस मिल टेमा, मेर्स शुभम  पारबायलिंग   मेहंदी वाडा, मॉपूर्णा राइस मिल चिचोली, गोपाल एग्रोटेक, लक्ष्मी राइस उद्योग  मेहंदी वाडा  , पाराशर राइस हिर्री, विजय राईस मिल कोसमी, बालाजी पारबायलिंग इडस्टीज, केसर एग्रोटेक, शक्ति राइस मिल बेहरई, दीनदयाल देशमुख कटंगी, हर्ष राईस उद्योग गर्रा, आहूजा राइस मिल मसाला उद्योग, अमर राइस इस्टीज, एम एम राइस उद्योग कोसमी, सतनाम पारबायलिंग, पारधी राईस इडस्टीज, शुभम राईस उद्योग, गोरी राइस इडसटीज सिवनी खुर्द परी राईस मिल कटंगी महालक्ष्मी राइस मिल, सुगंधा राइस मिल गुडरु घाट कटंगी को नोटिस जारी कर 7 दिन के अंदर चावल जमा करने का समय दिया गया है।
                        अधिकारिक जानकारी के अनुसार 500 लाट धान का उठाव राईस मिलर्स द्वारा किया गया है जिसका मूल्य 50 करोड रूपये से भी ज्यादा बताया गया है। इस प्रकार प्रशासनिक संरक्षण के चलते करोडों रूपये की धान बिना चांवल जमा कराये कालाबाजार में बेच दी गई।

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