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कलाकार एक योगी होता है, जो आनंद की अनुभूति को परमात्मा तक ले जाता है -प्रो. के. रत्नम
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २६ फरवरी ;अभीतक; कलाकार एक योगी होता है, जो आनंद की अनुभूति को परमात्मा तक ले जाता है उपरोक्त विचार प्रो. के. रत्नम अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, चम्बल संभाग ग्वालियर द्वारा राजीव गाँधी शास. स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंदसौर में 10 दिवसीय ऐड ऑन कोर्स विषय ‘सांस्कृतिक विरासत प्रबंधन’ कार्यक्रम के द्वितीय दिवस पर व्यक्त की है l
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. एल.एन. शर्मा ने अतिथि का स्वागत करते हुए छात्रों को विरासत प्रबंधन एवं उसकी उपयोगिता को रेखांकित किया l साथ ही कोर्स निर्देशक डॉ उषा अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी के लोग संस्कृति के रखवाले है l हमें संस्कृति के उत्कृष्ट नमूनों को अच्छी अवस्था में आने वाली पीढ़ी को सौपना है l
विषय विशेषज्ञ डॉ. के. रत्नम ने कला परमपरा की विस्तृत विवेचना करते हुए बताया कि भारत एक सांस्कृतिक जीता जागता राष्ट्र है l जब पूरा विश्व भोजन की तलाश में था उस समय भारत में वेदों के मंत्रो की रचना हो रही थी l भारतीय परम्परा में मोक्ष की अवधारणा रही है l भारतीय चित्रण परम्परा बाघ से होकर अजंता से चलकर आज आधुनिक युग तक चली आ रही है l परिवर्तन प्रकृति का नियम है l युध्द चित्रों से लेकर स्थानीय शैली, राजस्थानी, कांगड़ा चित्र शैलियों की अपनी विशेषताओं को आपने रखांकित किया l
भारतीय चित्रकला विभिन्न आक्रमणकारियों से प्रभावित हुई है l यद्यपि जहाँगीर के चित्रों में महाभारत एवं रामायण विषय रहे है l बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट की अपनी विशेषता है l नन्दलाल बोस के चित्रों में भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रभाव दिखाई देता है l आपने आगे बताया कि 1947 को स्वतंत्रता मिली किन्तु स्व तंत्र नहीं मिला l यह मात्र सत्ता का परिवर्तन हुआ है l किन्तु अपना स्व हम स्वयं स्थापित नहीं कर सके l
भारतीयता के बोध को चित्रकला में स्थान देने की जरुरत है l कला से संरक्षण के लिए मानसिक मनोवृति को सुधारना होगा l मात्र सेल्फी लेना उद्देश्य नहीं होना चाहिए l स्मारकों को राष्ट्रीय संपत्ति मानकर संजोना आवश्यक है l
धरोहर को संजोने के लिए सामाजिक वातावरण और मानसिक मनोवृति का निर्माण करना व्यवहारिकता का जामा और धरातल पर उपयोग आवश्यक है l
कार्यक्रम का संचालन डॉ अमन सिंह द्वारा किया गया एवं आभार डॉ. शिव कुमार पाण्डेय द्वारा व्यक्त किया गया l