प्रभाव को भुलाकर भाव से भगवान की कथा सुनेंः-शास्त्री जी महराज

दीपक शर्मा

पन्ना ४ मार्च ;अभी तक; पन्ना सतना राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित ग्राम बहेरा सकारिया के मध्य प्रसिद्ध झारखंडन देवी माता मंदिर प्रांगण के सामने भगवान शिव परिवार की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में आयोजित शिव महापुराण के पांचवें दिवस कथा व्यास पंडित श्री विजय कृष्ण व्यास जी ने कहा की जब सती जी शिव जी के साथ में अगस्त ऋषि के आश्रम पर भगवान राम की कथा सुनने के लिए गई, तब अपने साथ कई अद्भुत विशेषणों को लेकर के सती जी गईं।

कथा व्यास श्री विजय कृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि जो अपने अभिमान को साथ लेकर कथा सुनने जाते है वह कथा के तत्व को नहीं समझ पाते हैं। कथा व्यास श्री विजय कृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि प्रणाम करने में सामने वाले की विनम्रता देखो अपनी योग्यता नहीं। सती जी के साथ भी यही हुआ अपने साथ कई विशेषणों को लेकर जानें से वो कथा के मर्म को नहीं समझ सकीं। संग सती जग जननि भवानी। पूजे ऋषि अखिलेश्वर जानी। अगस्त जी ने आश्रम में माता सती के सहित शिव जी को आया देखा तो साक्षात परब्रह्म मानकर पूजन किया। शिव जी तो अगस्त जी का बड़प्पन देख रहे थे और माता सती अपनी योग्यता देख रही थी। शिवजी ने देखा की देखो तो सही अगस्त जी कितने बड़े कथा व्यास हैं, इसके बाद भी वह श्रोता को प्रणाम कर रहे हैं। कितनी विनम्रता है इनके अंदर और माता सती अपने को श्रेष्ठ मान रही थी कि हम श्रेष्ठ हैं। इसलिए अगस्त जी हमको प्रणाम कर रहे हैं। प्रणाम करने में हमको सामने वाले का बड़प्पन देखना चाहिए ना कि अपनी योग्यता। कथा सुनकर के जब जाने लगी माता सती जी तो भगवान ने माया रची और वही राम जनकी कथा सुनकर के आई थी। सीता जी की खोज में वन वन भटक रहे थे भगवान श्री राम लक्ष्मण जी, शिव ने मन ही मन उनको प्रणाम किया है कि धन्य है प्रभु आपकी माया, परंतु सती जी को विश्वास नहीं हुआ। सती जी ने पूछा कि आप किसको प्रणाम कर रहे हैं। शिव ने कहा देवी वही राम है जिनकी कथा हम सुनकर के आए हैं। सती जी ने सोचा यह कैसे राम है, यह एक स्त्री के विरह में इधर से उधर भटक रहे हैं। अर्थात शिव के कहने पर भी शिव की बात का विश्वास माता सती ने नहीं किया। परिणाम स्वरूप सती जी ने राम की परीक्षा ली, जिस परीक्षा में उन्होंने राम जी को पहचान लिया। लेकिन इसका परिणाम यह निकला की शिव जी ने सती को त्याग दिया। इसके बाद सती जी पिता के घर में एक यज्ञ में बगैर बुलाए जाने के कारण शिव का अपमान हुआ और उसको सती जी सहन नहीं कर पाई, तो योग अग्नि के द्वारा इस यज्ञ में अपने शरीर को त्याग दिया। शिव पुराण कथा में भगवान शिव के कई अन्य चरित्र पर कथा व्यास श्री विजय कृष्ण शास्त्री जी द्वारा बड़े ही मार्मिक तरीके से प्रकाश डाला गया है। कथा श्रवण के लिए देवेंद्र नगर सकारिय ककरहटी बहेरा जनवार पन्ना सहित आसपास के कई गांव से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।