प्रदेश

खुरई विधानसभा क्षेत्र :: विकास और विवाद का पर्याय 

रवींद्र व्यास

खुरई सागर जिले की सबसे प्राचीन तहसील होने के साथ साथ ,   सबसे पुरानी नगर पालिका भी यही की है |  1861 में इसे तहसील का दर्जा मिला ,वही  1893  में यहाँ नगर पालिका और कृषि उपज मंडी का  गठन हुआ था |  आज   मध्य प्रदेश ही नहीं देश की प्रमुख कृषि उपज मंडियों में इसकी गिनती होती है  ” |  यहाँ का डोहेला मंदिर  भगवान् विष्णु को समर्पित है,जो यहाँ के गौड़ राजवंश ने बनवाया था  | लोक मान्यता है की यहाँ विष्णु भगवान् की जो प्रतिमा है वह सिर्फ बद्रीनाथ धाम में है | मकर संक्रांति पर यहाँ डोहेला महोत्सव होता है ,जिसमे दूर दराज के लोग आते हैं | गौड़ राजाओं के किला के अलावा यहाँ का लाल मंदिर प्रसिद्ध है ” | ऐतिहासिक ,पुरातत्विक ,कृषि सम्पदा से परिपूर्ण खुरई , पिछले डेढ़ दशक से राजनैतिक रूप से  विकाश और विवाद का पर्याय बना हुआ है |

                                   मध्यप्रदेश के  सागर   जिले की  36  खुरई  विधानसभा क्षेत्र  का अधिकांश  इलाका ग्रामीण क्षेत्र वाला है इस विधानसभा में खुरई तहसील के खुरई ,बरोदिया और बांदरी आर आई सर्कल के गांव सम्मिलित हैं शहरी  क्षेत्र में खुरई ही है  | 2लाख 04   हजार 917 मतदाता वाले इस विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख 8 हजार 10 पुरुष और 96 हजार 901 महिला और 6 अन्य मतदाता हैं | हिन्दू बाहुल्य  इस इलाका में  96 % हिन्दू आबादी जिनमे  सामान्य वर्ग  के 35  % ओबीसी के  27. 2 2  %, एस सी. के 24. 27   % एस  टी 9. 51  % अन्य 1 %  जबकि ३ फीसदी मुस्लिम आबादी है |

                                खुरई (36)  विधानसभा सीट 1952  में ही   अस्तित्व में आ गई थी |   1952 और 1957  में यहां से दो दो  विधायक चुने जाते थे , एक सामान्य वर्ग से वही एक अजा वर्ग से | बाद में 1962 में इसे अजा के लिए सुरक्षित कर दिया गया | २००३ तक यह अजा के लिए सुरक्षित रही | परिसीमन के बाद 2008 में  सामान्य सीट बनी |   सामान्य  सीट बनने के बाद इसका आंशिक भूगोल  बदला  | १९५२  से 1972 तक यह क्षेत्र एक तरह से कांग्रेस का अजेय गढ़ था इस दौरान कांग्रेस ने चार चुनाव जीते तो जनसंघ ने एक बार चुनाव जीता | | १९७७ से सारे सियासी समीकरण बदल गए | अब यह सीट एक तरह से बीजेपी का गढ़ बन गई है  इन दस चुनावों में 7 बार बीजेपी और तीन बार कांग्रेस ने चुनाव जीता | अजा के लिए सुरक्षित सीट से बीजेपी के धरमु राय ने 1990 से 2003 तक के चारों चुनाव जीते  | 2008 में परिसीमन के बाद ना सिर्फ इसका भूगोल बदला बल्कि यह सामान्य सीट हो गई |  2008  में कांग्रेस के अरुणोदय चौबे ने बीजेपी के भूपेंद्र सिंह को 17317 मत से पराजित कर दिया था | 2013 में भूपेंद्र सिंह ने अरुणोदय को ६०८४ मत से और 2018 में 15295 से हराया |

                                     दरअसल 1990  के विधानसभा चुनाव में   खुरई विधान सभा सीट को जीतना  ,बीजेपी के सामने एक बड़ी चुनौती थी | 1967 में चुनाव जितने के बाद बीजेपी के हाथ 1985 के चुनाव तक कोई सफलता नहीं मिल रही थी | लगभग हर बार प्रत्यासी भी बदले पर वोट प्रतिशत में तो इजाफा हुआ पर सफलता दूर रही | 1990 में बीजेपी ने एक गैर राजनैतिक व्यक्ति धरमू राय को शिक्षक पद से इस्तीफा दिलाकर चुनाव मैदान में उतारा था  | धरमू राय ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ते हुए 61. 18 फीसदी वोट पाकर खुरई सीट जीत ली | 1990 से 2003 तक के चारों चुनाव धरमू राय ने जीते | धरमू की काट के लिए कांग्रेस ने कई जतन किये कभी प्रत्याशी बदले तो कभी  कांग्रेस के लोगों की बगावत भी झेली पर सफलता नहीं मिली |

खुरई  विधानसभा क्षेत्र का राजनैतिक मिजाज समय के साथ जरूर  बदलता रहता है |  2013 और 2018 में भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस के अरुणोदय चौबे को हराया | इस हार जीत के समीकरण में अगर देखा जाए तो कांग्रेस के चौबे जी के समर्थन में हमेशा 40 फीसदी से ज्यादा मतदाता रहे | यहाँ की  राजनीति में जब जब बीएसपी के मत प्रतिशत में बढ़ोत्तरी हुई तब तब बीजेपी के मत प्रतिशत में गिरावट देखने को मिली | 2018 में बीएसपी 2. 58 फीसदी पर सिमटी तो बीजेपी के मत ५०.  फीसदी हो गए |

 छात्र राजनीति से अपने राजनैतिक जीवन  की शुरुआत करने वाले भूपेंद्र सिंह ने पहला चुनाव  1993 में सुरखी से लड़ा , उन्होंने कांग्रेस के विट्ठल भाई पटेल को 6009 वोट से हराया था | 1998 का चुनाव वे बड़ी मुश्किल से कांग्रेस के गोविन्द राजपूत से मात्र 193 मत से जीत  पाए थे |2003 में कांग्रेस के  गोविन्द सिंह राजपूत  से   13865 मतों से हारने के बाद  भूपेंद्र सिंह ने सीट बदलने में ही अपनी राजनैतिक भलाई समझी | खुरई से लड़ने 2008 में आये ,पर यहाँ भी वे अरुणोदय चौबे से 17317 मत से  हार गए |  2013 और 2018 में खुरई से जितने के बाद भूपेंद्र सिंह ने जिस गति से इलाके में विकाश कार्य कराये , उससे उनकी राजनैतिक जमीन तो जरूर मजबूत हुई है  |  दूसरी तरफ कांग्रेस के स्थानीय से लेकर प्रदेश के नेता भूपेंद्र सिंह पर आरोप लागते हैं कि अपने राजनैतिक विरोधियों को  निपटाने के लिए वे उन पर झूठे मुक़दमे दर्ज कराकर जेल पहुंचाते हैं |  यहां के  कांग्रेस नेता और पूर्व  विधायक अरुणोदय चौबे पर कई तरह के मामले दर्ज कराये गए | अरुणोदय चौबे पर ह्त्या जैसे मामले भी दर्ज हुए | तमाम तरह के राजनैतिक आतंक को झेलते हुए २०२२ में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सहित पार्टी से इस्तीफा दे दिया |

 कांग्रेस ने इसे  आतंक और अत्याचार की राजनीति करार दिया | खुरई में  कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने  भूपेंद्र सिंह पर जम कर हमला भी बोला था | दिग्विजय सिंह तो यहाँ तक कह गए थे अगर यहाँ से कांग्रेस का कोई सशक्त प्रत्याशी नहीं मिला तो में स्वयं चुनाव लड़ेंगे | उन्होंने कुर्सी के अभिमान  में बेकसूरों पर अत्याचार करने वालों को सीख भी दी थी की कुर्सी स्थाई नहीं रहती | बीजेपी के सागर जिले के अन्य दोनों मंत्री भी भूपेंद्र सिंह से असंतुष्ट बताये जाते हैं |

       यहाँ हुए तमाम विकाश कार्यों के बावजूद  विधान सभा  क्षेत्र  के लोग  मुख्यतः  कृषि  और कारोबार पर ही  आश्रित  हैं |  पानी ,बिजली , स्वास्थ्य ,शिक्षा,  जैसे बुनियादी मुद्दे ग्रामीण इलाकों में अब भी हैं |  बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है | खुरई और बीना के बीच जिला बनाने की जंग जारी है |  कमलनाथ और अरुण यादव द्वारा बीना को जिला बनाने की घोषणा के बाद अब खुरई के लोगों ने ज्ञापन  देकर खुरई को जिला बनाने की मांग तेज कर दी है | दरअसल भूपेंद्र सिंह भी खुरई को जिला बनाने की मांग पर अपने क्षेत्र के लोगों को नाराज नहीं करना चाहते हैं | उन्होंने स्वयं भी खुरई को जिला बनाने की बात कही थी | इसके लिए जरुरी  संसाधन खुरई में तैयार कराये जा चुके हैं |

 कौन जीता-कौन हारा

2003 :  जीते-  धरमू राय  –  बीजेपी     

2008:  जीते- अरुणोदय चौबे  -कांग्रेस   ,

2013  , जीते –  भूपेंद्र  सिंह -बीजेपी           

2018 _जीते- भूपेंद्र  सिंह –बीजेपी ,          

1998         धरमू  राय बीजेपी 37091

1993        धरमू  राय बीजेपी 37608

1990       धरमू राय बीजेपी 35885

1985      मालती अरविंद कुमार कांग्रेस 20231

1980       हरिशंकर मंगल प्रसाद अहिरवार कांग्रेस (आई) 20230

1977      राम प्रसाद जनता पार्टी  21151

1972      लीलाधर कांग्रेस 23551

1967 कुंजीलाल  जनसंघ

1962 नन्दलाल परमानंद कांग्रेस

1957 _ 1 _हल्के _(एस सी )  कांग्रेस

              २_ऋषभ कुमार मोहनलाल कांग्रेस

1952 _ १_ रामलाल बालचंद कांग्रेस

             २_ गया प्रसाद —— कांग्रेस

 पिछले डेढ़ दशक से राजनैतिक रूप से  विकाश और विवाद का पर्याय बना हुआ खुरई विधानसभा का २०२३ में सरताज बनने के लिए राजनैतिक संघर्ष जारी है  | बीजेपी के भूपेंद्र सिंह को जहां अपने विकाश कार्यों पर भरोषा है वहीँ कांग्रेस के दावेदार भी अब सामने आने लालगे हैं | पूर्व मंत्री प्रभु सिंह , पारुल साहू ,और भूपेंद्र मुहासा के नाम परमुक्ता से लिए जा रहे हैं | हारजीत जो भी हो पर इस विधानसभा  सीट से  एक नए तरह के विवाद की शुरआत बुंदेलखंड में जरूर हो गई है |

 

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