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मन की बात में मिनी ब्राजील का जिक्र, प्रधानमंत्री ने फुटबॉल क्रांति व कोच रईस के प्रयासों को भी सराहा

मोहम्मद सईद
शहडोल, 30 जुलाई अभीतक। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में शहडोल जिले के मिनी ब्राजील के साथ ही शहडोल के फुटबॉल के राष्ट्रीय खिलाड़ी और जाने-माने कोच रईस अहमद का जिक्र करते हुए फुटबाल क्रांति की सराहना की व इससे प्रेरणा लेने की बात कही। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि जब बात ड्रग्स और युवा पीढ़ी की हो रही हो तब मैं आपको मध्य प्रदेश की इस्पेयरिंग जर्नी के बारे में बताना चाहता हूं। ये इस्पेयरिंग जर्नी है मिनी ब्राजील की। आप सोच रहे होंगे कि मध्यप्रदेश में मिनी ब्राजील कहां से आ गया यही तो ट्विस्ट है। मध्यप्रदेश के शहडोल में एक गांव बिचारपुर है। बिचारपुर को मिनी ब्राजील कहा जाता है।
उभरते सितारों का गढ़ बन गया
प्रधानमंत्री ने कहा कि मिनी ब्राजील इसलिए क्योंकि यह गांव आज फुटबॉल के उभरते सितारों का गढ़ बन गया है। जब कुछ हफ्ते पहले शहडोल गया था तो मेरी मुलाकात वहां के ऐसे बहुत सारे फुटबॉल खिलाड़ियों से हुई थी। मुझे लगा इसके बारे में हमारे देशवासियों को और खासकर युवा साथियों को जरूर जानना चाहिए। साथियों बिचारपुर गांव मिनी ब्राजील बनने की यात्रा दो ढाई दशक पहले शुरू हुई थी। उस दौरान बिचारपुर गांव अवैध शराब के लिए बदनाम था, नशे की लिफ्त से इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान यहां के युवाओं को हो रहा था।एक पूर्व नेशनल प्लेयर और कोच रईस अहमद ने इन युवाओं की प्रतिभा को पहचाना। रईस के पास संसाधन ज्यादा नहीं थे, लेकिन उन्होंने पूरी लगन से युवाओं को फुटबॉल सिखाना शुरू किया। कुछ साल के भीतर ही वहां फुटबॉल इतनी पॉपुलर हो गई कि बिचारपुर गांव की पहचान ही फुटबॉल से होने लगी। अब वहां फुटबॉल क्रांति के नाम से एक प्रोग्राम भी चल रहा है। इस प्रोग्राम के तहत युवाओं को खेल से जोड़ा जाता है और उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है।
नेशनल और स्टेट खिलाड़ी निकले
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मन की बात में यह भी बताया कि यह प्रोग्राम इतना सफल हुआ है कि बिचारपुर से नेशनल और स्टेट लेवल के 40 से ज्यादा खिलाड़ी निकले हैं। यह फुटबॉल क्रांति धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र में फैल रही है। शहडोल और उसके आसपास के काफी बड़े इलाके में 1200 से ज्यादा फुटबॉल क्लब बन चुके हैं। यहां से बड़ी संख्या में ऐसे खिलाड़ी निकल रहे हैं जो नेशनल लेवल पर खेल रहे हैं। फुटबॉल के कई बड़े पूर्व खिलाड़ी और कोच आज यहां युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं।
नशे के लिए बदनाम था
अब फुटबॉल नर्सरी बन गया
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने यह भी कहा कि अब सोचिए एक आदिवासी इलाका जो अवैध शराब के लिए जाना जाता था। नशे के लिए बदनाम था और अब वह देश की फुटबॉल नर्सरी बन गया है। इसीलिए तो कहते हैं कि जहां चाह वहां राह। हमारे देश में प्रतिभाओ की कमी नहीं है जरूरत है उन्हें तलाशने और तराशने की। इसके बाद यही युवा देश का नाम रोशन भी करते हैं और देश के विकास में दिशा भी देते हैं।

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