अवयस्क बालिका के साथ गलत काम करने वाले आरोपी को हुआ 10 वर्ष का सश्रम कारावास

विधिक संवाददाता
    इंदौर १७ अक्टूबर ;अभी तक;  जिला अभियोजन अधिकारी श्री संजीव श्रीवास्तव, ने बताया कि दिनांक 14.10.2023 को माननीय न्यायालय – पंचम अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश, इन्दौर (मध्य प्रदेश) (पॉक्सों एक्ट) श्रीमती रश्मि वाल्टर, ने थाना हीरानगर, जिला इन्दौर के अपराध क्रमांक 462/2019 में निर्णय पारित करते हुए आरोपी राजेश भालसे, उम्र 38 वर्ष, निवासी –इंदौर को धारा 376(1) भारतीय दण्ड् संहिता में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 452 भादवि मे 3 वर्ष का सश्रम कारावास व कुल 3000 रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्रीमती प्रीति अग्रवाल द्वारा की गई।
                    नोट – पीडित प्रतिकर योजना के अंतर्गत माननीय न्यायालय द्वारा पीडिता को 50000रू प्रतिकर राशि दिलवाए जाने की अनुशंसा की गई ।
                        अभियोजन कथा के अनुसार पीडिता कक्षा 12वीं में पढ़ाई कर रही थी. अभियुक्त उसी विद्यालय में एडमिन ऑफिस में काम करता था। अभियुक्त ने ऑफिस से ही पीड़िता का मोबाईल नंबर लेकर पीडिता को फोन किया, पीडिता ने फोन करने से मना किया। दिनांक 18.03.2019 के दिन के लगभग 01:00 बजे अभियुक्त पीड़िता के घर आया, उस समय पीड़िता के माता पिता नौकरी पर गए हुए थे। अभियुक्त ने पीड़िता से कहा कि वह उससे प्यार करता है तथा पीड़िता को बहुत दिनों से जानता है। पीड़िता ने अभियुक्त से कहा वह उसे नहीं जानती है, पीड़िता के मना करने पर अभियुक्त उसके साथ अश्लील हरकत करने लगा और पीड़िता की फोटो लेने लगा। पीड़िता ने अभियुक्त को घर से जाने के लिए कहा और माता पिता को उक्त़ बात बताने को कहा तब अभियुक्त ने उक्त बात किसी को बताने पर पीड़िता को जान से खत्म करने की धमकी दी और वहां से चला गया। जून माह में पुनः दिनांक 06.06.2019 को अभियुक्त पीडिता के घर पर आया और उसके साथ अश्लील हरकत कर उसके साथ गलत काम किया। अभियुक्त ने पीड़िता के फोन पर भी उसे अश्ली ल विडियो भेजे थे पीड़िता ने उक्त बात अपने माता पिता को बताई तथा घटना की रिपोर्ट लेख कराई।
                               फरियादी की उक्त सूचना के आधार पर आरक्षी केन्द्र हीरानगर, इंदौर पर अपराध क्रमांक 462 / 2019, अंतर्गत धारा 354, 354-क. 506 एवं पॉक्सो अधिनियम की धारा 7/8 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया विवेचना के दौरान अभियुक्त को गिरफतार किया गया. साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किए गए। पीड़िता के धारा 164 दं.प्र.सं. के कथन उपरांत भा दं सं की धारा 354-डी, 376 (1) 506, 452 एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण की धारा 3/4, 7/8, 9(2) /10 का ईजाफा किया गया संपूर्ण विवेचना पश्चात अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया, जिस पर से अभियुक्त को उक्त दण्ड से दण्डित किया।