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रूपचांद आराधना भवन में प्रभु नेमीनाथजी  का दिक्षा कल्याणक मनाया गया

महावीर अग्रवाल

मन्दसौर २२ अगस्त ;अभी तक;  मंगवार को रूपचांद आराधना भवन चौधरी कॉलोनी में साध्वी अर्हता श्रीजी म.सा. आदि ठाणा 4 की पावन प्रेरणा व निश्रा में जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर प्रभु नेमीनाथजी का दीक्षा कल्याणक मनाया गया। साध्वी श्री अर्हर्ता श्रीजी ने प्रभु नेमीनाथजी की प्रतिका का विशिष्ठ पूजन कराया। जिसमें ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले कुछ जोड़ो (पति-पत्नी) ने प्रभु नेमीनाथजी की विशिष्ठ पूजा की। शेष धर्मालुजनों ने चावल (अक्षत) उछालकर प्रतिमा की पूजा की। इस अनुष्ठान में बड़ी संख्या में धर्मालुजन शामिल हुए।

                                साध्वीजी ने इस अवसर पर कहा कि प्रभु नेमीनाथजी की पूरे मनोभाव से पूजा करते है उनका जीवन विषय वासना से दूर होता है। उन्होंने द्वारका में समुंद विजय व शिखादेवी के यहां जन्म लिया था वे कृष्णजी के चचेरे भाई थे तथा पूरे जीवन बाल ब्रह्मचारी रहे जब उनका विवाह होने वाला था तब वे तोरण तक आकर रुक गये मूक पशुओं के रूदन के कारण उन्होंने विवाह करने से मना कर दिया क्योंकि वे मूक पशु विवाह समारोह के भोजन हेतु उपयोग होने वाले थे। जीवों के प्रति ऐसी उदार भावना संसार में मिलना मुश्किल है। उन्होंने इसके बाद गिरनारजी में दीक्षा ली। उनके पदचिन्हों पर चलकर होने वाली धर्मसहायिका राजुलमति ने भी संयम लिया।

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