एनजीटी के सेन्ट्रल जोन भोपाल से जस्टिस सुधीर अग्रवाल को हटाया जाना राजनीति से प्रेरित

आनंद ताम्रकार
बालाघाट २८  अगस्त ;अभी तक; एनजीटी के सेन्ट्रल जोन भोपाल के जस्टिस श्री सुधीर अग्रवाल को हटाकर उन्हें प्रिंसिपल बेंच में शामिल किया गया है।
                         जस्टिस श्री सुधीर अग्रवाल को हटाया जाना राजनीति से प्रेरित है इस तबादले के माध्यम से न्यायायिक प्रणाली को धमकी दी गई है इस आशय का  पत्र डॉक्टर पीजी नाजपांडे ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को प्रेषित कर इसे याचिका के रूप में स्वीकार करने की प्रार्थना की है।
                   नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच मध्यप्रदेश के अध्यक्ष श्री नाजपांडे ने बताया की 16 अगस्त को जस्टिस श्री सुधीर अग्रवाल ने भोपाल के कलियासोत नदी के 33 मीटर के भीतर किये गये अतिक्रमणों को हटाने के निर्देश दिये थे इसके पश्चात में 17 अगस्त को इस नदी के डेम को भी नदी भाग मानते हुये वहां के भी अतिक्रमणों को हटाने के निदेश दिये थे इस समूचे क्षेत्र में 2 हजार निर्माण फार्म हाउस और होटल बनाये गये है जो पूर्णता अवैध माने गये है।
                            वर्ष 2014 से ऐसे अवैध निर्माण को हटाने की कार्यवाही क्यों नही की गई इस संबंध में जस्टिस श्री सुधीर अग्रवाल ने मध्यप्रदेश सरकार तथा मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को कड़ी फटकार लगाई थी।
                                   इस आदेश तथा फटकार के कारण ही जस्टिस श्री अग्रवाल को तबादले के रूप  में सजा दी गई है एवं आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कलियासोत नदी के किनारे बसे मतदाताओं को खुश करने हेतु जस्टिस श्री सुधीर अग्रवाल को भोपाल से हटाया गया। यह कृत्य स्पष्ट रूप से न्यायायिक प्रणाली को खुली धमकी दिया जाना प्रतीत होता है।