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सरकार का रवैये को देखते हुए हमारा विचार है सीबीआई को सौंपी जाये जांच, फर्जी नर्सिंग कॉलेज मामले की हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

सिद्धार्थ पांडेय
 जबलपुर ३१ जुलाई ;अभी तक;  फर्जी नर्सिंग कॉलेज के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विषाल मिश्रा की युगलपीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार का रवैया देखते हुए हमारा विचार है कि जांच सीबीआई को सौंपी जाये। सरकार की तरफ से बताया गया कि ग्वालियर खंडपीठ के आदेषानुसार सीबीआई जांच जारी है। युगलपीठ ने ग्वालियर खंडपीठ में नर्सिंग कॉलेज से संबंधित 40 याचिकाओं को मुख्यपीठ में स्थानातंरित करने के आदेष जारी किये है। याचिकाओं पर अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की गयी है।
                        याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट एसोसियेशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में प्रदेश में फर्जी तरीके से नर्सिंग कालेज संचालित होने को चुनौती दी गयी थी। याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गयी वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे है। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है। कुछ कॉलेज सिर्फ  चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे है। ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है।
                             याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि 80 कॉलेज में ऐसे है जिसमें एक व्यक्ति उसकी समय में कई स्थानों में काम कर रखा है। दस कॉलेज में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य है और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ो किलोमीटर है। टीचिंग स्टॉफ  भी एक समय में पांच-पांच कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहा था। माइग्रेट फैक्लटी के नाम पर भी फर्जीवाडा किये जाने को मामला हाईकोर्ट के समक्ष उठाया गया था।
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग रजिस्टेशन कौसिंल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित कर प्रषासक नियुक्त करने के आदेष जारी किये थे। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि आदेष के बावजूद भी सरकार ने प्रषासक को हटाकर रजिस्टार को नियुक्त कर दिया है। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि सुनीता सिजू के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही नहीं की गयी है। हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए डीएमई को उसी दिन षाम 4 बजे तक तलब होने के आदेष जारी किये थे।
                                देर से पहुॅचने के कारण उस दिन डीएमई न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हो पाये थे। डीएमई अरुण श्रीवास्तव अगली सुनवाई दौरान डीएमई ने पूर्व रजिस्टार के खिलाफ उचित कार्रवाई के संबंध में षपथ-पत्र प्रस्तुत करते हुए माफी मांगी थी। सरकार की तरफ से आश्वासन दिया कि दो सप्ताह के भीतर नव पदस्थ रजिस्ट्रार को हटा दिया जाएगा।
                             याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेष की गयी रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद उक्त तल्ख टिप्पणी की। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि ग्वालियर खंडपीठ ने सिर्फ 364 नर्सिंग कॉलेज की सीबीआई जांच के निर्देष दिये है,प्रदेष में 670 नर्सिंग कॉलेज संचालित हो रहे है। जिसके बाद युगलपीठ ने उक्त आदेष जारी किये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की।

 


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