बुंदेलखंड की डायरी ; पानी को लेकर सागर में संकट की आहट
रवीन्द्र व्यास
बुंदेलखंड और देश दुनिया में सनातन की अलख जगाने वाले बाबा बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के सामने आने के बाद अब बुंदेलखंड में बाबाओँ की बहार है | आये दिन कोई ना कोई अपनी परालौकिक शक्ति के चमत्कार दिखा रहा है | सागर संभागीय मुख्यालय इन दिनों पेयजल संकट से जूझ रहा है | मौसम अगर समय पर मेहरबान नहीं हुआ तो हालात और भी विकराल रूप धारण कर लेंगे | वहीँ दमोह जिले में बासनी गांव के लोगों ने पानी को लेकर चुनाव का बहिष्कार किया ,बाद में आश्वासन पर माने भी ,पर नहीं हुआ समाधान | सागर और दमोह जिले में फैले वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व बाघों की संख्या बढ़ने के बाद अफ्रीकन चीतों के लिए फिर से एक बार प्रयास शुरू किये गए हैं |
नाम सागर है पर जल संकट इसकी स्थाई नियति बन गया है | दरअसल यहां जिस राजघाट बांध पेयजल परियोजना से पानी प्रदाय किया जाता है उसके जल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है | वर्तमान जलस्तर को देखते हुए माना जा रहा है कि सिर्फ ३० दिन का पानी शेष बचा है | गर्मी के मौसम में औसतन प्रतिदिन औसतन 4 से 5 सेंटीमीटर पानी बांध से प्रदाय किया जाता है | आशंका जताई जा रही है कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो मध्य जून तक सागर वासियों को पानी के लिए परेशान होना पड़ेगा |
सागर में राजघाट बांध से पानी प्रदाय किया जाता है , | बेबस नदी पर बने राजघाट बांध में पानी का स्तर बनाये रखने के लिए ही यहां बेबस नदी पर ही परकुल मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत बांध का निर्माण किया गया था। पिछले वर्ष ही इस बाँध का निर्माण हुआ , और इस वर्ष यह बाँध भी राजघाट को पानी देने की स्थिति में नहीं था | नतीजतन राजघाट का जल स्तर घट गया और जल संकट की आहट सुनाई देने लगी | 515 मीटर ऊंचे राजघाट बाँध को सागर जिले में जिस बेबस नदी पर बनाया गया है वह भी मानसूनी नदी ही है |
सागर में जल संकट के हालात पैदा होने की आशंका के चलते नगर निगम प्रशासन हरकत में आया | उसने बाँध के मौके पर पहुंचकर पम्पों के माध्यम से पानी एकत्र करने की योजना बनाई है | इस दौरान यहां लोगों से अपील भी की है कि टोंटियां लगाए व्यर्थ पानी न बहने दें टाटा के टेस्टिंग पर भी रोक लगाई गई है |
बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज
दमोह नगर से मात्र १५ किमी दूर एक गाँव है बासनी जहां के ग्रामीण पीने के पानी के लिए दूसरे गांवों पर आश्रित है। हालात से नाराज ग्रामीणों ने पानी की समस्या को लेकर 26 अप्रैल को मतदान का बहिष्कार भी किया था। मतदान के लिए मनाने गए प्रशासन के अधिकारियों ने भी गांव वालों की समस्या को जायज माना था | असल में इस गाँव के लोग एक कुंए और कुछ हैंडपंप से गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। पीएचई द्वारा की गई जांच में पाया गया कि कुएं और हैंडपंप का पानी पीने योग्य ही नहीं है ।
दिलचस्प है कि बासनी गांव में जल निगम के रिकार्ड में नियमित पानी सप्लाई भी हो रही थी। वह भी उस टंकी से जो महीनों से बंद पड़ी थी , इस टंकी से गाँव में उस पाइप लाइन से पानी प्रदाय किया जा रहा था जो पाइपलाइन भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त थी । कलेक्टर ने 3 दिन में ग्रामीणों को पाइपलाइन से पानी प्रदाय करने के निर्देश जल निगम को दिए थे। निगम के ठेकेदार ने गाँव में कुछ दिन कार्य किया इसके बाद काम बंद कर चलता बना | अब गाँव वालों के सामने दोहरी समस्या खड़ी हो गई है , पहले जिन कुंआ और हैंडपंप से पानी का उपयोग कर लेते थे ,अब उससे भी पानी लेने से दर रहे हैं इसकी वजह भी है, पीएचई द्वारा इनके पानी को पीने योग्य नहीं पाया है | इसके बाद से गाँव वाले इसका पानी लेने से भी डरने लगे हैं | अब गाँव वालों को कौन बताये कि मतदान के बाद तंत्र अपने ही ढंग से चलने लगता है |
बुंदेलखंड में चीतों की बसाहट के लिए जतन
जब देश में अफ्रीकी चीतों को देश में बसाने की पहल हो रही थी ,उस समय जो वन अभ्यारण्य चिन्हित किये गए थे , उनमें बुंदेलखंड का नौरादेही अभ्यारण्य भी था | 2011 में अफ्रीका से नौरादेही आई टीम ने सर्वे कर इसे चीता की बसाहट के लिए अनुकूल पाया था । इसके बाद बहुत कुछ तैयारियां भी हुई , यहां के तत्कालीन अधिकारी अफ्रीका प्रशिक्षण के लिए गए | 2012-13 में वन क्षेत्र में बसे 72 गांव को विस्थापित करने का प्लान तैयार किया गया , जिसमें से 30 गांव पूर्ण रूप से विस्थापित भी हो चुके हैं।
सागर और दमोह जिले में फैले ( नौरादेही अभ्यारण्य) वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में अब अफ्रीका के चीते बसाने को लेकर एक बार फिर तैयारी शुरू की गई है | यहां गौर गाय को बसाया जाएगा ताकि वे २ हजार हेक्टयर में फैले ऊँचे घास के मैदानों को साफ़ कर सकें । इसके पीछे वजह बताई जाती है कि चीता ऊँचे घास में अपने शिकार को नहीं तलाश पाता है | इसके बाद चीता के लिए स्थितियां अनुकूल हो जाएंगी | ये अलग बात है कि इससे हिरन वर्ग के जीवों के सुरक्षित ठिकाने काम हो जाएंगे | रिजर्व के अधिकारी अब इस बात का सर्वे कराएंगे कि गौर गाय के रहवास के लिए यहां स्थितयां अनुकूल हैं अथवा नहीं , उसके बाद ही चीता की बसाहट पर योजना आगे बढ़ेगी |
बुंदेलखंड के बगैर पर्ची वाले बाबा
दमोह जिले की सुनार नदी के तट पर बसा हटा नगर जिले की प्राचीनतम तहसीलों में से एक है | बुंदेलखंड की उपकाशी कहलाने वाले हटा के आचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री दरबार इन दिनों सुर्खियां बटोर रहा है | बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी पर्चा लिख कर लोगों की समस्या बताते हैं , वहीँ आचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री अपने दरबार में आने वाले लोगों का भूत ,भविष्य,वर्तमान उसका चेहरा देख कर बता रहे हैं | उनके द्वारा लोगों का चेहरा देख कर दूर की गई परेशानियों को देख कर अब बड़ी संख्या में लोग उनके दरबार में पहुँचने लगे हैं |
‘श्री सरकार धाम’ नाम से लगने वाले उनके इस दरबार पर स्थानीय लोगों का विश्वास बढ़ता जा रहा है | लोग मानते हैं कि बाबा से मिलने के बाद उनके सारे रुके काम पूरे हो जाते हैं। किसी के घर की अशांति दूर हुई तो किसी का रुका पासपोर्ट दरबार से लौटते ही मिल गया | फिलहाल धर्मेंद्र शास्त्री जी सहज सरल माने जाते हैं और सबको आसानी से मिल जाते हैं ,|