श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख योद्धा, आचार्य श्री धर्मेन्द्रजी महाराज के सद्कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता -पं. अशोक त्रिपाठि 

महावीर अग्रवाल 

मंदसौर १६ जनवरी ;अभी तक; बहुप्रतीक्षित अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के साथ मंदिर का शुभारंभ होने जा रहा है। श्रीराम जन्म भूमि के लिये चलाये गये आंदोलन में जहां कई कारसेवकों, संत महात्माओं ने  अपने प्राणों तक की आहुति दे दी। उनकी आत्माएं आज अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शुभारंभ पर प्रफुल्लित हो रही होगी।
                                       श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में प्राण फूंकने वाले में सबसे प्रमुख संतों में पंचखण्ड पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी श्री धर्मेन्द्रजी महाराज की मुख्य भूमिका रही, उन्होंने ही 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या पहुंचकर ‘‘कारसेवा’’ की घोषणा की थी तथा हजारों कारसेवक जैसे तैसे अयोध्या पहुंचे तथा वहां कई संत महात्माओं के शोयपूर्ण भाषण हुए। ‘‘इंडिया टूडे’’ पत्रिका के संवाददाता वरिष्ठ पत्रकार अक्षय कुमार जैन ने अपनी रिपोर्टिंग में लिखा था कि आचार्य श्री धर्मेन्द्र के ओज एवं जोशपूर्ण आव्हान से कारसेवकों में इतना जोश भर गया कि उन्होंने बाबरी मस्जिद को देखते ही देखते जमींदोज कर दिया। वरिष्ठ पत्रकार अक्षयकुमार जैन ने लिखा था कि यदि आचार्य धर्मेन्द्र ये नारा नहीं लगाते कि ‘‘जिस हिन्दू का खून न खोले खून नहीं वो पानी है’’। वैसे ही महाराष्ट्र के शिव सैनिकों में इतना जोश आ गया कि देखते ही देखते उन्होंने मस्जिद का ढांचा ढहा दिया।
सीबीआई की विशेष अदालत तथा हाईकोर्ट में जिन संतों, हिन्दू नेताओं पर मुकदमें दर्ज हुए उनमें सबसे प्रथम आरोपी सनातन धर्म के अद्वितीय व्याख्याकार श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख योद्धा, विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल के सदस्य, धर्मधाम गीता भवन मंदसौर के संस्थापकों में प्रमुख तथा मेरे सद्गुरूदेव आचार्य स्वामी श्री धर्मेन्द्रजी महाराज (पंचखण्ड पीठाधीश्वर विराटनगर जयपुर) थे। जिन्हें 28 वर्ष बाद सीबीआई की विशेष अदालत एवं हाईकोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया तथा अदालत के फैसले के बाद आचार्य श्री धर्मेन्द्र झारखण्ड में अपने धार्मिक आयोजन में जा रहे थे तो दिल्ली में आडवानीजी से मिलने गये (ये चित्र उसी अवसर का है)। आडवानी ने उन्हें गले लगाते हुए कहा कि आपके प्रयास सफलता की ओर है। आज आचार्य श्री धर्मेन्द्र हमारे बीच नहीं है। सितम्बर 2022 को आप ब्रह्मलीन हो गये। लेकिन उनके सद्कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे सद्गुरू देव एवं राष्ट्र के महान संत आचार्य स्वामी श्री धर्मेन्द्रजी महाराज के श्री चरणों में कोटी-कोटी नमन।