उत्कृष्ट भावना से दान पुण्य करें, दान की महत्ता को समझे- श्री पारसमुनि

महावीर अग्रवाल 
मन्दसौर १३ अक्टूबर ;अभी तक;  जैन आगम (शास्त्रों) में दान के चार प्रकार बताये है। अन्नदान, औषधदान, अभयदान, ज्ञानदान। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमतानुसार दान देना ही चाहिये। दान देने से एक और तो हमारा पूण्य कर्म बढ़ता तो दूसरी और दान से हमारा अगमा भव भी निर्धारित हो जाता है। दान देने से सदैव ही शुभ व पूण्य फल मिले ऐसा हमें प्रयास करना चाहिये।
                                    उक्त उद्गार  प.पू. जैन संत श्री पारसमुनिजी महाराज ने कहे। आपने शुक्रवार को धर्मसभा में कहा कि दान हमेशा उत्कृष्ट भावना से देना चाहिये। दान देने के बाद पछताना नहीं चाहिये कि मैंने व्यर्थ में धन खर्च कर दिया। आपने दानवीर कर्ण का वृतांत बताते हुए कहा कि कर्ण ने ब्राह्मण वेश में आये इन्द्र को दान के रूप में अपने कवच व कुंडल दे दिये। जबकि वे कवच व कुंडल उसके प्राणों के लिये जरूरी थे। अर्थात दान देने वाले व्यक्ति को कर्ण जैसी उत्तम भावना रखनी चाहिये। उत्तम भावना से दिया गया दान सदैव शुभ व पुण्यफल देता है। आज भी पूरे संसार में दानवीर कर्ण की उपमा दानदाताओं के लिए की जाती है। हम भी कर्ण से प्रेरणा ले।
उत्कृष्ट भावना से दान दे- संतश्री ने कहा कि दान की महत्ता को हमें अपने जीवन में समझना ही चाहिये। दान देते समय हमारे मन में उत्तम विचार हो। दान के बदले कोई अपेक्षा नही रखनी चाहिये। जब उत्तम भावना से दान दिया जाता है तो उसका फल कई गुणा अधिक हो जाता है। आपने शालिभद्रजी का उदाहरण दिया और बताया कि पूर्व भाव में शालिभद्र ने उत्तम भावना से मुनिगणों को खीर का आहार वेराया था उसी के पुण्य कर्म के कारण अगले भाव में शालिभद्रजी को उत्तम कुल मिला।
पापकर्म किसी का पीछा नहीं छोड़ते- संतश्री अभिनंदनमुनिजी ने कहा कि यदि पाप कर्म करोगे तो उसका फल हमें भोगना ही पडेगा। जो कर्म हम हंसते हुए करते है वे कर्म यदि अशुभ व पाप है तो उनका फल हम रो-रो कर भुगतना पड़ता है। कर्म के बंधन से कोई भी प्राणी नहीं छूट सकता। आपने मृग लोढा का वृतान्त बताते हुए कहा कि पूर्व भव में उसने राजा के रूप मे ेंखुब पाप किये। शराब मास का भषण किया। अहंकार में आकर लोगों को अनावश्यक दण्ड दिया उसके परिणाम स्वरूप उस राजा को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जन्म लेना पड़ा जिसके पांचों इन्द्रियां सही नहीं थी। उसने आपने जीवन में जो कर्म किये थे उसके परिणामस्वरूप राजा के घर में जन्म लेने के बावजूद तहखाने में उसका जीवन बिताया। इसलिये जीवन में कर्मो के प्रति सचेत रहे।
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रूपचांद आराधना भवन में नवगृह पूजन का आयोजन
मन्दसौर। 11 अक्टूबर से चौधरी कॉलोनी स्थित रूपचांद आराधना भवन में पांच दिवसीय पंचाहिका महोत्सव का आयोजन श्री केशरिया आदिनाथ श्रीसंघ के द्वारा किया जा रहा है। शुक्रवार का इस महोत्सव के तृतीय दिवस रूपचांद आराधना भवन के प्रवचन हाल में नवगृह पूजन का आयोजन किया गया। लाभार्थी परिवारो ने सभी नो गृहों का पूजन किया। प्रातः 9 से 11.30 बजे तक आयोजित इस महापूजन में बड़ी संख्या में धर्मालुजन शामिल हुए। साध्वी श्री अर्हताश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 4 की पावन प्रेरणा व निश्रा में आयोजित इस नवगृह पूजन में विधि कारक के रूप में अमित जैन आकोदिया वाले ने पूजन की विधि सम्पन्न कराई।
आज विश स्थानक पूजन होगा, रविवार को रथयात्रा निकलेगी- 14 अक्टूबर शनिवार को प्रातः 9 से 11.30 बजे तक विश स्थानक पूजन व 15 अक्टूबर रविवार को प्रातः 8.30 बजे रथयात्रा का आयोजन केशरिया आदिनाथ श्रीसंघ के द्वारा किया जायेगा। धर्मालुजन धर्मलाभ