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पशुपालन विभाग का बड़ा कारनामा ;जंगल में फेंक दी गई पशुओं को लगाई जाने वाली वैक्सीन

दीपक शर्मा

पन्ना ९ जुलाई ;अभी तक; पन्ना जिले में पशुपालन एवं डेयरी विभाग का, बड़ा कारनामा उजागर हुआ है। पशुओं को बीमारी से बचाने चलाए जा रहे, राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम, एनएडीसीपी के तहत, कृषकों एवं पशुपालकों के गौ एवं भैंस वंशीय पशुओं को, निशुल्क लगाई जाने वाली, भारी मात्रा में लाखों कीमती वैक्सीन जंगल में फेंक दी गई हैं। मामला बाराछ रोड का है, जहां भारी मात्रा में मुंह पका खुर पका एवं अन्य बीमारियों से बचाव करने वाली वैक्सीनों का ढेर देखा गया है। जिनमें कुछ एक्सपायरी डेट की, और कुछ अगस्त 2024 में एक्सपायर होने वाली वैक्सीन शामिल हैं।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग पन्ना के, उपसंचालक डॉ डीपी तिवारी से संपर्क करने पर, उनके द्वारा बाहर होने का हवाला देकर बात करने से इनकार कर दिया, जबकि डॉ तिवारी कार्यालय में ही थे, जो कुछ देर में कलेक्ट्रेट जाने के नाम पर निकल गए। पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार को फोन करने पर, उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया, कई बार फोन करने पर, अपर कलेक्टर नीलांबर मिश्र के द्वारा एसडीएम संजय नागवंशी से संपर्क करने की बात कही गई, लेकिन एसडीएम संजय नागवंशी अजयगढ़ में थे, इस प्रकार मामले में किसी के भी द्वारा जानकारी लेने या देने में रुचि नहीं दिखाई गई।

पन्ना जिले में पशुपालन एवं डेयरी विभाग के, महत्वपूर्ण कार्यक्रम और योजनाएं, जमीन पर उतरने के बजाय कागजी खानापूर्ति तक सीमित बताई जा रही हैं। लाखों करोड़ों की वैक्सीन और दवाइयां, पशुपालकों को उपलब्ध कराने या पशुओं को लगाने के बजाय, इसी प्रकार कचरे में या जंगलों में फेंक दी जाती हैं।

एक ओर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के द्वारा, कृषि और पशुपालन को विशेष महत्व दिया जा रहा है, बजट में भी पशुपालन को तहत्व दिया गया है, ताकि कृषकों और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाकर, उनके जीवन स्तर में बदलाव लाया जा सके, लेकिन कुछ लापरवाह अधिकारियों की वजह से, अधिकांश योजनाएं पशुपालकों से दूर हैं। इस संबंध में पशुपालकों से बात करने पर पता चला है कि, कुछ खास लोगों के पशुओं को ही वैक्सीन लगाई जाती है, आम साधारण पशुपालक और किसानों के पशुओं को, वैक्सीन नहीं लगाई जाती, जिससे बरसात के दौरान पशु मुंह पका, और खुर पका, जैसी बीमारियों के शिकार होकर बेमौत मर जाते हैं। सरकार द्वारा पशुपालकों के पशुओं का घर पहुंच कर इलाज करने पशुधन संजीवनी योजना चलाई गई है, जिसके तहत पशुपालक के 1962 पर कॉल करने पर, पशुधन संजीवनी वाहन से चिकित्सक के द्वारा मौके पर पहुंचकर, बीमार पशुओं का इलाज किया जाता है, लेकिन यह योजना भी कागजी खानापूर्ति तक सीमित है, और कुछ खास लोगों को ही इसका लाभ मिल पा रहा है। आम साधारण किसान और पशुपालक इस योजना के लाभ से भी वंचित हैं।

पन्ना जिले में पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपसंचालक, डॉ डीपी तिवारी की उदासीनता से, पशुओं के स्वास्थ्य एवं अन्य व्यवस्थाओं के लिए चलाई जा रही योजनाएं कागजी खानापूर्ती तक सीमित बताई जा रही हैं। दवाइयां एवं वैक्सीन जंगलों में फेंकी जा रही हैं। पशुपालकों के द्वारा, मामले की संभाग या प्रदेश स्तरीय दूसरे विभागों के अधिकारियों की टीम से, जांच करवा कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपेक्षा की गई है, ताकि इस प्रकार की मनमानी धांधली और भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके।

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