प्रदेश

नगर पालिका अध्यक्ष ने पति को बनाया दिया प्रतिनिधि

आनंद ताम्रकार

बालाघाट 25 अगस्त ;अभी तक;  मध्यप्रदेश में वारासिवनी नगर पालिका के कामकाज कुछ इस तरह चल रहे है जिनके चलते कानून कायदों को ताक में रख दिया गया है। इन्हीं विसंगतियों के चलते न.पा. अध्यक्ष ने अपने ही पति मनोज दांदरे को अपना प्रतिनिधि बना दिया जिसके चलते पति की दखलंदाजी नगर पालिका के कामकाज में बढ गई है और नगर पालिका के कर्मचारी अधिकारी उसके आगे नतमस्तक होकर हुकुम अर्दली में लगे दिखाई दे रहे है।

                               इस संबंध में मुख्य नगर पालिका अधिकारी से जब पूछा गया की अध्यक्ष ने किस अधिकार के तहत अपने पति को अपना प्रतिनिधि बनाया है उनका जवाब था की आप नगर पालिका अध्यक्ष से ही इसका जवाब मांगिये। उन्होंने यह भी कहा की पति को अपना प्रतिनिधि बनाने का कोई नियम नहीं है।

                       इस मामले में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सुश्री कामिनी ठाकुर जी को अवगत कराये जाने के बाद उन्होंने कहा की शासन के स्पष्ट निर्देश है की प्रमुख पदों पर निर्वाचित हुई महिलाओ के पति की दखलंदाजी प्रशासनिक कार्यो में नही होनी चाहिये इस आशय के दिशा निर्देश शासन ने जारी किये गये है।

                      आपने मेरे संज्ञान में यह तथ्य लाया है मैं सीएमओ से जानकारी लेकर शासन को अवगत करूंगी।
उन्होने स्पष्ट किया की प्रशासनिक कार्यो में पदासीन महिलाओं के पतियों दखलंदाजी किसी भी स्थिति में नही होनी।
बावजूद इसके नगर पालिका प्रशासन अध्यक्ष के पति के निर्देशों का पालन करती दिखाई दे रही है।

अभी हाल ही में अध्यक्ष के पति के निर्देश पर कमलापत इन में बिजली कनेक्शन देने के लिये लगाये गये ट्रांसफार्मर को वहां से हटा दिया गया जबकि इसके पूर्व ट्रांसफार्मर लगाये जाने के लिये नगर पालिका द्वारा एनओसी जारी की गई थी।

इसी प्रकार वारासिवनी नगर में 1 साल अस्थाई लीजधारियों द्वारा दुकान मरम्मत कराने के नाम पर अनुमति लेकर पक्का निर्माण आरसीसी स्लेब और कालम डालकर किया जा रहा है लगभग 10 दुकानें 2 मंजिला बन रही है।

इस संबंध में आपत्ति दर्ज कराये जाने के बाद नगर पालिका की ओर से औपचारिकता पूर्ण करते हुए निर्माण कार्य बंद करने के नोटिस जारी कर दिये लेकिन दुकानों का निर्माण कार्य निरंतर जारी है।

दुकान का निर्माण कर रहे अस्थाई लीजधारियों से लाखों रुपये के लेनदेन किए जाने की चर्चा नगर में है इसी कारण कागजी नोटिस भेजकर खानापूर्ति कर दी गई है लेकिन निर्माण कार्य रुकवाने में सीएमओ को पसीना आ रहा है।

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