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प्रेमचन्द ने असमानताओं, रूढ़िवादी संस्कारों और अन्धविश्वसों के के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द की

महावीर अग्रवाल
      मन्दसौर ३ अगस्त ;अभी तक;   जिस समय भारतीय समाज अनेक असमानताओं,रूढ़िवादी संस्कारों,और अंधविश्वासों से जूझ रहा था, ऐसे समय में प्रेमचन्द लोगों के दुःख दर्द की एक मजबूत आवाज़ बने।
                                    यह उद्गार व्यक्त किये प्रगतिशील लेखक संघ के पूर्व अध्यक्ष और शिक्षा विद श्री कैलाश जोशी ने।वे प्रगतिशील लेखक संघ इकाई मन्दसौर द्वारा प्रेमचन्द जयंती के अवसर पर गोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि  प्रेमचन्द ने दलित वंचित और पीड़ित समाज के संघर्ष को अपने लेखन के माध्यम से वैचारिक धार दी। प्रेमचन्द साहित्य को जीवन की आलोचना मानते हैं। उनकी मान्यता है कि साहित्य का जो भी स्वरूप या विधा हो उसका उद्देश्य हमारे जीवन की आलोचना और व्याख्या होना चाहिए।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश प्र.ले.सं. के प्रांतीय सचिवमण्डल सदस्य असअद अन्सारी ने कहा कि प्रेमचन्द ने अपने लेखन के माध्यम से संप्रदायीयकता और  सामाजिक ग़ैर बराबरी का पुरज़ोर विरोध किया।
उन्होंने कहा प्रेमचन्द के साहित्य के अध्ययन से एक सन्देश स्पष्ट मिलता है कि जिस साहित्य में जीवन की समस्याएं न हों और जिसमें  हमारी आत्मा को स्पर्श करने की शक्ति न हो हो वह निर्जीव साहित्य है। साहित्य हमारे अंदर सद्भावनाओं का संचार करता है। प्र.ले.सं. के उपाध्यक्ष डॉ. स्वप्निल ओझा ने इस अवसर  पर कहा कि आज भी भरतीय समाज रूढ़िवादिता और अन्धविश्वस की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है और वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था सामाजिक असमानता और जातिवाद को बढ़ावा दे रही है। वरिष्ठ रंगकर्मी और फ़िल्म डायरेक्टर प्रदीप शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि सामाजिक पाखंडों पर प्रेमचन्द अपने लेखन के माध्यम से तीखा प्रहार किया है,उन्होंने शोषितों पीड़ितों की आवाज़ को शिद्दत के साथ बुलंद किया है।इस अवसर पर युवराज राठौड़ ने नमक का दरोग़ा कहानी पर अपने विचार व्यक्त किये। फ़ैनी जैन ने दो बेलों की कथा का सार प्रस्तुत करते हुवे विचार रखे। अर्पित सैन ने गोदान का ज़िक्र करते हुवे प्रेमचन्द की कहानियों की वर्तमान में प्रासंगिकता को प्रतिपादित किया।कार्यक्रम में प्रेमचन्द के साहित्य पर प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया जिसमें हमन्त कछावा,फ़ैनी जैन, सोनू गुप्ता, तालिब वारसी ने सहभागिता की।सहभागियों को उपहार प्रदान किये गए।सर्वाधिक सही जवाब सिमरन बेलानी ने दिए।इस अवसर पर शायर डी.जे.सिंह ने ग़ज़ल और महेश सोलंकी ने कविता सुनकर दर्शकों का मन मोह लिया।कार्यक्रम का प्रारम्भ नरेंद्र सगोरे और राजकुमार गुप्ता के  प्रेरणा दायक गीतों और ग़ज़ल से हुवा।कार्यकर्म में श्रीमती हेमलता गुप्ता,अदिति शर्मा ईश्वर कुमावत,ब्रजेश आर्य,एम.लोकेश शर्मा यू.अन्सारी इप्टा  की प्रांतीय कार्यकरिणी सदस्य हूर बानो सैफ़ी उपस्थित थीं। संचालन असअद अन्सारी ने किया और
आभार वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश गुप्ता ने माना।

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