सागर विधानसभा सीट जीतने के लिए ३० वर्षों से तरसती कांग्रेस  

रवींद्र व्यास 

 सागर विधानसभा सीट का इतिहास भी सागर की ही तरह रहा है ।   ऐतिहासिक शहर सागर की स्थापना का उल्लेख 1660 ए डी का माना जाता है यह शहर अपनी कई विशेषताओं के कारण जाना जाता है ये बुंदेलखंड की वह पुण्य भूमि है जहाँ सर्वप्रथम निजी प्रयासों से सर हरिसिंह गौर ने विश्वविद्यालय स्थापित कर ,ज्ञान का प्रकाश फैलाया था एक बंजारे ने यहाँ अपने ही बल पर यहाँ एक विशाल झील खोद डाली थी ,जिसके नाम पर यह लाखा बंजारा तालाब कहलाता है शहर के शिव ,हनुमान और कृष्ण मंदिर मी भक्ति की अद्वितीय धारा प्रवाहित होती है सागर में प्रदेश का इकलौता केंद्रीय विश्वविद्यालय है  ,एक निजी विश्वविद्यालय है फ़िल्मी दुनिया में भी यहाँ के कई लोग हैं मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों सागर जिले का अच्छा खासा प्रभुत्व  है |

                                         1952 से 1990 तक   के   चुनावों में यहां कांग्रेस  का ही प्रभुत्व रहा है ये वो  विधानसभा क्षेत्र है जहां १९७७ में भी कांग्रेस जीती थी ,पर बीते ३० वर्षों से यहां  कांग्रेस जीत के लिए तरस रही है |  हालंकि यहाँ  समाजवादी पार्टी के बड़े नेता होने के बावजूद  कभी उन्हें चुनावी सफलता नहीं मिली |  | 1977 के बाद हुए चुनाव में समाजवादी नेता हांसिये पर पहुँचते गए और बीजेपी का प्रभुत्व बढ़ता गया |  1993 का वह समय भी आया जब यहाँ कांग्रेस का जनाधार घटने लगा था १९९३ में बीजेपी की सुधा जैन 669 मत से चुनाव जीत कर पहली बार यहाँ बीजेपी का खाता खोला था फिर यह सिलसिला जारी रहा और अब तक बरक़रार है |सुधा जैन  यहां से तीन बार विधायक रही पिछले तीन विधानसभा चुनाव से यहाँ बीजेपी के शैलेन्द्र जैन चुनाव जीत रहे हैं |

                                       संभाग मुख्यालय की इस सीट के राजनैतिक चरित्र का असर संभाग के अन्य जिलों में भी देखने को मिलता है ज्ञान ,धर्म की इस नगरी को  कभी बड़े बीड़ी और अगरबत्ती उद्योग के लिए जाना जाता था |  सागर विधानसभा सीट  अपने अलग राजनैतिक चरित्र के लिए जानी जाती है |  यहाँ जातीय समीकरण कम चले ,,विचारों के प्रवाह ज्यादा चले |  |शहरी आबादी वाले इस  विधान सभा  क्षेत्र   में    लाख 04  हजार 067  मतदाता में  1 लाख 54  हजार 06   पुरुष और  98  हजार 648  महिला मतदाता हैं जबकि १३ अन्य मतदाता हैं  |

                                 हिन्दू आबादी बाहुल्य इस  विधानसभा क्षेत्र को जीतने के लिए कई राजनैतिक षड्यंत्र भी किये गए ||  सागर  का राजनैतिक मिजाज कम ही बदलता  देखा गया है जिसके साथ हो लिए  तो साथ तब तक नहीं छोड़ा जब तक कोई बड़ा आधार ना हो पिछले चुनावी परिणाम तो कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे हैं | 38 साल कांग्रेस को जिताया तो चालीसवे वर्ष में कांग्रेस से ऐसा मोह भग हुआ कि अगले ३० साल तक फिर कभी नहीं जिताया |

                                        2003 के  विधानसभा चुनाव में यहाँ से बीजेपी की सुधा जैन ने कांग्रेस के सुशील तिवारी को 8524 मत से हराया था दोनों के मतो में 8. 15 फीसदी का अंतर थाअब तो सुशील  तिवारी भी बीजेपी में आ गए हैं  | 2008 के चुनाव में यहाँ से चुनाव लड़े  शैलेन्द्र जैन ने    कांग्रेस के पूर्व मंत्री प्रकाश जैन  को 20851  मत से हराया था दोनों के मत में 24. 18 फीसदी का अंतर था |  2013  के चुनाव में  बीजेपी के शैलेंद्र जैन ने कांग्रेस के सुशील तिवारी को 8223 मत से हराया था इस चुनाव में कांग्रेस को 44. 28  फीसदी  मत और बीजेपी को 51. 16 मत मिले थे | 2018 के चुनाव में यहां फिर कांग्रेस के मत में बड़ी गिरावट देखने को मिली बीजेपी के शैलेन्द्र जैन ने कांग्रेस के नेवी  जैन को 17366 मत से हराकर अपने तमाम विरोधियों के मुंह बंद कर दिए थे |  2018 में भी  यहाँ  कांग्रेस और बीजेपी  के बीच  सीधा मुकाबला  था || यह इलाका पूर्णतः शहरी क्षेत्र वाला है  | कांग्रेस के    कांग्रेस के कर्ज माफ़ी बेरोजगारी भत्ता ,और बिजली के मुद्दे यहाँ एक तरह से बेअसर रहे लोगों को सागर के स्मार्ट सिटी बनने और विकसित होने पर अधिक गर्व रहा इनके अलावा बीजेपी के विधायक शैलेन्द्र जैन की सहज सुलभता  ने भी बीजेपी की जीत में सहायक रही चुनावी समीकरण में अनेको वर्ग और जाती के प्रत्यासी खड़े कर वोट विभाजन का खेल यहाँ सफल नहीं हो पाया |

                                           कांग्रेस ने यहाँ के बड़े कोंग्रेसी नेता सुशील तिवारी  को नजरअंदाज करने का बड़ा खामियाजा उठाया है कभी उन्हें टिकट दिया तो कभी टिकट काटा ये सब यहाँ कोंग्रेस ने जातीय फार्मूले के तहत किया |  जबकि वे जब भी चुनावी मैदान में उतरे उन्होंने कांग्रेस के वोट बैंक में इजाफा ही किया कांग्रेस ने जातीय समीकरण को देख कर २००८ के चुनाव में पूर्व मंत्री प्रकाश जैन को चुनावी मैदान में उतारा था यहाँ के सियासत के जानकार कहते हैं कि यह कांग्रेस की एक बड़ी गलती थी जिसके  कांग्रेस को बड़ा नुकशान हुआ था |  क्षेत्र में शिक्षा  का हब बनाने सागर में एक राज्य विश्वविद्यालय की मांग बीएमसी में  बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सागर में वृहद औद्योगिक इकाई की स्थापना की बात कही जा रही है सागर के व्यापारिक संगठन ने पूर्व में सी एम् को और केंद्र सरकार को एक ज्ञापन भी दिया था जिसमे  मांग की गई थी उत्तर प्रदेश की तरह मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में भी नेशनल हाइवे के किनारे औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाए |हालंकि  औद्योगिक कॉरिडोर विकसित करने की स्वीकृति मिल गई है |

 सागर के अब तक के विधायक

 2008 से 2018: तक तीन बार से बीजेपी के  शैलेन्द्र जैन   विधायक हैं

1993 ,98 ,2003 _   श्रीमती सुधा जैन _बीजेपी

1985 _ 1990 _ प्रकाश जैन कांग्रेस

1977 _198 0 _ शिवकुमार  _ कांग्रेस

1972  _ ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी   _ कांग्रेस

1967 _ डाल चंद्र जैन _कांग्रेस

195 2,, 1957 ,1962  _मो . शफी _कांग्रेस 1957

 २०२३ के विधानसभा चुनावों  के लिए  कांग्रेस के दावेदारों की बढ़ोत्तरी हुई है |  कांग्रेस  सागर के महपौर के प्रत्यासी की तरह  विधान सभा में भी बीजेपी के  विधायक शैलेन्द्र जैन के परिवार से ही चुनाव मैदान में प्रत्यासी बना सकती है इसको देखते हुए  बीजेपी ने भी अपनी अलग रणनीति  बना  ली है यहां के सियासी जानकार कहते हैं कि इस विधानसभा क्षेत्र पर काफी पहले से  खुरई के विधायक और मंत्री भूपेंद्र सिंह की निगाह है उन्होंने अपनी राजनैतिक बिसात भी उसी को देख कर बिछाई है कांग्रेस  का उत्साह यहाँ अपने चरम पर है जिसका लाभ और हानि दोनों देखने को मिल रहा है |

आने वाले चुनाव में  खराब कानून व्यवस्था प्रशासनिक  निरंकुशता ,  बेरोजगारी ,महंगाई और भ्रष्टाचारके साथ ओबीसी के आरक्षण  का  मुद्दा कांग्रेस के  प्रमुख चुनावी हथियार होंगे |  जबकि बीजेपी विकाश स्मार्ट सिटी दलितों को साधने के लिए बनाये जा रहे संत रविदास मंदिर लाड़ली बहना योजना जैसे मुद्दों के अलावा यहां एक और विश्वविद्यालय की घोषणा  कर सकती है |