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एनडीपीएस की धारा 08/18 एवं 08/29 मे संशोधन कर निर्दोष किसानों को न्याय प्रदान करे
महावीर अग्रवाल
मंदसौर २० सितम्बर ;अभी तक ; किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर नई दिल्ली में सांसद सुधीर गुप्ता ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से भेंट की एवं संसदीय क्षेत्र के अफीम किसानों के संबध में विभिन्न विषयों में विस्तारपूर्वक चर्चा की।
सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि वर्ष 1995-96 वर्ष के पश्चात के वे सभी अफीम कृषक जो किसी कारण से लाइसेंस में अपात्र हो गये थे और जो अपराधी नही है ऐसे समस्त कृषकों को लाइसेंस प्रदान किए जावे । साथ ही मार्फीन औसत को 5.9 से कम करके 3.5 किया जावे ।सीपीएस पद्धति से अफीम खेती करने वाले किसान जिन्होंने पूर्व के वर्षों में चीरा पद्धति के दौरान 3.5 की मार्फीन औसत जमा करवायी थी उन्हें इस वर्ष चीरा पद्धति में शामिल किया जावे । ऐसे किसान जो पूर्व के वर्षों मे लाइसेंस हेतु पात्र थे किन्तु किसी कारण से लाइसेंस प्राप्त करने से वंचित रह गए थे उन्हें वर्ष 2024-25 में लाइसेंस प्रकिया में शामिल किया जावे ।
सांसद ने गुप्ता ने कहा कि मृतक नामांतरण प्रक्रिया को और अधिक सुगम करने की आवश्यकता है, अफीम नीति के प्रावधान अनुसार लाइसेंस प्राप्त करते समय किसान द्वारा फार्म संख्या 1 में वर्णित उत्तराधिकारी/नामित व्यक्ति (नॉमिनी) का नाम कृषक द्वारा स्वेच्छा से लिखा जाता है उसे ही वैध वारिस मान्य करके किसान की मृत्यु होने पर शेष परिवार के सदस्यों/ वारिसो की सहमति और अनावश्यक औपचारिकताओ के स्थान पर फाॅर्म संख्या 1 में दर्ज उत्तराधिकारी/उत्तराधिकारीयों (नॉमिनी) में ही सहमति के आधार पर लाइसेंस नामांतरण कर दिया जावे। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष प्रकृति और परिस्थितियां समान नहीं रहती है जिससे एक समान मार्फिन, औसत को प्राप्त किया जा सके इसके लिए लाइसेंस अैेसत की गणना में विगत पांच वर्षों की मार्फीनऔसत के आधार पर लाइसेंस वितरण किए जाएं जिससे किसान अधिक परिश्रम करके विभाग को ज्यादा औसत देने के लिए प्रोत्साहित होंगे। साथ ही अफीम नीति को सितम्बर माह के द्वितीय सप्ताह मे ही घोषित की जावे ताकि पात्र कृषक समय पर अपने दस्तावेज जमा करा पायेंगे व विभाग पर कार्य का दबाव भी कम रहेगा साथ ही नये लाइसेंस समय पुर्व जारी होने से पारदर्शिता बढ़ेगी व कृषकों को मुखिया और अधिकारियों से संपर्क करने के बजाय अपनी बात दस्तावेजो के साथ प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। सीपीएस पद्धति से जिन कृषकों ने पोस्त भुस अधिक मात्रा मे जमा कराया है उन्हे वर्ष 2024-25 अफीम नीति मे चीरा लगाने की पात्रता श्रेणी मे रखा जा सकता है ताकि चीरा पद्धति की अफीम का क्षे़त्रफल कम न हो। पोस्ता आयात सीबीएन या वित्त मंत्रालय की अनुमति के बिना न हो, और बिना अनुमति के आयात पोस्ता अवैध, दंडनीय या नष्ट करने योग्य घोषित हो।
सांसद गुप्ता ने एनडीपीएस की धारा 08/18 एवं 08/29 मे आवश्यक संशोधन करके निर्दोष किसानों को न्याय प्रदान करने की बात भी कही। ऐसे किसान जिनके निवास स्थान मे परिवर्तन हुआ है उनके अफीम लाइसेंस का स्थानान्तरण एक खण्ड से दुसरे खण्ड या एक प्रदेश से दुसरे प्रदेश मे किया जाना हैं उक्त प्रकिया को सुगम बनाया जावे। ऐसे किसान जिनके लाइसेंस विभागीय अवहेलना या चोरी प्रकरण के कारण निरस्त हो गए थे वर्ष 1995 तक के ऐसे सभी अफीम किसानों को जोड़ा जाए।
उन्होंने कहा कि ऐसे किसान जिनकी अफीम उपज की मार्फीन शक्ति कारखानें में कम बताई जाती है उन किसानों को अफीम सेम्पल की जांच करवाने का अधिकार दिया जावे। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए अफीम लाइसेंस वितरण एवं तौल प्रकिया की तारीख को 15 दिवस पुर्व ही आनलाइन कर दिया जावे जिससे किसान घर से आनलाइन तारीख देख सके। सभी किसानों को समान रूप से 10 आरी के लाइसेंस जारी किया जावे साथ ही जो कृषक उच्च गुणवत्ता पुर्ण मार्फीन औसत देते है उनके लिए बढ़े हुए भावों का टेरिफ बनाया जावे ।सभी किसानों को एक से अधिक प्लाॅटों में अफीम बोने की अनुमति दी जावे।वर्तमान समय कृषकों के कृषि खर्चे की तुलना मे उत्पादित फसल की लागत नही निकलती उस संबंध मे सरकार लगातार एमएसपी मे वृद्धि कर रही है मगर अफीम मुल्यों की बढ़ोतरी नही हो पा रही है। हमारी मांग के पश्चात मूल्य वृद्धि का विषय टेरिफ कमीशन के पास लंबित है आपसे आग्रह है की इस वर्ष मूल्य वृद्धि अवश्य की जावे।
उन्होंने कृषकों के खेत पर खड़ी फसल चोरी होने या जंगली पशु, नीलगाय के द्वारा नष्ट करने से कृषक अपना लाइसेंस खो रहा है कृपया इस विषय को संज्ञान में लेवे । वर्तमान में समय में जब कृषको को लाइसेंस मार्फीन के आधार पर दिए जा रहे है तो ऐसी स्थिति में कच्चे तोल की अनिवार्यत निरर्थक है इसके स्थान पर कृषक अफीम चीरा लगा रहे है केवल इतना रिकॉर्ड किया जाए इससे तोल प्रकिया व मिलान प्रकिया के बीच समय व विवाद से बचा जा सकेगा। पूर्व निर्धारित अफीम नीति में 1998 से 2003 तक लाइसेंस 5 वर्ष की औसत की गणना के आधार पर जारी किए थे उसमें वह किसान वंचित रह गए जिन्होंने इन 5 वर्षों में किसी भी 1 वर्ष अफीम खेती नहीं की थी उन्हें भी इस नीति में शामिल किया जाए।1995-96 से 2023 तक स्वैच्छिक जमा अफीम लाइसेंस जारी करें। मुखिया शिक्षित और मार्फीन ओसत को ध्यान में रखकर बनावे।
साथ ही स्पष्ट निर्देश दे की मुखिया को कार्यालयों में ना बुलाया जावे व किसी भी अफीम अधिकारी से प्रत्यक्ष या पृथक से संपर्क न रखा जावे। एनडीपीएस की प्रक्रिया व धाराओ पर पुन विचार के लिए एक कमेटी गठित की जाए एवं साथ ही डोडाचूरा में मार्फिन की ओसत कम होती है इसलिए इसे एनडीपीएस की परिधि से बाहर किया जावे। जिन कृषको को वर्तमान अफीम लाइसेंस नीति से जोड़ा जा रहा है उन्हें लाइसेंस लेने हेतु अफीम कार्यालय या मुखिया निवास पर न बुलाया जावे । उन कृषको के निवास पर लाइसेंस पहुंचाए जाए या मोबाईल द्वारा सन्देश भेजा जाए।
जो कृषक वर्ष 2013-14 की भीषण ओलावृष्टी में लाइसेंस खोये थे,उन कृषको के पास दस्तावेजी प्रमाण है वो कृषक पूर्ववर्ती वर्षो में प्रक्रिया में नहीं जुड़ पाए उन्हें प्रक्रिया में जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि जब जब लाइसेंस प्रक्रिया में बदलाव हुआ है व सुचना जिन कृषको के पास नहीं पहुंची या समय पूर्ण होने के एक-दो दिन या सप्ताह वह कृषक विभाग में गये मृत्यु दावो को समय पर नही ला सके या नामो के सुधार को नही लागु करवा सके उन कृषको का विशेष केम्प लगाकर लाइसेंस प्रक्रिया से जोड़ा जाए साथ ही 1995-96 से वर्तमान तक जितने भी लाइसेंस धारी किसान परिवार रहे है उन्हें वर्तमान पद्धति या सीपीएस पद्धति अंतर्गत लाइसेंस प्रकिया से पुनः जोड़ा जाए। ताकि पोस्तादाना का उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा और हमारी विदेशो पर से निर्भरता खत्म होगी। लांसिग प्रकिया के अंतर्गत निर्धारित रकबा (हैक्टेयर) को किसी भी परिस्थिति मे कम नही किया जावे। सीपीएस पद्धति अन्तर्गत फसल तैयार होने के पश्चात किसान स्वयं डोडा तोड़कर मुखिया को वजन नोट करा देवे जिससे किसान व विभाग के अधिकारीयों का समय बचेगा और अनावश्यक परेशानियों से बचा जावेगा। तत्कालीन क्षारोद कारखाना मुख्य प्रबंधक शंशाक यादव के खिलाफ भष्ट्राचार के आरोप लगे थे जिससे किसानों के मन मे असंतुष्टि उत्पन्न हुई थी उक्त प्रकरण की जांच कर उस वर्ष के प्रभावित किसानों का राहत प्रदान की बात कही ।
सांसद गुप्ता ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री और मोदी सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है और उसके सकारात्मक परिणाम भी आ रहे हैं। जहाँ पर वर्ष 2014 में अफीम लाईसेंस की संख्या मात्र 18 हजार थी, लेकिन मोदी सरकार के आने के पश्चात अफीम किसानों को खेती में होने वाली समस्याओं को केन्द्र सरकार ने समझा एवं किसानों के हीतों को ध्यान में रखकर प्रतिवर्ष पॉलिसी का निर्माण किया गया, परिणाम स्वरूप अफीम लाईसेंस की संख्या बढ़ रही हैं। इस पर वित्तमंत्री द्वारा पूरा आश्वासन दिया गया कि सरकार किसानों के हित में कोई भी निर्णय लेने से पीछे नही हटेगी।