सती विवाह की कथा सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता
दीपक शर्मा
पन्ना ३ मार्च ;अभी तक; पन्ना सतना राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित बहेरा ग्राम के पास स्थिति झारखंडन देवी मंदिर प्रांगण में आयोजित शिव परिवार प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में शिव महापुराण कथा के चौथे दिन कथा व्यास विजय कृष्ण शास्त्री ने कहा कि एक लाख गेहूं से भगवान शिव का पूजन करें ताकि संतान की प्राप्ति हो सके।
कथा व्यास श्री विजय कृष्ण शास्त्री ने कहा कि ब्रह्मा जी कहते हैं यदि एक लाख पुष्पों से शिवार्चन करें तो मनुष्य का पाप नष्ट हो जाता है, एवं निश्चय ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। जिसे राज्य की कामना हो वह दश करोड़ पार्थिव पूजा से भगवान सदा शिव को संतुष्ट करें, जो सर्वश्रेष्ठ बनना चाहता है वह पचास हजार कमल के पुष्पों से पार्थिव शिवलिंग का पूजन करें, कोई कारागार में है, और वह मुक्त होना चाहता है, तो वह पुरुष एक लाख कमल के पुष्पों से पार्थिव शिवलिंग का पूजन करें, किसी को असाध्य रोग हुआ हो रोग से छुटकारा पाने के लिए पचास हजार कमल के पुष्पों से भगवान का पूजन करें। यश एवं वाहन आदि की प्राप्ति के लिए एक हजार कमल के फूलों के द्वारा पूजा करना चाहिए। मुक्ति चाहने वाले को 5 करोड़ कमल के पुष्पों से शिव का पूजन करना चाहिए। महामृत्युंजय का 5 लाख जप करने से शिवजी प्रत्यक्ष हो जाते हैं। कथा व्यास श्री विजय कृष्ण व्यास जी ने कहा कि 5 लाख जप हो जाने पर तो शिवजी सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं। तुलसी पत्र से पूजन करने पर भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं। एक लाख जबा शिवजी पर अर्पित करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। एक लाख गेहूं भगवान शिव पर चढ़ने से संतान की प्राप्ति होती है। एक लाख मूंग के द्वारा भगवान का पूजन करने से उत्तम सुख की प्राप्ति होती है। ज्वर प्रलाप की शांति के लिए शिव के ऊपर जलधारा देने से महान कल्याण होता है। यदि किसी की बुद्धि जड़ ही हो गई हो तब शिवजी के ऊपर शर्करा मिश्रित दूध की धारा देनी चाहिए। यदि देह में उच्चाटन हो जाए जहां कहीं भी अकस्मात प्रेम अथवा दुख हो जाए तो अपने घर में भगवान शिव के ऊपर जलधारा का प्रयोग करें, जिससे आपके समस्त दुख दूर हो जाते हैं। अगर शत्रु परेशान कर रहे हो तो सरसों के तेल की धार देने से शत्रु समाप्त हो जाते हैं। शहद की धारा द्वारा शिव पूजन करने से कुबेर की तरह धन प्राप्त होता है। शिव के ऊपर इक्षु के रस की धारा सभी प्रकार के आनंद को देने वाली होती है। गंगाजल की धारा भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाली होती है। यह सब जितनी भी जलधारा कहीं गई हैं वे सभी मृत्युंजय से उत्पन्न की गई है। विधान से उसे दश हजार मंत्रों का जाप करना चाहिए और इसके बाद 11 ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए, तो ऊपर बताए गए समस्त उपाय भगवान शिव जी की कृपा से सफल होते हैं, कथा में भगवान शिव सती के विवाह कथा का सुन्दर वर्णन किया गया है। उक्त कथा झारखंडन माता मंदिर मे चल रही है।