मयंक शर्मा
खंडवा २१ अगस्त ;अभी तक; नर्मदा तट की जिले की ज्योंतिर्लिग नगरी ओंकारेश्वर में दो स्वरूपवाले ज्येातिर्लिग ओंकारेयवर व ममलेश्वर की संयुक्त महासवारी सावन के सातवे सोमवार को धूमधाम से नगर भ्रमण पर गुलाब, गुलाल की वर्षा के साथ धूमधाम से निकली और 8 घण्टे के नगर भ्रमण के बाद रात 10 बजे अपने अपने मंदिरो मे लौट आई। आज ही नांग पंचमी का पर्व भी रहा।
दो स्वरूप वाले ज्योजिर्लिग में एक भेालेनाथ नर्मदा के उत्त्री और दूसरे दक्षिणी तट पर विराजमान है। इनके परस्पर मिलन के लिये ओकारेश्व भोलेनाथ का नौैका विहार कर दक्षिण के कोटितीर्थ घाट पर पहुंचना होता है जहां पडितो द्वारा विधि विधाान से पूजन व अभिषेक होता है।
श्रीजी मंदिर ट्रस्ट के पंड़ित आशीष दीक्षित ने बताया कि महासवारी में बग्गी, ऊंट, घोड़े, बैंड व झांकियां शामिल थी। नगर के समाजसेवी व धार्मिक संगठनों ने भी महासवारी का जगह जगह स्वागत किया। भ्रमण दौरान करीब 1 लाख से अधिक श्रद्धालुओका हूजूम साथ था। मंदिर संस्थान के अनुसार ओंकार महाराज की महासवारी दोपहर 2 बजे श्रीजी मंदिर से रवाना होकर कोटितीर्थ घाट पहुंची। यहां भगवान का रुद्राभिषेक किया गया।उधर दक्षिणी तट पर ममलेश्वर महादेव का गोमुख घाट पर अभिषेक हुआ। अभिषेक के बाद दोनों सवारियां नौका भ्रमण करते हुए गोमुख घाट पहुंचकर नगर भ्रमण पर निकली। । यात्रा ममलेश्वर मंदिर, बालवाड़ी, पुराना बस स्टैंड होते हुए मुख्य बाजार से जेपी चैक पहुंचने पर दोनों सवारियां अपने-अपने मंदिरो मे लौट आई।
पूरे दिन तीर्थनगरी बोल बम और भोले शंभू भोलेनाथ के जयघोष की गंज रही। पुलिस और प्रशासन ने भी महासवारी के लिए अपने स्तर पर पुख्ता इंतजाम किये थे। यातायात नियंत्रण और सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस कर्मी तैनात रहे। हरदा से आए राकेश तंवर ने बताया पार्किंग के नाम पर तीर्थनगरी से पहले ही वसूली कर ली गई लेकिन वाहन पार्क करने की जगह नहीं बताई गई। जैसे-तैसे कुबेर भंडारी क्षेत्र पहुंचे।
अधिक मास सहित सावन महीने का आज सातवां सोमवार रहा। जहां ं श्र0ुालुओं के नर्मदा में डुबकी लगाने के बाद नांग मदिरो में पूजा अर्वना की वहीं ज्योंतिर्लिग के दर्शन पूजन के लिये अपने को कतारबद्ध किया।
श्रीजी मंदिर में सुबह से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान का भव्य श्रृंगार किया गया था। मंगला आरती में बाबा ओंकारेश्वर महाराज को पीले फूल, बेलपत्र अर्पित किए गये। मां पार्वती को पीली साड़ी अर्पित की गई।
आशीष दीक्षित ने बताया कि महासवारी दौरान भगवान ओंकारेश्वर ने चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण किया। पूरे समय तीर्थनगरी के यात्रा मार्ग गुलाल और गुलाब के फूलों की भक्तों द्वारा वर्षा ये सडक बिछ गयी। यहां एकदिन पहले रविवार से भीड तुंटना शुरू हो गयी थी।हर वर्ष सावन के चैथे सोमवार को भगवान की महासवारी निकलती है। इस बार सावन में अधिक मास आने से सातवें सोमवार को महासवारी निकाली।आशीष दीक्षित ने बताया कि साल भर में केवल एक बार सावन के अंतिम सोमवार को महासवारी में भगवान ओंकारेश्वर चांदी की पालकी में सवार होकर भ्रमण करते है।
सोमवार को ही नागपंचमी आने से भगवान भोलेनाथ के साथ ही नाग देवता के पूजन और दर्शन के लिए भक्तों की भीड़रही।ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थित नागेश्वर का पूजन किया जाता रहा। ज्योतिर्लिंग मंदिर में सुबह साढ़े चार बजे से दर्शनों के लिए पट खोल दिये गये थे। ओंकारेश्वर मंदिर में गर्भगृह के मुख्य प्रवेश द्वार के निकट स्थित नागेश्वर देव का मंदिर है। जमीन में नीचे बनी नागदेवता की आकृति का पूजन सिर्फ नागपंचमी पर ही होता है। सालभर इस पर फर्श से ढंककर रखा जाता है। पंचमी पर दोपहर साढ़े बारह बजे यहां पूजा-अर्चना होती है।