सावन के 4े सोमवार पर भगवान ओंकारेश्वर का महाश्रृंगार, और किया नगर भ्र्रमण

 मयंक शर्मा

खंडवा ३१ जुलाई ;अभी तक;   सावन के चैथे सोमवार को नर्मदा तट की जिले की ज्योंतिर्लिग नगरी  ओंकारेश्वर में भगवान भोलेनाथ का 251 लीटर पंचामृत से महाअभिषेक  और महाश्रृगंार के साथ लोगो के हाल चाल जानने के लिये नगर भ्रमण किया।दो स्वरूप वाले ज्योंकतलिंग में  भगवान ओंकारेश्वर और भगवान ममलेश्वर की पालकिया सज धज के साथ निकली और करीब 5 घण्टे तक नगर भ्रमण किया। वैसे हर साल चैथे सोमवार को भगवान की महासवारी निकलती है, लेकिन इस बार अधिक मास की वजह से सवारी सातवें सोमवार 21 अगस्त को निकलेगी।

सावन का चैथा सोमवार होने से आज करीब 1 लाख श्रद्धालुओ की भीड रही। एसडीएम सीके सोंलकी ने बताया कि कही से किसी अप्रिय घटना की खबर  नहीं इहै।

श्रीजी मंदिर ट्रस्ट के पंड़ित आशीष दीक्षित ने बताया कि चैथे सोमवार को अपरान्ह 4े बजे सवारी अपने  अपने गर्भगृह से निकली।   भगवान ओंकारेश्वर और ममलेश्वर की सवारी परंपरा अनुसार नगर भ्रमण के पूर्व नौका विहार किया।
सावन सोमवार पर नर्मदा स्नान और ज्योतिलिंग दर्शन  के लिये तडके 4 बजे मंदिर के कपाट खुलने के बाद, से बड़ी संख्या में श्रद्धालु ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु  पहुंचते रहे। यहसिलसिला देर रात 10 बजे तक चलजा रहा। रहे हैं। भगवान को दूल्हे की तरह सजाकर फूल और भांग-मेवें से शृंगार किया गया था। भगवान को करीब 501 किलो लड्डू और पेड़े के मिष्ठान का भोग भी लगाया। शाम चार बजे मंदिर से भगवान ओंकारेश्वर पालकी में विराजमान होकर कर कोटीतीर्थ घाट पहुंचे ।यहां पंडि‍त राजराजेश्वर दीक्षित के आर्चायरत में भगवान का पूजन व और अभिषेक किया। उधर भगवान ममलेश्वर भी गोमुख घाट पर पूजन-अभिषेक के बाद भगवान ओंकारेश्वर नौका विहार कर गोमुख घाट पहुंचें। यहां से दोनों सवारियां पैदल जेपी चैक होकर नगर   भ्रमणा पर निकली। दर्शन देने के बाद भगवान राम 10 बजे  के कराअ वापस अपने अपने मंदिर लौट गये।भीड़ को देखते हुए सुबह नौ बजे से भगवान ओंकारेश्वर को सीधे जल और फूल चढ़ाना प्रतिबंधित लगा दिया गया । नाव संचालन और वीआइपी दर्शन पर भी प्रतिबंध रहा ।

मंदिर ट्रस्ट के पंड़ित आशीष दीक्षित ने बताया कि ज्योतिर्लिंग के मूलस्वरूप का फूल, मेवे और मिष्ठान से श्रृंगार कर मुकुट धारण करवाया जाता है। भगवान ओंकारेश्वर का साल में सिर्फ एक ही बार श्रृंगार होता है। इसके अलावा मंदिर को फूलों से सजाया गया।