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डेढ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने नर्मदा में डुबकी लगाकर किये ज्योतिर्लिग दर्शन

मयंक शर्मा

खडवा ५ अगस्त ;अभी तक;  सावन महीने में शिव मंदिरों में हर-हर महादेव के स्वर गूंज रहे है। ज्योंतिर्लिग की नगरी ओंकारेश्वर में श्रीजी  मंदिर में भक्तों का तांता है तो  कावड यात्रा के लिये भी श्रद्धालुओ ंकी भीड श्रावण मास में यहा मेला जैसी भीड के रूप मं मौजूद  है।

                              सावन के माह में प्रत्येक सोमवार को ज्योंतिर्लिग दर्शन के लिये उत्साहित श्रद्धालुओं को देखते हुये श्रीजी मंदिर के पट तडके 4 बजे से खुल जाते है। इसके पहले श्रद्धालुजन नर्मदा में डुुबकी लगाकर श्रीजी मंदिर के सामने अपने को पंक्ति बद्ध कर जाते है। 4 बजे पट खुलने लेकर रात साढे 10 बजे पट बंद होने तक दर्शनार्थियो ंकी अटूट भीड जुंटती है। जलाभिषेक, आरती बिल्वपत्र, धतूरा व ऋतु फल के साथ श्रद्धालुजनरें  पुष्पाजंलि अर्पित करने की होड सी लगी रही।  यहां भी ढेरो प्रशाासनिक पांबदियो का सामना श्रद्धालुओ को करना पडा।

ें                         श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते यहां पहले से ही जिला प्रशासन के द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।  सोमवार को यहां अधिक भीड़  है, जिसको लेकर पुलिस प्रशासन ने भी यहां अतिरिक्त बल भेजा हुआ है, जिसे खंडवा पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार राय के निर्देश पर यहां के सभी घाटों के साथ ही मंदिर परिक्रमा के मार्ग सहित पार्किंग स्थलों और नगर के मुख्य मार्ग पर तैनात किया गया है।

                          एसपी मनोज राय ने कहा  कि सुरक्षा  के पुख्ता  इंतजाम किये गये है। कहीं से किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है। उन्होने कहा कि दिन भर श्रद्धालुओ की आवाजाही हो रही हैै
                            इस बार सावन मास में 5 सोमवारहै। सोम-शिव योग  जेसे ं सयंोग से भरपूर सावन सोमवार (5 अगस्र्त)पर समूचे जिले के शिवालयों में दर्शन पूजन अभिषेक के लिये जगह जगह  श्रद्धालुुओं का आस्था का सैलाब उमडा। परंपरानुसार सावन के तीसरे सोमवार को भी दो स्वरूप वाले ज्योंतिर्लिग ओंकारेश्र की शोभायात्रा  अपने अपने ठिये से निकली और निर्धारित चल समारोह मार्ग से करीब 6 घण्टे तक नगर भ्रमण के बाद अपने मुकाम पर देर रात में लौट गयी। दोनों ज्योंतिर्लिग ममलेश्वर और ओंकारेश्वर के परस्पर मिलन का गवाह बनने के लिये  करीब डेढ  लाख से अधिक लोगों का हूूजूम तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में आज जमा था।
                               ओंकारेश्वर  में दोपहर 3 बजे निकली  सवारी जन आकर्षण का केंद्र रही। भ्रमण दोरान भगवान ममलेश्वर अपने भाई ओंकारेश्वर से मिलने शिवपुरी पहुंचे तो इन दोनों भाइयों का परस्पर मिलन का केन्द्र रहा कोटितीर्थ घाट । यहां  भगवान ओंकारेश्वर का 551 लीटर  पंचामृत से महाभिषेक तो भगवान ममलेश्वर के मंदिर में महाश्रृंगार किया गया।
दोनों के मिलन स्थल पर   पंडित राजेश्वर दीक्षित एव उनकी भक्त मंडली के भक्तों द्वारा मेवा मिष्ठान का ओंकारेश्वर-ममलेश्वर मंदिर परिसर में महाभोग भी लगाया गया जिसे बाद में प्रसादी रूप में वितरण किया गया।  विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद  मुख्य ट्रस्टी राव देवेंद्रसिंह ने बताया कि नगर भ्रमण के पूर्व दोनों सवारी को पांच नौकाओं में विराजमान कर नौका विहार कराया गया।
                               बोल बम पैदल कावड़ यात्रियों का उत्साह आस्था व जोश देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि पैदल कावड़ यात्रा  (खडवा इंदौर अथवा उज्जैन से ओंकारेश्वर तक) मालवा निमाड़ क्षेत्र की अमरनाथ यात्रा है। यात्रा में मालवा-निमाड़ क्षेत्र के  हर वर्ग  व हर उम्र के सैकडों ं कावड़ यात्री उत्साह एवं अटूट आस्था के साथ पहुंचे थे। कावड़ यात्रियों में अधिकांश युवा कावड़ी है तो  70-80 वर्ष के वृद्धजन भी उसी उत्साह एवं उमंग से  बोल बम का जयघोष के साथ निरंतर नर्मदा तट की तीर्थनगरी  ओंकारेश्वर ज्योंतिर्लिग पर जल अर्पित करने के लिये पग पग आगे बढ़ते जा रहे है। जब कावड़ यात्रियों के यात्रा संबंधी अनुभव पूछे तो अधिकांश कावड़ यात्रियों ने इसे अद्वितीय अपार आनंद से परिपूर्ण यात्रा बताया।  यात्रा में भाग ले रहे रामेश्वर प्रसाद ने कहा कि रास्ते में यात्रा जितनी  सुुखद थी उतनी ही पुण्य प्रताप की।
                             सावन का मास भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाकर मनोकामना पूरी कर लेते हैं भक्त।शास्त्रों ंव धार्मिक पुराणों के अनुसार सावन मास में शिव को एक बिल्व पत्र चढ़ाने से पापों का विनाश हो जाता है। इसके साथ ही शिव को कच्चा दूध, भस्म, भांग, धतूरा अर्पित किया जाता है। शिव भक्त सावन महीने में शिवपुराण, शिव कवच, शिव चालीसा, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ एवं जाप करते हैं।  भक्त अपनी कामनाओं को पूरा करने के लिए भगवान श्रीजी भोले के दरबार में उनकी कृपा पाने खीचें चले आते है । यह दरबार में पहुंचने पर  अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की कामना की सिद्धि होती है।भगवान शिव का अभिषेक विशेष कल्याणकारी होता है। राजस्थन से आये राम मांडलिक ने कहा कि शिव की भक्ति सबसे सरल और सस्ती है। केवल जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं बाबा भोलेनाथ।
                                  नई ऋतु सावन में  हिंडोरे व झूलन आंई केे स्वरो के बीच आज सावन के झूलों पर झूलते युवक -युवतिया के समूह नजर आये। पर्व के महत्व को देखते हुये ग्रामों में शिव मंदिरो के समीप पेडों पर हिंडोले डाले गये जहां श्रद्धालुजन भी  चुम्बक की तरह खिंचे चले गये।

 


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