अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव का आगाज, विजयदशमी से शुरू होकर पूर्णमासी के दिन होगा मुख्य आयोजन

दीपक शर्मा

पन्ना २१ अक्टूबर ;अभी तक; श्री 108 प्राणनाथ जी मंदिर, श्री 5 पद्मावती पूरी धाम पन्ना (म.प्र.) में विगत साढ़े तीन सो वर्षो से  श्री प्राणनाथ जी की वाणी सुख शीतल करूँ संसार के सत्संकल्प की लक्ष्यपूर्ति हेतु शरदोत्सव का महामंगलमय महोत्सव अत्यंत भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। जिसमें भारत वर्ष के अधिकांश राज्यों जैसे कि गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र, नागालँड, मणिपुर, आसाम, पश्चिम बंगाल तथा नेपाल एवं भूटान के धर्मानुयायी आते हैं।

अमेरिका, कनाडा, यूरोप, न्यूजिलण्ड, ऑस्ट्रेलिया के भक्त अनुयायी भी इस महोत्सव में सम्मिलित होते हैं। साथ ही अनेक संत, महन्त, आचार्य एवं विद्वान विदुषी, संगीतज्ञ पधारकर अपनी वाणी से भक्तों को कृतकृत्य करते हैं। महोत्सव के दौरान बाहर से आने वाले श्रद्धालु सुन्दरसाथ को आवास, भोजन, स्वल्पाहार व एमरजेंसी मेडिकल सुविधाएँ  स्वास्थ्य विभाग व ट्रस्ट बोर्ड की ओर से निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के उपलक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता में विद्वान पंडित खेमराज शर्मा व  पंडित श्याम बिहारी जी दुबे द्वारा शरद पूर्णिमा महोत्सव के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि यह महोत्सव अक्षरातीत पूर्णब्रह्म श्री प्राणनाथ जी द्वारा स्वयं प्रारंभ किया था जो अनवरत अद्यावधि पर्यन्त उसी उत्साह व हर्षोल्लास के साथ 10 दिवस तक प्रतिवर्ष मनाया जाता है।  जिसमें रास, गरबा नृत्य, अध्यात्म संगीत, वाणी गायन, प्रवचन आदि कार्यक्रम बहुत ही रोचक, आत्म प्रेरक एवं ज्ञानवर्धक होते हैं।

उक्त अवसर पर भारतवर्ष से ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु विद्वान विदुषी, संत, महंत संगीतकार, प्रवचनकर्ता गण और भक्त लोग आकर 10 दिवस पर्यंत चलने वाले इस महोत्सव में भाग लेते हैं। इस वर्ष यह महोत्सव 24 अक्टूबर से 02 नवंबर तक चलेगा। विजयदशमी के दिन पन्ना नरेश को भेंट की जाएगी तलवार एवं बीड़ा आज से चार सौ वर्ष पूर्व महामति श्री प्राणनाथ जी द्वारा विजयादशमी के दिन महाराजा छत्रसाल को प्रदत तलवार व पान-बीड़ा के आशीर्वाद का प्रतीक आज भी परंपरानुसार कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। जिसमें बुन्देल केसरी महाराजा छत्रसाल के वंशज पन्ना नरेश को श्री 108 प्राणनाथ जी मंदिर ट्रस्ट के प्रतिनिधि द्वारा तलवार और पान बीड़ा का आशीर्वाद प्रदान किया जाता है।

यह कार्यक्रम इस वर्ष 24 अक्टूबर को अपरान्ह 4  से 6 बजे तक खेजड़ा मंदिर परिसर में आयोजित किया जाता है। 26 अक्टूबर को निकलेगी तेरस की सवारी 26 अक्टूबर को उसी खेजड़ा मंदिर से श्री प्राणनाथ जी की भव्य सदारी (शोभायात्रा) निकलती है जिसमें हजारों की संख्या में स्थानीय व बाहर से आए हुए सुंदर साथ सम्मिलित होते हैं जो शाम 4 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 10 बजे तक नगर के कई स्थानों से परिभ्रमण करते हुए आकर श्री प्राणनाथ मंदिर में विसर्जित होती है। उसमें रास गरबा नृत्य, भजन, कीर्तन आदि का प्रोग्राम होता है जिसे देखने के लिए दूर- दूर से लोग पहुंचते हैं और नगर से गुजरती हुई शोभायात्रा को देख कर आत्मीय आनंद में सराबोर होते हैं। दूसरे दिवस चैदश अर्थात 27 अक्टूबर 2023 को सगुरु धनी श्री देवचंद्र जी का प्रगटन महोत्सव होता है जो सदुरु मंदिर में रात्रि 12 00 बजे समस्त सुंदरसाथ एवं संत, महंत, विद्वान, विदुषी, पुजारी गण एवं ट्रस्ट बोर्ड के सभी महानुभावों, धामी समाज के गणमान्य जनों की उपस्थिति में आयोजित होता है। साथ ही सुबह, दोपहर, शाम तीनों समय मंचीय कार्यक्रम होता है। 28 अक्टूबर को महोत्सव का मुख्य आयोजन शरद पूर्णिमा मैं श्री जी की सवारी रास मंडल में विराजमान होगी अगले दिन अर्थात दि. 28 अक्टूबर को महोत्सव का मुख्य आयोजन शरद पूर्णिमा मनायी जायेगी। वैसे तो सवारी रात्रि 12 बजे के आसपास निकलने की परंपरा है परन्तु इस वर्ष चन्द्रगहण लगने के कारण ट्रस्ट बोर्ड की ओर से समय में हेरफेर किया गया है। इस वर्ष यह सवारी 8 बजे निकालने का कार्यक्रम निर्धारित है। खचाखच भरे श्री गुम्मट बंगला जी मंदिर परिसर में दिन भर आत्म प्रेरक कार्यक्रमों का आनन्द लेने के बाद श्री बंगला जी मंदिर से श्री जी की सवारी निकल कर रासमण्डल में शोभायमान होती है। उसी अलौकिक शोभा को अपलक निहारते हुए श्रद्धालु सुन्दरसाथ व भक्तगण आत्म-विभोर हो जाते हैं।उस दिन रात्रि जागरण के बाद दूसरे दिन से कार्यक्रम लगातार पांच दिन तक रास मंडल के समक्ष चलता रहता है। रात्रि के समय होने वाले कार्यक्रमों का आनन्द कुछ निराला ही होता है। दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं और शरद पूर्णिमा से लेकर के पंचमी तक सेवा की सवारी भक्तों के दर्शनार्थ रास मंडल में ही स्थापित रहती है।भजन, कीर्तन, प्रवचन, संगीत, गरवा, नृत्य आदि का प्रोग्राम अतवरत चलता रहता है। इसके बाद चैथ की रात्रि के जागरण के बाद पंचमी को श्री राज जी की सवारी रास मंडल से धूमधाम के साथ गरबा, रामत, परिक्रमा के साथ श्री बंगला जी में पधरायी जाती है और शरद पूर्णिमा महोत्सव के कार्यक्रमों का विसर्जन होता है।इस अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के भव्य कार्यक्रमों में हमेशा की तरह इस वर्ष भी स्थानीय जिला प्रशासन,पुलिस प्रशासन, नगर पालिका, जिला चिकित्सालय एवं सभी गणमान्य नागरिकों का पूर्ण सहयोग रहता है।