प्रदेश
शिक्षा विभाग उच्च न्यायालय के आदेश को भी मानने को तैयार नहीं, वृद्धावस्था में पेंशनर्स विभाग के चक्कर लगाकर हो रहे परेशान
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १९ अक्टूबर ;अभी तक; सेवानिवृत्त लिपिकवर्गीय कर्मचारी सुधीर कुमार दुबे (लेखापाल) एवं जगदम्बाप्रसाद दुबे (प्रधान लिपिक) ने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों एवं प्रशासन को भी बार-बार स्मरण पत्र दिया, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में भी शिकायत की लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा न्यायालय के आदेश को नहीं मानने पर न्यायालय के आदेश की अवमानना को लेकर वह जल्द ही उच्च न्यायालय जायेंगे।
सेवानिवृत्त लिपिकवर्गीय कर्मचारी सुधीर कुमार दुबे एवं जगदम्बाप्रसाद दुबे ने बताया कि उनकी सेवानिवृत्ति क्रमशः दिनांक 31 जनवरी 2017 व 31 जुलाई 2017 को हुई है। जिला शिक्षा विभाग द्वारा सेवाकाल में द्वितीय समयमान-वेतनमान (टाइम पे स्केल) 1 अप्रैल 2006 पात्रता नहीं होने से विभाग द्वारा शासनादेशानुसार 12 प्रतिशत चक्रवर्ती ब्याज सहित राशि वसूल की गई तत्पश्चात म.प्र. शासन वित्त विभाग भोपाल आदेश दिनांक 12 जून 2018 द्वारा द्वितीय समयमान वेतनमान 1 अप्रैल 2006 से पात्रता स्वीकृत किये जाने से मूल राशि का भुगतान विभाग द्वारा कर दिया गया किंतु अधिक भुगतान पर वसूली ब्याज राशि क्रमशः रू. 39 हजार 200 रू. एवं 30 हजार 78 रू. का भुगतान नहीं किया गया। प्रकरण में पीड़ित कर्मचारियों द्वारा माननीय म.प्र. उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर में वाद प्रस्तुत किया गया। उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 11 दिसम्बर 2021 के ब्याज राशि भुगतान के निर्देश के बावजूद 2 वर्ष उपरांत भी जान बूझकर भुगतान लंबित कर रखा है।
इस संबंध में पीड़ित कर्मचारियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों एवं प्रशासन को बार-बार स्मरण पत्र देने तथा 181 सीएम हेल्पलाईन पर शिकायत के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। परेशान दोनों सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने बताया कि न्यायालय के आदेश के बावजूद वृद्धावस्था में बार-बार विभाग के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही वे न्यायालय के आदेश नहीं मानने को लेकर न्यायालय के अवमानना हेतु माननीय न्यायालय की शरण में जायेंगे।