शास्त्रों अनुसार प्रतिदिन प्रातः एक संकल्प लेकर परमात्मा को अर्पण करने से श्वाशों की सार्थकता हो जाती है
महावीर अग्रवाल
मंदसौर १७ जुलाई ;अभी तक; मनुष्य 24 घण्टे में 21600 श्वास लेता ओर निकालता है। इस सांस का मोल नहीं जानता है। शास्त्रों अनुसार प्रतिदिन प्रातः एक संकल्प लेकर परमात्मा को अर्पण करने से श्वाशों की सार्थकता हो जाती है। क्योंकि लोहार की धौंकनी मृतक पशु के चमड़े की होती है जो भी हवा लेती ओर निकालती है।
यह उद्गार मालवा स्वामी पं. श्रीकृष्ण वल्लंभ शास्त्री ने व्यक्त किये। चेतन्य आश्रम मेनपुरिया (मन्दसौर) में स्वामी महेश चेतन्य महाराज के मुखारविंद चल रही शिव महापुराण कथा विश्राम के दूसरे दिवस संक्षिप्त उदबोधन में पं.शास्त्रीजी ने आगे कहा कि जब हम आसन पर ध्यान मुद्रा में बैठकर श्वास लेना व निकालना की ध्वनि सुनते हैं तब श्वास निकालते समय श्ह श् स्वर ओर अंदर लेते समय श्सश् की आवाज आती है। ये हंस हंस शब्द आध्यात्मिक जगत में निर्गुणी भजनों में हंस यानी जीव को बताया है। यह जीव शरीर मे है तब तक जिंदा है।
विरक्त आश्रम रामघाट,मंदसौर (म.प्र.) प्रवास पर विराजमान परम पूज्य आचार्य स्वामी आनद स्वरूपानंदजी सरस्वती महाराज, ऋषिकेश वाले का दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त कर ,चेतन्य आश्रम मेनपुरिया में आयोजित शिवमहापुराण कथा,व गुरुपूर्णिमा महोत्सव में पधारने का विनम्र निवेदन किया। युवा संत स्वामी महेश चेतन्य जी महाराज के साथ ,गुजरात,राजस्थान के संत और मालवा स्वामी पं. श्रीकृष्ण वल्लभ शास्त्री, भागवतभूषणाचार्य ने स्वामी जी को आमंत्रण पत्र दिया। जिसे स्वामी जी ने स्वीकार कर सभी को आशीर्वाद व प्रसाद प्रदान किया ।यंहा सभी संतजनों का परिचय भी स्वामी महेश चेतन्य जी महाराज ने करवाया।