शिवानी बाबूजी का वर्सि उत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया गया
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ७ जून ;अभी तक; आचार्य स्वामी टेऊँरामजी महाराज के 137वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्यम ें चल रहे चालीसा महोत्सव के चौबिसवें दिवस को सुबह अमृत वेला में श्री प्रेमप्रकाश आश्रम के सत्संग हाल में सिन्धी समाज के सेवाभावी स्तम्भ पूज्य सिंधी भाईबंध पंचायत के आशीर्वाददाता श्री झूलेलाल सिन्धु महल के प्रेरणादाता बैंकमर्मी एवं नगर में ‘‘शिवानी बाबूजी’’ के नाम से प्रसिद्ध स्व. श्री चन्द्रकुमार शिवानी की ग्यारहवीं एवं आपकी धर्मपत्नी धर्मनिष्ठ श्रीमती कमलादेवी शिवानी की पंचम पुण्यतिथि के अवसर पर मालव अंचल के सुप्रसिद्ध भागवताचार्य डॉ. देेवेन्द्र जी शास्त्री धारियाखेड़ी ने अपने मुखारविन्द से श्रीमद् भगवत गीता के महात्म्य पर अत्यन्त ही सारगर्भित एवं सरल वाणी में कहा कि भगवान श्री कृष्ण की गीता के एक श्लोक की व्याख्या एवं मानव के जीवन की उपयोगिता पर एक श्लोक की व्याख्या के लिये एक दिन भी कम पड़ेगा फिर भी मुझे अत्यन्त प्रसन्नता है कि सनातन धर्म के प्रवर्तक आचार्य सद्गुरू टेऊँरामजी महाराज के गादीनशीन सद्गुरू भगतप्रकाशजी महाराज के आशीर्वाद व प्रेरणा से आप संगत ने अपने आचार्य के जन्मोत्सव केा 166 परिवाजनों ने अपने-अपने निवास स्थानों पर स्थापना की है यह मेरे जीवन में एक मिसाल है।
इस आशय की जानकारी श्री प्रेमप्रकाश सेवा मण्डली के अध्यक्ष पुरूषोत्तम शिवानी ने देते हुए बतलाया कि श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में विराजित भगवान श्री लक्ष्मीनारायण, एवं सतगुरू टेऊँरामजी महाराज की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा का वृहद रूप में अनुष्ठान आचार्य डॉ. देवेन्द्र शास्त्री के आचार्यत्व में ही 15 वर्ष पूर्व हुआ था। उस प्राण प्रतिष्ठा समारोह को याद करके डॉ. देवेन्द्र शास्त्री ने भाव विभोर होते हुए कहा कि मैं आज अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूॅ कि श्री प्रेमप्रकाश पंथ जो सनातन धर्म को सही मायने में सहेजे हुए है।
आपने अपने मुखारविन्द से कहा कि भगवत गीता वेदों, उपदेशों का सारांश है। भगवान श्री कृष्ण ने इसे गाया है, भगवान श्री कृष्ण ने वही कहा जो शाश्वत है। कलयुग में यह वेद है और हम मानव के लिये शंाति प्रदान करने का वरदान है। सिंधी समाज सनातन धर्म के प्रति कट्टर है, मेरा सिंधी समाज से रिश्ता बहुत पुराना है। मेरी हार्दिक इच्छा है कि सिन्धी भाषा सीखकर सिन्धी में भागवत कथा आपको श्रवण करवाऊ।
आपने गीता के पांचवे अध्याय के 62 व 63वे श्लों की व्याख्या करते हुए कहा कि योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण अपने शिष्य अर्जुन को ज्ञान देते हुए कहते है, जो व्यक्ति अपने जीवन में विरक्त हो जाता है और कामनाओं की पूर्ति में खलल उत्पन्न हो वही से क्रोध उत्पन्न हो जाता है और क्रोध से मनुष्य को मोह उत्पन्न हो जाता है और उस मनुष्य की स्मृति नष्ट होने लगती है और बुद्धि का नाश हो जाता है। पद, मान प्रतिष्ठा सब भूल जाता है और वो मनुष्य ऐसा कार्य कर बैठता है हमें कलयुग में भगवान सतगुरू का एवं गीता को आत्मसात करना चाहिये तथा केवल-केवल ठाकुरजी का सहारा ही आपको इस भव सागर से पार लगा सकता है। योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण कहते है कि मनुष्य को संग उच्च विचारों एवं नैतिक व्यक्तियों का करना चाहिये। संघ से ही आपका जीवन संवरता है।
आप मंदसौर के निवासी बहुत ही भाग्यशाली है कि भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव की नगरी में आप जन्मे है। यहां पर इसलिये प्रेमप्रकाश आश्रम में ज्ञान का प्रकाश है, उसी का प्रताप है कि आप 166 परिवारों में गीता के पाठ चल रहे है। मैं जब भी देवभूमि हरिद्वार जाता हूॅ तो श्री प्रेमप्रकाश आश्रम के सद्गुरू सर्वानन्द घाट पर अवश्य जाकर गंगा में डुबकी लगाता हूॅ।
आप बड़े ही सौभाग्यशली है कि आपके पंचम पिठाध्वेश्वर गादीपति सदगुरू स्वामी भगतप्रकाशजी महाराज का वरदहस्त एवं आशीर्वाद प्राप्त है। प्रारंभ में श्रीमती पुष्पा पमनानी एवं मण्डली ने श्री प्रेमप्रकाश ग्रंथ के ब्रह्नदर्शनी एवं शांति के दोहो कि व्याख्या करते हुए कहा ‘‘ब्रह्मदर्शिनी ज्ञान बनावे, पाचो भेद भ्रांति मिटावे, ब्रह्मदर्शनी ब्रह्म दिखावे सुख स्वरूप में सहज लगाये, ब्रह्मदर्शनी भव सिन्धु तारे, पाप नाथ संताप निवाए, ब्रह्मदर्शनी जो नित पढ़ता, बंधन कार होये सो मुक्ता ब्रह्मदर्शनी घोरजोई, टेऊँ सब फल पावे सांई’’
इस अवसर पर प्रारंभ में अजय शिवानी, श्रीमती निर्मला शिवानी, श्रीमतीचन्द्रदेवी देवनानी, मनोहरलाल जेठवानी, देवी देवनानी, मनोहरलाल जेठवानी, भगवानी जेठवानी ने स्व. श्रीमती कमलादेवी एवं चन्द्रकुमार शिवानी के चित्रों पर माल्यार्पण किया एवं दीपक जलाकर नमन किया और आचार्य देवेन्द्र शास्त्री का परवन पुष्पहारों से स्वागत किया एवं गीता पर श्रद्धा की चादर (रूमाल) चढ़ाकर सुख समृद्धि की कामना की। आप श्री का अत्यन्त स्नेह सेवानी परिवार की ओर से दृष्टानंद नैनवानी, सुन्दर सेवानी, जयकुमार सेवानी, वासुदेव सेवानी व मनोजकुमार सेवानी ने एवं सगत ने स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर बाबूजी के स्नेही मित्र मण्डल एवं सिंधी समाज के सैकड़ों महानुभावों ने आश्रम में आकर उनकी तस्वीर पर श्रद्धासुमन के पुष्प अर्पित किये। प्रमुख रूप से पूर्व मंत्री कैलाश चावला, विधायक यशपालसिंह सिसौदिया, राम कोटवानी, मोहन रामचंदानी, ईश्वर रामचंदानी, नन्दू आडवानी, वासुदेव सेेवानी, काउ जजवानी, डॉ. सुरेश पमनानी, पं. प्रकाश शर्मा, पं. जगदीश शर्मा, पं. राजेन्द्र शर्मा, पं. वासुदेव शर्मा, ब्रजलाल नैनवानी आदि उपस्थित रहे। अंत में सुख समृद्धि अमन चैन, रिद्धी सिद्धी का विशेष पल्लव अरदास पाकर आभार प्रदर्शन श्रीमती पुष्पा पमनानी एवं अजय कुमार शिवानी ने प्रकट किया।