प्रदेश

महाशिवरात्रि विशेष- समस्त देवों में प्रमुख महादेव की समस्त रात्रियों में प्रमुख है महाशिवरात्रि


(बंशीलाल टांक)

मन्दसौर ७ मार्च ;अभी तक;  हिन्दू सनातन धर्म में इन्द्र सहित 33-34 करोड़ देवी देवताओं की मान्यता है। इनमें श्रृष्टि रचियता ब्रह्मा-पालनकर्ता विष्णु और संहारकर्ता भगवान शंकर इन तीनों में से किसी को भी महादेव नहीं कहा गया है। महादेव केवल भगवान शंकर को ही महादेव संबोधन दिया गया है। इसी प्रकार समस्त रात्रियों में सोलह कलाओं से परिपूर्ण भगवान कृष्ण की मध्य रात्रि 12 बजे अवतरित होने वाली जन्माष्टमी रात्रि और भगवान राम लल्ला का मध्य दिवस अवतरित होने वाले दिवस को महादिवस नहीं कहा गया है, परन्तु शिव के विवाहोत्सव की रात्रि 12 बजे को ही अन्य रात्रियों की तरह साधारण रात्रि नहीं कही जाकर महाशिवरात्रि कहा गया है।
महादेव क्यों कहा जाता है- राक्षसों से हमेशा पराजित होकर हार का मुख देखने वाले देवताओं ने असुरों पर विजय पाने के लिये अमृतपान कर समुद्र मंथन का आयोजन किया और अमृत के प्रलोभन में असुर भी उसमें सम्मिलित हो गये। मंदराचल पर्वत को मथानी और वासुकी नाग को रस्सी के रूप में प्रयुक्त किया और मंथन शुरू हुआ परन्तु अमृत से पहले हलाहल विष जिसकी भयंकर ज्वाला से देवता-राक्षस सब घबरा गये। प्रश्न उपस्थित हुआ इस भयंकर जहर को पान कौन करे और तब भगवान शिव ने उस विष पान कर देवों में महादेव कहलाये।
भगवान भोलेनाथ को ओढ़र दानी अर्थात तत्काल प्रसन्न होकर बिना आगे-पीछे विचार किये चाहे सुर हो चाहे असुर हो वरदान दे देते है और इस गलती का खामियाजा उन्हें उस समय भुगतना पड़ जिस समय जिसके सिर पर हाथ रखो वह भस्म हो जाये जैसा अवांछनीय वरदान भस्मासुर राक्षस को दे दिया और जब परीक्षा के तौर पर उस दैत्य ने भगवान शंकर के सिर पर हाथ रखकर आजमाना चाहा तब शंकर भगवान को भागना पड़ा। भगवान विष्णु ने मोहनी रूप धारण कर नृत्य के माध्यम से भस्मासुर का हाथ उसी के सिर पर रखवाकर उस नराधम दैत्य को भस्म करवाया जिसमें मॉ जगदम्बा पार्वती के सौंदर्य पर आकर्षित होकर मॉ भवानी पर कुदृष्टि डाली थी।
सहज प्रसन्न होने वाले देवता महादेव- भयंकर गर्मी में न आग तपने की जरूरत कई वर्षाें तक नहीं एक पैर पर खड़े होकर तपस्या करने आदि कठिन जप-तप योग की आवश्यकता- मात्र एक लोठा पानी जब और एक बिल पत्र चढ़ाने मात्र से प्रसन्न होकर अभिष्ट इच्छापूर्ति करने वाले कोई देव है तो वे है महादेव। ऐसे देवों के देव महादेव के चरणों में उनके मंगलमय विवाहोत्सव महाशिवरात्रि पर्व पर कोटीशः चरण वंदन प्रणाम। विश्व में एक मात्र प्रसिद्ध दशपुर  नगर के अष्टमूर्ति भगवान श्री पशुपतिनाथ सबकी मनोकामना पूरी करे। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ।
ऊँ नमः शिवाय- हर हर महादेव।

 

Related Articles

Back to top button