तहसीलदार नही मान रहें उच्च न्यायालय का आदेश जबरजस्ती करवाया कब्जा
दीपक शर्मा
पन्ना १७ जून ;अभी तक; स्थानीय तलैया फील्ड के सामने स्थित कॉलोनी को जोडने वाले आम रास्ता है जिसमे नालियों के निकास पानी सप्लाई मुख्य लाईन आदि आम नागरिको का सभी निस्तार है और वह भूमि निर्विवाद रूप से ख0नं0 2418 का अंशभाग है जिसके अनेको बार सीमांकन पहले भी हो चुका है उसीसे लगी हुई जमीन रामबाबू शर्मा की है जिसका नम्बर 2417 है, लेकिन भू धारक द्वारा मनमाने ढंग से 2418 पर कब्जा करके जाली लगा ली गई है। उक्त जमीन पर पूर्व मे भी इनके द्वारा निर्माण किया गया था। लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश पर उक्त निर्माण को तोड दिया गया था। उसके बावजूद तहसीलदार द्वारा मनमाने ढंग से आदेश पारित करते हुए फिर से अवैध कब्जा करा दिया गया है। जिसको लेकर स्थानीय लोगो मे आक्रोश व्याप्त है।
गौरतलब है कि पूर्व में उक्त जमीन को लेकर एक समिति गठित कर उच्च न्यायालय मे अतिक्रमण/अवैध कब्जा हटाने की जनहित याचिका लगाई थी। और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बैन्च के आदेश पर तत्कालीन कलेक्टर ने अवैध निर्माण हटवाकर आम निस्तार की उक्त भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया था। किन्तु लगभग 2 माह पहले अतिक्रमणकर्ता ने पुनः कुछ दबंगो का सहयोग लेकर घनबल और बाहुबल से तहसीलदार अखिलेश प्रजापति के खुले संरक्षण मे उक्त आम निस्तार पर पक्की फेन्सिंग कराकर पुनः अतिक्रमण कर लिया और नालियो के जल निकास आदि अवरूद्ध कर दिए।
नागरिको की समिति ने जब अतिक्रमण हटाने तहसीलदार से गुहार लगाई तो तहसीलदार ने स्वयं मौका निरीक्षण किया, फिर पटवारी राजस्व निरीक्षक भेजकर सीमांकन और जॉच कराई जिसमे लगभग दो हजार वर्ग फुट आम निस्तार की भूमि पर अतिक्रमण पाया गया जो अतिक्रमणकर्ता की भूमि नहीं है। उसका खसरा नंबर ही अलग है। सारे तथ्य आईने की तरह साफ होते हुए भी तहसीलदार ने अतिक्रमण हटाने से इन्कार कर दिया और स्थल जाँच प्रतिवेदन नगर पालिका पन्ना को भेजकर अतिक्रमण हटाने का कार्य उन पर टाल दिया।
इतना ही नहीं प्रकरण को उलझाए रहने की नीयत से अतिक्रमणकर्ता ये ख0नं0 2417 की एक शिकायत अपने संलिप्त अधीनस्थ अमले की मदद से कराकर उस पर अनाधिकृत सुनवाई आरंभ कर नागरिक समिति को भी उलझा दिया जबकि उक्त शिकायत का ख0नं0 2418 से कोई संबंध नहीं है और अतिक्रमणकर्ता की जमीन ख0नं0 2417 से संबंधित अपील उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और तहसीलदार को सुनवाई का अधिकार भी नही है। जनहित को देखते हुए जब नगरपालिका ने 10 जून को अतिक्रमण हटाने टीम बनाई और तहसीलदार से सदर पटवारी की ड्यूटी लगाने हेतु पत्र लिखा तो तहसीलदार ने सहयोग करने की बजाय अवकाश के दिन सी.एम.ओ को पत्र भेजकर अपने ही पूर्व आदेश को निष्प्रभावी कर दिया और अतिक्रमणकर्ता के प्रति बेजा मेहरबान होकर नगरपालिका के संबंधित अधिकारी/कर्मचारियो को व्यक्तिगत फोन करके अतिक्रमण न हटाने की हिदायते दे दी। कुछ जन वरिष्ठ प्रतिनिधि और नागरिकों के अनुरोध पर आगामी तिथि पर अतिक्रमण हटाने मे राजस्व अमले के सहयोग करने की सहमति दे दी गई लेकिन 14 जून को नगरपालिका पन्ना ने पुनः अतिक्रमण हटाने हेतु 17 जून तिथि तय कर पटवारी व राजस्व निरीक्षक की ड्यूटी लगाने का पत्र तहसीलदार को लिखा तो तहसीलदार ने किसी राजस्व स्टाफ की ड्यूटी नहीं लगाई। और नगरपालिका के जनहित की सुरक्षा की कार्यवाही को विफल कर दिया गया। आम चर्चा है कि इस पूरे नियोजित गैर कानूनी घटनाक्रम में भारी भ्रष्टाचार की दम पर तहसीलदार आम जनता के हितो को अपूरणीय क्षति पहुँचाने पर आमादा है।