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ठेकेदार्र ब्लैक लिस्टेड तो बदल गया योजना का स्वरूप, जीआइएस पॉवर ग्रिड को कर दिया जनरल सब स्टेशन
मयंक शर्मा
खंडवा २२ अक्टूबर ;अभी तक; मप्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा इंटीग्रेटेड पॉवर डेवलपर्स स्कीम के तहत शहर में दो नए ग्रिड का निर्माण किया जा रहा है। कोरोना काल में इस योजना का भूमि पूजन हुआ था तब गैस इंसुलेटेड पॉवर सब स्टेशन (जीआइएस) ग्रिड बनना थी। भूमिपूजन के बाद ठेकेदार कंपनी ने रूचि नहीं दिखाई और साल भर में पूरा होने वाला काम तीन साल बाद भी नहीं हो पाया। ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड कर अब योजना का स्वरूप बदलकर जनरल पॉवर ग्रिड का निर्माण किया जा रहा है।
कार्यपालन यंत्री दिलीप बुके, ने बताया कि विद्युत वितरण कंपनी द्वारा 33/11 केवी के दो पॉवर ग्रिड का निर्माण स्टेडियम और एमएलबी स्कूल के पास किया जा रहा है। पहले यहां जीआइएस ग्रिड का निर्माण होना था। यह जिले के पहले जीआइएस ग्रिड होती जिसकी क्षमता 5एमवीए की थी। योजना के तहत सब स्टेशन तक आने वाली 33 केवी की सप्लाय लाइन और 11 केवी की डिस्ट्रिब्यूटर लाइन अंडरग्राउंड यानि जमीन के नीचे होनी थी। जीआइएस ग्रिड में सारे ट्रांसफार्मर आधुनिक किस्म के लगने थे और करीब 5 हजार स्क्वेयर फीट कवर्ड बिल्डिंग में इसका निर्माण किया जाना था। इस योजना से 20 हजार उपभोक्ताओं को फायदा मिलना था।
उन्होने बताया कि जीआइएस ग्रिड बनाने वाले ठेकेदार ने काम नहीं किया, इसके लिए उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। कंपनी की पॉलिसी के तहत योजना ओपन ग्रिड में बदली गई है। इससे बिजली सप्लाय पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। एक से डेढ़ माह में काम पूरा हो जाएगा। दोनों ग्रिड की लागत 4.50 करोड़ रुपए थी। सालभर कोरोना के चलते कोई काम नहीं हो पाया। इसके बाद ठेकेदार कंपनी काम करने ही नहीं आई और विविकं के अधिकारियों ने भी कोई रूचि नहीं दिखाई। अब कंपनी ने इसका काम शुरू कराया, लेकिन पॉलिसी मैटर के चलते योजना का स्वरूप बदल गया। अब यह ओपन ग्रिड के रूप में बनाई जा रही है। यहां मुख्य ग्रिड से 33 केवी की लाइन से बिजली ग्रिड तक पहुंचेगी। उपभोक्ताओं तक 11 केवी की लाइन से बिजली सप्लाय की जाएगी। ग्रिड अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में नए खंबे लगाकर लाइन डाली जा रही है।
कंपनी की पॉलिसी के तहत बदली योजना
जीआइएस ग्रिड बनाने वाले ठेकेदार ने काम नहीं किया, इसके लिए उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। कंपनी की पॉलिसी के तहत योजना ओपन ग्रिड में बदली गई है। इससे बिजली सप्लाय पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। एक से डेढ़ माह में काम पूरा हो जाएगा।ं