कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए विधायकों के टिकट भी होल्ड
मयंक शर्मा
ख्ंडवा १४ अक्टूबर ;अभी तक; खंडवा संसदीय क्षेत्र में कुल 8 सीटे है। 2018 में कांग्रेस ने निर्दलीय मिलाकर 5 और भाजपा ने 3 सीटें (खंडवा, पंधाना, बागली) जीती थी। 2020 में दलबदल के बाद वर्तमान में कांग्रेस के पास दो सीटे है। )
भाजपा ने इनके सामने अंसमजस की स्थिमि खडी कर दी है।इसके अलावा , खंडवा सीट से देवेंद्र वर्मा, पंधाना से राम दोगने, के टिकट डेंजर जोन में होने क खबरो ने इने होश उडा दिये हैं।
विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मालवा-निमाड़ में आदिवासी वोटरों को प्रभावित करने के लिए हर पार्टी भरसक प्रयास कर रही है। पिछले तीन चुनावों की बात करें तो जिस दल ने मालवा-निमाड़ की आदिवासी सीटों पर कब्जा जमाया, उसकी ही सूबे में सरकार बनी है। 2008 में भाजपा ने प्रदेश में आरक्षित 47 में से 29 और 2013 में 31 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन 2018 में भाजपा को इनमें से 16 स्थानों पर ही संतोष करना पड़ा। कांग्रेस ने 30 स्थानों पर सफलता प्राप्त की और इस तरह प्रदेश में सत्ता में लौटी। कांग्रेस अब भी 2018 की पुनरावुत्ति पर निगाहे गडाये हुये है।
उधर कांग्रेस खेमे से खबर है कि रविवार नवरात्रि के पहले दिन कांग्रेस प्रत्याश की पहली लिस्ट जारी करेगी। संभवत संसदीय क्षेत्र की सभी 8 सीटों पर उम्मीदवार तय हो जाएंगे। ऑपरेशन लोटस में 3 विधायक गवां चुकी कांग्रेस ने अब भरोसेमंद प्रत्याशी चुनने के लिए सर्वे कराएं है। वहीं कांग्रेस के 3 विधायक लेने वाली भाजपा में टिकट को लेकर घमासान है। 2920 में भाजपा ने कांग्रेस के 3 विधायकों से इस्तीफा करवाकर चुनाव लड़वाया। इनमें खंडवा संसदीय क्षेत्र के मांधाता से नारायण पटेल और नेपानगर से सुमित्रा कास्डेकर व बड़वाह विधायक सचिन बिरला शामिल है। तीनों विधायक पूर्व पीसीसी चीफ अरूण यादव के समर्थक थे लेकिन अब इनकी पुन‘ उम्मीदवारी पर भाजपा में संकट के बादल है।
मांधाता में राजपूत और गुर्जर वोट निर्णायक होते है। 2018 में कांग्रेस ने गुर्जर समाज के नारायण पटेल को टिकट दिया था। भाजपा ने नरेंद्रसिंह तोमर को मैदान में उतारा था। मुकाबला इतना जोरदार था कि तोमर को महज 1200 वोट से हार का सामना करना पड़ा। इधर, भाजपा यदि पटेल का टिकट काटती है तो गुर्जर समाज में पटेल के अलावा कोई विकल्प नहीं है। बाकी कांग्रेस ने इस बार लोकसभा उपचुनाव लड़े राजनारायणसिंह पुरनी को मैदान में उतारने के संकेत दे दिए है। राजनारायणसिंह मांधाता से पूर्व में दो बार विधायक रह चुके है। अब भाजपा राजपूत समाज में ही मजबूत प्रत्याशी तलाश रही है।उसके पूर्व विधायक लोकेन्द्र सिंह दुनिया छोड चुके है।
बड़वाह सीट पर भाजपा के संभावित प्रत्याशी सचिन बिरला है। कांग्रेस के सर्वे में यहां नरेंद्र पटेल है, जो बिरला की तरह गुर्जर समाज से आते है। पूर्व सांसद ताराचंद पटेल के भतीजे है। अरूण यादव के खास समर्थक है, जैसे सचिन बिरला थे। भाजपा-कांग्रेस के यह दोनों संभावित प्रत्याशी गुर्जर समाज से है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस के सचिन बिरला के सामने भाजपा ने 3 बार के विधायक राजपूत समाज के हितेंद्रसिंह सोलंकी को उतारा था।करण
, अन्य सीटों पर बात करें तो मांधाता, बड़वाह के बाद बुरहानपुर सामान्य सीट है। यहां भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस और कांग्रेस में निर्दलीय विधायक सुरेंद्रसिंह शेरा संभावित प्रत्याशी है। 2018 में भी दोनों आमने-सामने थे। इस बार शेरा कांग्रेस के टिकट पर लड़ेंगे। खंडवा सीट पर 3 बार के विधायक देवेंद्र वर्मा पर पार्टी फिर से दांव लगाने पर संकोच है। फिलहाल डैजर झोन में है। यहां वर्मा का विरोध है। कांग्रेस फिर से 2018 के कुंदन मालवीय को उतारना चाहती है।खंडवा संसदीय क्षेत्र की आदिवासी सीट पंधाना पर भाजपा में घमासान है। भाजपा यहां जाति, परंपरा और दलबदल में उलझकर रह गई है। भाजपा की परपंरा है कि यहां हर चुनाव में प्रत्याशी बदलती है। कांग्रेस से 2018 की प्रत्याशी रही छाया मोरे ने भाजपा ज्वाइन कर ली है। वो भोपाल, दिल्ली की बजाय क्षेत्र में सक्रिय होकर बैठकें और प्रचार कर रही है। वहीं भाजपा का संगठन चाहता है कि विधायक राम दांगोरे को वापस टिकट मिले। छाया मोरे को बाहरी बताया जा रहा है, टिकट पैनल में शामिल शैलेंद्र जलोदिया को लेकर कहा जा रहा है कि वो भिलाला समाज है। पंधाना सीट पर भील समाज बाहुल्य है। कांग्रेस रूपाली बारे को टिकट दे देगी।
सीट विधायक जीत का अंतर
खंडवा देवेंद्र वर्मा 19 हजार 137
पंधाना राम दांगोरे 23 हजार 750
मांधाता नारायण पटेल 1 हजार 236
बड़वाह सचिन बिरला 30 हजार 508
भीकनगांव झूमा सोलंकी 27 हजार 257
बुरहानपुर सुरेंद्रसिंह शेरा 5 हजार 120
नेपानगर सुमित्रा कास्डेकर 01 हजार 264
बागली पहाड़सिंह कन्नौज े 11 हजार 843
( खंडवा संसदीय क्षेत्र में कुल 8 सीटे है। 2018 में कांग्रेस ने निर्दलीय मिलाकर 5 और भाजपा ने 3 सीटें (खंडवा, पंधाना, बागली) जीती थी। 2020 में दलबदल के बाद वर्तमान में कांग्रेस के पास दो सीटे है। )