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रेल सफर का वंदे भारत ने बदला अंदाज, जल्द आने वाला है इसका नया अवतार
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर , नई दिल्लीः ;अभी तक ; – अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाओं से लैस वंदे भारत एक्सप्रेस विगत कुछ वर्षों में ही ना सिर्फ रेलवे की, बल्कि बदलते भारत की भी नई पहचान बन चुकी है। 15 फरवरी, 2019 को भारतीय रेल का मेक-इन-इंडिया प्रयास सेमी-हाईस्पीड वाली वंदे भारत एक्सप्रेस के रूप में साकार हुआ था। पहली बार दिल्ली से वाराणसी के बीच शुरू हुई वंदे भारत एक्सप्रेस आज 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में दौड़ती हुई 284 से ज्यादा जिलों को जोड़ रही है। वंदे भारत एक्सप्रेस रेल यात्रियों की पहली पसंद बनकर उभरी है। खासकर, युवा वंदे भारत ट्रेनों से यात्रा करना काफी पसंद कर रहे हैं।
वंदे भारत ट्रेनों की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक साढ़े तीन करोड़ से अधिक लोग इससे यात्रा कर चुके हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस में हवाई यात्रा जैसी सुविधाएं हैं और अन्य ट्रेनों की अपेक्षा इसकी गति भी बहुत तेज है। कोच में बड़ा हिस्सा पारदर्शी कांच का बना हुआ है, जिससे यात्री सफर के दौरान बाहर के सुंदर नजारे का भी आनंद उठा रहे हैं। यही वजह है कि लोग वंदे भारत एक्सप्रेस से यात्रा करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। एक तरह से वंदे भारत एक्सप्रेस विकास, आधुनिकता, स्थिरता और आत्मनिर्भरता का पर्याय बन गई है।
रेलवे बहुत जल्द ला रहा है वंदे भारत एक्सप्रेस का स्लीपर वर्जनः
वंदे भारत एक्सप्रेस की लोकप्रियता और डिमांड को देखते हुए रेलवे बहुत जल्द इसका स्लीपर वर्जन ला रहा है। वंदे भारत एक्सप्रेस की तरह वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का निर्माण भी स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। कम से कम खर्च में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप यात्री सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान करने के मामले में वंदे भारत एक्सप्रेस वैश्विक रेल कारोबार में एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखती है। वंदे भारत स्लीपर ट्रेन में यात्रियों की सुरक्षा के साथ-साथ लोको पायलट और अटेंडेट्स की सुविधाओं का भी पूरा ध्यान रखा गया है। लोको कैब को और आरामदायक बनाने के साथ ही ट्रेन को कवच प्रणाली से लैस किया गया है। वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का डिजाइन और इसका इंटीरियर काफी आकर्षक है। इसमें विश्वस्तरीय यात्री सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें अधिकतम 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से दौड़ सकती हैं। यह ऑस्टेनिटिक स्टेनलेस स्टील ट्रेनसेट है, जिसमें यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा का विशेष ख्याल रखा गया है। एरोडायनामिक बाहरी लुक, मॉड्यूलर पेंट्री, दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष बर्थ और शौचालय, स्वचालित बाहरी दरवाजे, सेंसर आधारित इंटर कम्युनिकेशन डोर, एर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन की गई गंध रहित शौचालय प्रणाली, लोको पायलट के लिए शौचालय, सार्वजनिक घोषणा और दृश्य सूचना प्रणाली, सामान रखने के लिए बड़ा लगेज रूम, यूएसबी चार्जिंग की व्यवस्था के साथ ही रीडिंग लाइट, सार्वजनिक घोषणा और विजुअल इन्फॉर्मेशन प्रणाली, इनसाइड डिस्प्ले पैनल और सिक्योरिटी कैमरे व मॉड्यूलर पैंट्री की सुविधा है। इसके अतिरिक्त, फर्स्ट एसी डिब्बे में यात्रियों के लिए गर्म पानी के शॉवर की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का ट्रायल जल्द शुरू होने वाला है और इसके पश्चात इस ट्रेन का देश के विभिन्न रेल मार्गों पर परिचालन शुरू किया जाएगा। इस ट्रेन से भारत में लंबी दूरी की रेल यात्रा में क्रांति आने की उम्मीद है। वंदे भारत स्लीपर ट्रेन आरामदायक यात्रा, सुरक्षा और दक्षता के मामले में एक नया मानक स्थापित करेगी।
महानगरों में बढ़ती भीड़भाड़ और यातायात दबाव को देखते हुए वंदे मेट्रो चलाने का भी फैसलाः
खास बात ये है कि रेलवे ने बड़े महानगरों में बढ़ती भीड़भाड़ और यातायात दबाव को देखते हुए लोगों की सहूलियत के लिए वंदे मेट्रो चलाने का भी फैसला किया है। यानी आने वाले समय में वंदे भारत एक्सप्रेस और वंदे भारत का स्लीपर ट्रेनें एक तरफ लंबी दूरी की यात्रा को आसान और आरामदायक बनाकर रेलवे ट्रैकों पर दौड़ते हुए नजर आएंगी। वहीं, वंदे मेट्रो शहरों में कामकाजी लोगों, नौकरीपेशा लोगों की दिनभर की भागदौड़ भरी राह को आसान और सुविधाजनक बनाएगी। वंदे भारत की तर्ज पर स्वदेशी रूप से निर्मित विश्वस्तरीय वंदे मेट्रो समाज के सभी वर्गों की यात्रा को आरामदायक और सुलभ बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। वंदे मेट्रो 150-200 किलोमीटर की सीमा में शहरों और कस्बों को निर्बाध रूप से जोड़ सकती है। वंदे मेट्रो रेक के लिए स्पीड ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है।