प.पू.आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की अंतरराष्ट्रीय श्रद्धांजलि सभा पूरे विश्व सहित मंदसौर में हुई संपन्न

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर २६ फरवरी ;अभी तक;  समाधिस्थ आचार्य श्री विद्यासागरजी महामुनिराज के शिष्य प.पू. मुनिश्री विमलसागरजी, प.पू. मुनिश्री अनंतसागरजी, प.पू. मुनिश्री धर्मसागरजी एवं प.पू. मुनिश्री भावसागरजी महाराज के सानिध्य में 25 फरवरी को ’प.पू.आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की अंतराष्ट्रीय श्रृद्धांजलि सभा पूरे विश्व सहित मंदसौर के गुरुद्वारा रोड़ स्थित श्री श्रेयांसनाथ मंदिर सभागृह,  में भी संपन्न हुई।
                                                इस अवसर पर कार्यक्रम के प्रारंभ में आचार्य श्री के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन सभी अतिथियों ने किया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री भावसागर महाराज जी ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने कई बार 44 घंटे तक ध्यान लगाया था, वह शमशान में भी ध्यान लगाते थे, उनके दर्शन करने देश के प्रमुख लोग आते थे, उन्होंने 135 गौशालाओं के माध्यम से गायों की रक्षा की, इंडिया नहीं भारत बोलने पर जोर देते थे, हिंदी भाषा को महत्व देते थे, हथकरघा के माध्यम से कैदियों को रोजगार दिया, उनकी उम्र 77 वर्ष 4 माह थी। मुनिश्री ने कहा कि उन्होंने मृत्यु को महोत्सव बनाया, उन्होंने बिना जल, भोजन के लगातार 9 उपवास किए थे।
मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की साधना अनूठी साधना थी, गुरुदेव कहते थे कि तत्वचर्चा के माध्यम से समता आती है, उनको रोग के कारण भी विषमता नहीं आती थी।
मुनि श्री विमलसागरजी महाराज ने कहा कि वह विश्व के संत थे, उनकी गुरूता का कोई पार नही था, वह इस युग के महातीर्थ थे, उनके दर्शन से लोगो के रोम रोम पुलकित हो जाते थे, वह बहुत सारे तीर्थ बना कर गए है, पूज्य समयसागर जी महाराज को पद सौप कर गए है, जिन्होंने गुरु के गुणों को आत्मसात कर लिया है, बड़े भाई पिता तुल्य हुआ करते है, गुरुदेव हमारे ह््रदय में बैठे हुए है, हम लोग प्रति समय गुरु को विनयांजलि प्रदान करते रहेंगे आचार्य श्री गाय को बहुत महत्व देते थे, गाय के अभय दान का पुण्य भारी होता है, इस देश की रीढ गाय है, गुरुदेव की यश पताका फहराती रहे, वह समता के साथ विदा हो गए।
भानपुरा शंकराचार्य श्री ज्ञानानंदजी ने कहा कि विश्व के महान तपस्वी की हानि हुई है, युगो-युगों में ऐसे विद्यासागर आते है, वे सदैव अंतरिक्ष में रहेंगे, उनकी वाणी सदैव रहेगी।
मंदसौर लोक सभा सांसद श्री सुधीर गुप्ता ने कहा कि अपने परिवार और संसदीय क्षेत्र की ओर से विनयांजलि अर्पित करता हूॅ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जब विनयांजलि दी थी में भी वहां मौजूद था, देश के लिए उन्होंने बहुत कुछ दिशा निर्देश दिए थे, कन्नड़ भाषी होते हुए भी उन्होंने बहुत से कार्य किए है। राज्यसभा सांसद श्री बंसीलाल गुर्जर ने कहा कि निश्चित ही उनका जीवन सभी के कल्याण के लिए था, पूज्य श्री अपने बारे में कठोर थे, लोगो का जीवन सुखमय बने उसके लिए वह प्रयासरत थे, प्रधानमंत्री जी का 2 मिनट के लिए गला रूंध गया था उनको याद करते समय, ऐसी महान हस्ती का हमारे बीच से जाना हमारे लिए क्षति है। मंदसौर विधायक विपिन जैन ने कहा कि पूरा देश आपको मानता था, मंदसौर समाज की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। सकल जैन समाज मंदसौर अध्यक्ष प्रदीप कीमती ने कहा कि गुरुजी के बारे में जो कहा जाए वह कम है। सकल जैन समाज मंदसौर संयोजक सुरेंद्र लोढ़ा ने कहा कि आचार्य श्री कीर्ति पटल पर साधना करने वाले थे वह प्रज्ञा, प्रतिभा, प्रभाव में अग्रणी थे। इस अवसर पर गच्छाधिपति दौलतसागरजी म.सा. को भी श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन किया गया । मंगलाचरण सुश्री मीनू गांधी के किया। आचार्य श्री का जीवन परिचय श्रीमती रश्मि सिंघई ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन सुनील तलेरा, गोपी अग्रवाल, दिलीप रांका ने किया।
इस कार्यक्रम में यह मौजूद रहे- शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंदजी, सांसद सुधीर गुप्ता, राज्यसभा सांसद बंशीलाल गुर्जर, विधायक मंदसौर विपिन जैन, पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया, नगरपालिका अध्यक्ष रामादेवी गुर्जर, सकल जैन समाज अध्यक्ष प्रदीप कीमती, कार्यकारी अध्यक्ष नरेंद्र मेहता, संयोजक सुरेंद्र लोढ़ा, उप संयोजक अशोक मारू, अरविंद मेहता, महामंत्री सुनील तलेरा, गोपी अग्रवाल, दिलीप रांका, नंदकिशोर अग्रवाल, विजय सुराना, अनिल कियावत, राजेंद्र अग्रवाल, संजय मुरडीया, प्रमेंद्र चौरडिया, आदिश गर्ग, विजेंद्र सेठी, शांतिलाल बड़जात्या, दीपक भूता, डॉ. आर.डी.जैन, डॉ. वीरेंद्र गांधी, डॉ. मनसुख गांधी, डॉ. संजय गांधी, मुकेश सिंघई, रमेशचंद्र डॉलर, गजेंद्र हिंगड़, प. अरविंद जैन, प. आनंद जैन शास्त्री, जय कुमार बड़जात्या, संदीप जैन के साथ घाटोल, निंबाहेड़ा राजस्थान आदि स्थानों से बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।