महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ४ मई ;अभी तक ; अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ग्रीष्म काव्य गोष्ठी कवि एवं गीतकार श्री वैभव वंदन दिल्ली के मुख्य अतिथि एवं श्री देवेश्वर जोशी की अध्यक्षता तथा पूर्व प्राचार्य बी आर नलवाया, लता मंगेशकर संगीत महाविद्यालय जन भागीदारी अध्यक्ष नरेंद्र त्रिवेदी, निर्माता निर्देशक मनी शामगढ़ वाला, दशपुर रंगमंच के श्री अभय मेहता एवं श्रीमती ललिता मेहता, श्री अजय डांगी, श्रीमती चंदा डांगी, श्री नरेंद्र रानावत, प्रकाश कल्याणी, श्री हेमंत कच्छावा के सानिध्य में संपन्न हुई।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि वैभव वंदन का स्वागत सभी ने पुष्पहारों से किया और उनका जन्म दिवस की बधाई दी। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। काव्य पाठ करते हुए गोपाल बैरागी ने चैत्र, वैशाख ज्येठ माह की सुंदरता का वर्णन अपने गीतों में किया। नरेंद्र राणावत ने गीत ‘‘कोयल तेरी कुक जगावे हुक’’ सुनाया। श्री अजय डांगी ने कविता ‘‘मैं खुद को पहचान लूं तब मुझे पहचानना जरूरी नहीं’’ सुनाई। श्रीमती चंदा डांगी ने पहलगाम हमले में मारे गए निर्दोष लोगों का दर्द बयां करती हुई कविता ‘‘जहां प्रकृति का नजारा वहां पहचान पूछ कर मारा’’ सुनाई।
नंदकिशोर राठौर ने गीत ‘‘क्या दोष हमारा है क्यों हमको मारा है‘‘ सुनाया। नरेंद्र भावसार ने महिलाओं पर कविता ‘‘रणांगण में उतरी नारियां पुरुष कर रहे जोहर की तैयारी’’ सुनाई।
मुख्य अतिथि के रूप में वैभव वंदन ने पहलगाम समस्या पर अपने विचार रखते हुए बताया कि यह सारी समस्या पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के अवैध घुसपैठ के कारण हो रही है इसलिए सरकार को इन पर सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए। इन्होंने घुसपैठ पर गीत ‘‘यह जो घुसपैठ है इन्हें निकालो सही देश घर है मेरा धर्मशाला नहीं’’ सुनाया। मनी शामगढ़ वाला ने भी अपने सुरीले दोहों से सभी का मन मोह लिया। नरेंद्र त्रिवेदी ने देशभक्ति गीत सुनाया।
कार्यक्रम का संचालन नरेंद्र भावसार ने किया एवं आभार नंदकिशोर राठौर ने माना। कार्यक्रम के अंत में पहलगाम में मारे गए निर्दाेषों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई एवं भारत की सरकार से निवेदन किया गया कि निर्दाेषों के दोषियों को बख्शा नहीं जावे एवं इसके संचालित कर्ताओं को पूर्ण रूप से दंडित किया जावे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि वैभव वंदन का स्वागत सभी ने पुष्पहारों से किया और उनका जन्म दिवस की बधाई दी। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। काव्य पाठ करते हुए गोपाल बैरागी ने चैत्र, वैशाख ज्येठ माह की सुंदरता का वर्णन अपने गीतों में किया। नरेंद्र राणावत ने गीत ‘‘कोयल तेरी कुक जगावे हुक’’ सुनाया। श्री अजय डांगी ने कविता ‘‘मैं खुद को पहचान लूं तब मुझे पहचानना जरूरी नहीं’’ सुनाई। श्रीमती चंदा डांगी ने पहलगाम हमले में मारे गए निर्दोष लोगों का दर्द बयां करती हुई कविता ‘‘जहां प्रकृति का नजारा वहां पहचान पूछ कर मारा’’ सुनाई।
नंदकिशोर राठौर ने गीत ‘‘क्या दोष हमारा है क्यों हमको मारा है‘‘ सुनाया। नरेंद्र भावसार ने महिलाओं पर कविता ‘‘रणांगण में उतरी नारियां पुरुष कर रहे जोहर की तैयारी’’ सुनाई।
मुख्य अतिथि के रूप में वैभव वंदन ने पहलगाम समस्या पर अपने विचार रखते हुए बताया कि यह सारी समस्या पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के अवैध घुसपैठ के कारण हो रही है इसलिए सरकार को इन पर सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए। इन्होंने घुसपैठ पर गीत ‘‘यह जो घुसपैठ है इन्हें निकालो सही देश घर है मेरा धर्मशाला नहीं’’ सुनाया। मनी शामगढ़ वाला ने भी अपने सुरीले दोहों से सभी का मन मोह लिया। नरेंद्र त्रिवेदी ने देशभक्ति गीत सुनाया।
कार्यक्रम का संचालन नरेंद्र भावसार ने किया एवं आभार नंदकिशोर राठौर ने माना। कार्यक्रम के अंत में पहलगाम में मारे गए निर्दाेषों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई एवं भारत की सरकार से निवेदन किया गया कि निर्दाेषों के दोषियों को बख्शा नहीं जावे एवं इसके संचालित कर्ताओं को पूर्ण रूप से दंडित किया जावे।