महावीर अग्रवाल
मंदसौर ३१ मार्च ;अभी तक ; अ.भा. साहित्य परिषद मंदसौर इकाई की गुड़ीपड़वा काव्य गोष्ठी एवं सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान समारोह डॉ. दिनेश तिवारी एवं देवेश्वर जोशी के मुख्य आतिथ्य, अ.भा. साहित्य परिषद अध्यक्ष नरेन्द्र भावसार की अध्यक्षता एवं शिक्षा महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. निशा महाराणा, डॉ. अलका अग्रवाल, लता मंगेशकर शा. संगीत महाविद्यालय जनभागीदारी समिति अध्यक्ष नरेन्द्र त्रिवेदी, स्पीक पैके कोआर्डिनेटर श्रीमती चंदा डांगी, वरिष्ठ समाजसेवी अजीजुल्लाह खान, कवि एवं शायर राजेन्द्र तिवारी, कवि गोपाल बैरागी, कवि अजय डांगी, राहुल राठौर, जितेन्द्र प्रतापगढ़ के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर विभिन्न भाषाओं पर साहित्य सृजन करने वाले अंग्रेजी भाषा में डॉ. वीणा सिंह, संस्कृत भाषा में गोपाल पाण्डेय, हिन्दी भाषा में भगवतीप्रसाद गेहलोद, उर्दू भाषा मंे फजल हयात जावरा वाले का सम्मान मोती की माला, शाल, श्रीफल व प्रशस्ति पत्र देकर किया गया।
इस अवसर पर डॉ. वीणासिंह ने कहा कि अ.भा. साहित्य परिषद ने सर्वभाषा साहित्यकारों का सम्मान कर भाषा के नाम पर होने वाली वैमनस्यता को कम कर भाषायी समरसता को बढ़ाया जो देश के लिये आज के परिप्रेक्ष्य में बहुत जरूरी है।
श्री गेहलोद ने कहा कि भाषा भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम होती है। जिसके माध्यम से हम भावों के विभिन्न विधाओं को समझते और व्यक्त करते है।
श्री गेहलोद ने कहा कि भाषा भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम होती है। जिसके माध्यम से हम भावों के विभिन्न विधाओं को समझते और व्यक्त करते है।
कार्यक्रम के आरंभ अतिथियों द्वारा मॉ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन तथा राठौर के सरस्वती वंदना से हुआ। अतिथियों का स्वागत मोतियों की माला से किया गया। श्रीमती चंदा डांगी ने नीम मिश्री एवं काली मिर्च खिलाकर सभी को नववर्ष की शुभकामना प्रदान की।
कार्यक्रम में सभी साहित्यकारों ने काव्यपाठ भी किया। फजल हयात ने शेर शायरी से खूब दाद बटोरी ‘‘ये जुगनू देखिये, छोटा बहुत है, अंधेरों से मगर लड़ता बहुत है।’ गोपाल पाण्डेय ने संस्कृत में गीत सुनाकर सबको अचम्भे में डाल दिया। आपने राम पर गीत सुनाकर माहौल राममय कर दिया। श्री गेहलोद ने नववर्ष कविता ‘‘आओ नववर्ष में संकल्प ऐसा करें’’ सुनाई। अजय डांगी ने ‘‘बची हुई सासों का अब मैं क्या करूं’’ सुनाई। गोपाल बैरागी ने ‘‘दवा अगर असर करती तो मरता नहीं हकीम’’, डॉ. अलका अग्रवाल ने ‘‘लाल बाल पाल की कुर्बानी’’, राजेन्द्र तिवारी ने ‘‘वर्ष दिन महिने प्रहर समय चक्र चलना’’, डॉ. निशा महाराणा ने ‘‘पीहर से निकलो तो देर तो हो जाती है’’, राहुल राठौर ने ‘‘एक राग में सब मिलकर प्रेम बसंत गाएंगे’’, चंदा डांगी ने ‘‘सूरज ने ली अंगड़ाई’’ सुनाई। कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र त्रिवेदी ने किया एवं आभार नरेन्द्र भावसार ने माना।