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    एक ही दीवार से सटे राम मंदिर और मस्जिद साम्प्रदायिक सद्भावना की अनूठी मिसाल बनकर और अमन और शांति का पैगाम दे रहे

    आनंद ताम्रकार

    बालाघाट 5 अप्रैल ;अभी तक ;  जिले के वारासिवनी अनुविभागीय मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर रामपायली ग्राम स्थित भगवान राम का मंदिर और जामा मस्जिद के बीच एक दीवार है जिसकी बुनियाद पर दोनों इमारतें बनाई गई है। दीवार से सटे एक ओर मंदिर में भगवान श्रीराम सहित श्री बालाजी,श्री गणेश जी एवं श्री हनुमान जी की स्थापित है तो दूसरी ओर जामा मस्जिद की इमारत है। ऐसी सामाजिक और धार्मिक सौहार्द की मिसाल आसपास के क्षेत्र में कहीं दिखाई नही देती।

                                      चंदन नदी के तट पर बसे रामपायली का नाम पूर्व में राम पदावली था।  इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में किया गया है। पौराणिक संदर्भो के अनुसार 14 वर्ष की वनवास यात्रा के दौरान भगवान श्रीराम लक्ष्मण जी और सीता जी के साथ रामपायली होते हुए रामटेक के ओर प्रस्थान किये थे।  राम वन गमन पथ में भी रामपायली का उल्लेख है।

                                  कहा जाता है की यात्रा के दौरान भगवान श्रीराम ने मंदिर में चंदन नदी से बालू लाकर भगवान शिव के पिण्ड का निर्माण किया था जो अभी तक यथावत है इसी पिण्ड का नित्यप्रतीत पूजन अभिषेक भक्तों द्वारा किया जाता है। मंदिर का वास्तु शिल्प किलानुमा है तथा इसमें बने झरोखों से सूर्योदय के समय पहली किरण भगवान श्री शिव के पिण्ड पर पडती है।

                                भगवान श्रीराम का यह अनूठा मंदिर इस क्षेत्रवासियों के लिए आस्था का प्रमुख केन्द्र है इस मंदिर का निर्माण नागपुर के महाराजा भोसले के पूर्वजों द्वारा बनाया गया है किले के बुर्ज अभी भी वैसे ही दिखाई देते है। मंदिर के नीचे चंदन नदी के तट पर लंगड़े श्री हनुमान जी का मंदिर है जिनके बारे में कहा जाता है की श्री हनुमान जी का एक पैर तो स्पष्ट दिखाई देता है लेकिन दूसरे पैर की गहराई का पता नही चलता बताते है वह पाताल तक पहुंचा है।

                               भगवान श्री रामचंद्र जी के इस मंदिर से जुड़ी सबसे अनोखी बात यह है की भगवान श्री रामचंद्र जी के जन्मोत्सव रामनवमी पर्व पर भगवान जी को जो नये वस्त्र चढाये जाते है उन वस्त्रों की सिलाई मुस्लिम समाज से जुड़े जनाब आशिक अली द्वारा कि जाती है भगवान के लिये वस्त्र सिलने का यह सिलसिला इनकी पिछली 5 पीढ़ियों द्वारा चलाया जा रहा है।

    जनाब आशिक अली ने बताया की भगवान श्री राम के पति उनके मन में अगाध श्रद्धा है रामनवमी के पर्व पर उनका पूरा परिवार उपवास रखता है और मंदिर में पूजन आरती के पश्चात वे उपवास तोडते है।
    इतना ही नहीं भगवान राम की संध्या आरती का समय और शाम की नमाज का वक्त 8 बजे का होता है जब भगवान की आरती के साथ साथ नमाज की अजान के स्वर एक साथ गुजायमान होते सुनाई देते है।

    प्रकृति के इस नायाब करिश्में की चर्चा दूर दूर तक होती है की एक ही दीवार से सटे राम मंदिर और मस्जिद साम्प्रदायिक सद्भावना की अनूठी मिसाल बनकर और अमन और शांति का पैगाम दे रहे है।

    रामपायली ग्राम पंचायत क्षेत्र है यहां आजतक किसी भी प्रकार का विद्ववेष हिन्दू मुसलमानों के बीच नहीं हुआ और आपस में नायाब भाईचारा बना हुआ है। एक दूसरे के तीज त्योहारों पर तहे दिल से शरीक होते है।
    रामनवमी के पर्व पर क्या हिन्दू क्या मुसलमान दोनों मिलकर भगवान श्रीराम की आराधना में तल्लीन दिखाई देते है।

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