आनंद ताम्रकार
बालाघाट ४ फरवरी ;अभी तक ; बालाघाट जिले के 114 राईस मिलर्स ने कस्टम मिलिंग के लिये अनुबंध किया है। इनमें लगभग 16 उष्णा मिल भी शामिल है।
कस्टम मिलिंग के लिये जिन राईस मिलर्स ने धान प्राप्त की है उसे मिल परिसर में भंडारित करने की बजाय सीमावर्ती महाराष्ट्र राज्य में ले जाकर बेच दी और धान के एवज में अन्य प्रांतों से राशन में प्रदाय किये जाने वाला पुराना चावल रीसाइक्लिंग कर प्रदाय कर रहे है यह गौरखधंधा वर्षो से चला आ रहा है और इस वर्ष भी धड़ल्ले से चल रहा है।
इतना ही नहीं जिले की उष्णा मिलों से भी अनुबंध किया गया है और उन्हें भी कस्टम मिलिंग के लिये धान प्रदाय की गई है। प्रदाय की गई धान से उष्णा चावल बनाकर खुले बाजार में बेच रहे है और रिसाइकिल किया जाने वाला चावल कस्टम मिलिंग के नाम पर प्रदान कर रहे है।
अनुबंध पत्र में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है की प्रदाय की गई धान और उससे बनाये गये चावल की प्रक्रिया और चावल की मात्रा का भौतिक सत्यापन कलेक्टर, जिला खादय अधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी द्वारा मिल परिसर में जाकर किया जायेगा।
इस आधार पर कलेक्टर बालाघाट द्वारा जिले अनुविभागीय अधिकारियों को जांच दल बनाकर अनुबंधित राइस मिल परिसर में जाकर धान एवं चावल की मात्रा का भौतिक सत्यापन करने के निर्देश लेकिन राइस मिलर्स और राजनेताओं के दबाव में आकर भौतिक सत्यापन करने का आदेश ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
जिले में कस्टम मिलिंग के चावल खरीदी का कार्य एक निजी एजेंसी से कराया जा रहा है। निजी एजेंसी द्वारा आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से नियुक्त गुणवत्ता निरीक्षकों को चावल की केमिकल जांच कर खरीदी के निर्देश है लेकिन गुणवत्ता निरीक्षक चावल का लाट पास करने के लिये प्रति लाट 5 हजार रुपये की राशि बतौर कमीशन वसूली जा रही है और राइस मिलर्स द्वारा प्रदाय किये गये पुराने चावल को जांच किये बिना ही कस्टम मिलिंग में खपाया जा रहा है। जिन उष्णा मिलों को धान प्रदाय की गई है वे उसका उष्णा चावल बना रहे है और बाहर से लाकर पुराना अरवा चावल प्रदाय कर रहे है।
आज तक किसी भी अधिकारी ने अनुबंधित उष्णा मिलों में जाकर धान से चावल बनाने की प्रक्रिया का भौतिक सत्यापन ही नही किया। जिन राइस मिलों को धान प्रदाय की गई है उन राइस मिलों में जिन खरीदी केन्द्रों से धान प्रदाय की गई उसका मार्का लगे हुए बोरिया मिल परिसर में भौतिक सत्यापन में मिलना चाहिये लेकिन किसी अधिकारी ने आज तक धान की खाली बोरियों का सत्यापन ही नही किया।
इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिये मिलों में की गई बिजली की खपत,परिवहन पर्ची, तौल नाका पर्ची तथा धान बनाने की प्रक्रिया में बनने वाले धान के भूसी की मात्रा के सत्यापन करने के निर्देश भी फाइलों में बंद है। धान खरीदी की अंतिम तारीख 23 जनवरी की स्थिति 114 मिलर्स को 3478 लाट धान प्रदाय की जा चुकी है जो लगभग 1509452 क्विंटल होती है।
इस प्रकार मिल परिसर में 40 हजार खाली बोरों का स्टॉक इन मिल परिसर में मिलना चाहिए लेकिन ज्यादातर धान कालाबाजार में बेच दिये जाने से खाली बोरों का सत्यापन नहीं हो सकता।
इस प्रकार कलेक्टर बालाघाट के निर्देशों की खुली अवहेलना करते हुए सरकारी धान की कालाबाजारी और कस्टम मिलिंग की आड में पुराने चावल को खपाने का गौरखधंधा बदस्तुर चल रहा है। राइस मिलर्स को इस गोरखधंधे में राजनेताओं का संरक्षण मिला हुआ है। जिसके कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से अच्छी गुणवत्ता का चावल मिलने की बजाय पुराना चावल ही उनकी थाली में पहुंचाया जा रहा है इस पर अंकुश कैसे लगेगा।