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    चरोखर अथवा चरनोई की भूमि पर ना तो खनन का पट्टा दिया जायेगा ना ही खनन पट्टे का नवीनीकरण किया जायेगा

    आनंद ताम्रकार

    बालाघाट १० फरवरी ;अभी तक ; चरोखर अथवा चरनोई की भूमि पर ना तो खनन का पट्टा दिया जायेगा ना ही खनन पट्टे का नवीनीकरण किया जायेगा। अगर इसके बावजूद भी ऐसा किया जाता है तो कानून सम्मत कार्यवाही की जायेगी।

    इस आशय का महत्वपूर्ण निर्णय रजिस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका को निस्तारित करते हुये पारित किया है।

                                      राज समंद निवासी किशन सिंग एवं अन्य की ओर से ग्राम डोगजी का गुड़ा में खसरा नबंर 2,35,94,122,151 एवं 336 को चारागाह की भूमि बताते हुये वहां चल रही खनन गतिविधियों को रोकने और विकल्प के रूप में ग्रामीणों को चरागाह के लिये वैकल्पिक अतिरिक्त भूमि आबंटन किये जाने हेतु जनहित याचिका प्रस्तुत की गई थी। मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल एवं न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ में याचिका पर विस्तृत सुनवाई हुई।
    सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया की अशोक जैन के नाम से 1985 में खनन पट्टा जारी किया गया और उसका अगले 20 के लिये नवीनीकरण भी कर दिया गया था।

                                           माननीय न्यायालय ने याचिका पर विस्तृत सुनवाई के बाद निर्देश दिये है की भविष्य में चारागाह भूमि पर खनन पट्टे का नवीनीकरण नही किया जायेगा और ना ही चारागाह की भूमि पर पट्टा जारी होगा इसके बावजूद सरकार ऐसा करती है तो कानून सम्मत कार्यवाही की जायेगी तथा पट्टा धारक पट्टे के बाहर के क्षेत्र पर खनन नही करेगा यह भी सुनिश्चित किया जाये।

    हाईकोर्ट के इस फैसले के मद्देनजर बालाघाट जिले सहित समूचे प्रदेश में चारागाह की भूमि पर खनन पट्टा की स्वीकृति और पट्टे का नवीनीकरण किये जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। जिला प्रशासन माननीय न्यायालय के फैसले को ताक में रखकर खनिज माफिया की अवैध गतिविधियों को  संरक्षण दे रहा है।

    ताजा मामला बालाघाट जिले का है जहां कटंगी अनुविभाग की तिरोड़ी तहसील के पौनिया ग्राम में सुखदेव प्रसाद गोयनका को चरोखर की भूमि पर मैंगनीज उत्खनन के लिये पट्टा जारी कर दिया गया है। सुखदेव प्रसाद गोयनका ने स्वीकृत लीज क्षेत्र पर खनन करने के अलावा दुलीराम,सालिकराम पिता गंगाराम जाति पवार की पैतृक भूमि खसरा नंबर 561/1, 562/1,566/1 रकबा 1.328 हेक्टेयर भूमि पर अनाधिकृत रूप से कब्जा कर रकबा 500 करोड़ रुपये की मैगनीज का उत्खनन कर शासन की अनुमति प्राप्त किये बिना तथा रायल्टी तथा जीएसटी की राशि जमा कराये बिना बेच दी। इसके एवज में पीडित किसान को मुआयजें के तौर 1 रूपये भी लीजधारी गोयनका की ओर से नही दिये गये।

    किसान के टेंभरे परिवार उनके साथ किये गये इस अन्याय के विरोध में आमरण अनशन पर बैठ गये है जो अभी तक जारी है। पीड़ित परिवार के आवेदन पर तहसीलदार के आदेश  पर राजस्व निरीक्षक द्वारा 19/6/2023 को किये गये सीमाकंन प्रतिवेदन में इस बात का उल्लेख किया गया है की टेंभरे परिवार की भूमि पर सुखदेव प्रसाद गोयनका द्वारा कब्जा कर खदान संचालित की जा रही है जिसे फील्ड बुक में प्रदर्शित किया गया है।
    सीमाकंन के समय सुखदेव प्रसाद गोयनका की खदान के मैनेजर मौके पर उपस्थित थे लेकिन सीमांकन रिपोर्ट पर उन्होंने हस्ताक्षर करने इंकार कर दिया था।

    इस तरह इन विसंगतियों के चलते पिडित टेंभरे परिवार पिछले 3 वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा लगा कर हताश हो गया तो फिर उसे आमरण अनशन करने का निर्णय लेना पडा।

    इस प्रकार संवेदनशील प्रशासन और किसानों के हितैषी बताने वाले जनसेवकों  हमदर्दी किसान परिवारों के प्रति दिखाई नहीं दे रही है और वे खनिज माफिया के प्रभाव में किसान परिवार को बार बार फिर से सीमाकंन करने की बात कर रहे है।

    इस संबंध में क्षेत्रीय विधायक श्री गौरव पारधी ने कहा की वे पीडित किसान परिवार के साथ है अगर उनकी कृषि भूमि पर अवैध उत्खनन कर मैगनीज निकाला गया है तो इस कार्य में संलिप्त लोगों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण कायम किये जाने के वे प्रयासरत रत रहेंगे।

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