महावीर अग्रवाल
मंदसौर 5 फरवरी ;अभी तक ; छोटी आटा चक्की से शुरुआत करके एक बड़ा मुकाम हासिल करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है, लेकिन इमरान हुसैन निजामी जो की सोनगरी के रहने वाले हैं। इन्होंने करके दिखाया है।
इमरान कहते हैं कि मैं बचपन से ही छोटी चक्की में आटा पीस रहा हूं। मेरे परिवार वाले भी इसी छोटी चक्की से आटा पीसते थे। इमरान ने आठवीं तक पढ़ाई की है। लेकिन इनका सपना था कि आटा चक्की को लेकर एक बड़ा उद्योग स्थापित करेंगे। इसके लिए इन्होंने उद्यानिकी विभाग से संपर्क किया और विभाग द्वारा जानकारी दी गई कि, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना के माध्यम से लोन मिल सकता है।
योजना के द्वारा इमरान को 25 लाख 56 हजार का लोन मिला। जिस पर 10 लाख रुपए की सब्सिडी अनुदान भी इनको प्राप्त हुआ। अब इन्होंने लोन से लगभग 30 लाख रुपए का उद्योग अपने खेत पर ही स्थापित किया है और वहीं से आधुनिक मशीनों के माध्यम से गेहूं का आटा पीसते हैं।
इनके पास आधुनिक मशीन है। जिसमें डिशटोनर मशीन, स्कूलर मशीन, बदख मशीन, कन्वेयर वाशिंग मशीन, पैकिंग मशीन, रुला मशीन, एलीवेटर मशीन, रिल मशीन, क्लीनिंग मशीन इत्यादि मशीनों के माध्यम से ये गेहूं की ब्रांडिंग, उसकी छटनी, उसकी सफाई, गेहूं को गर्म करना, आटे को ठंडा करना इत्यादि कार्य करते हैं।
उनकी ब्रांड का नाम जेएस गोल्ड है। इनके उद्योग की खास विशेषता यह है कि आटे को पीसने के पश्चात भी आटे के पोषक तत्त्व खत्म नहीं होने देते हैं। पीसते ही आटे को तुरंत मशीन के माध्यम से ठंडा करते हैं। जिससे गेहूं के जो पोषक तत्त्व होते हैं वे खत्म नहीं होते हैं। इसके साथ ही पीसने से पूर्व गेहूं को नमी युक्त मशीनों का माध्यम से किया जाता है। जिससे आटे की गुणवत्ता बनी रहती है।
मशीनों के माध्यम से इमरान एक दिन में 2 टन गेहूं को पीसते हैं और इनका सारा आटा मंदसौर में ही बिक जाता है। मंदसौर के व्यापारी इनके उद्योग से ही आटा खरीद लेते हैं। इनके आटे की बहुत डिमांड रहती है। डिमांड के अनुसार आपूर्ति नहीं कर पाते हैं। ये अन्य लोगों को भी साथ में रोजगार दे रहे हैं। इनको महीने की 70 से 80 हजार रुपए आय प्राप्त हो जाती है और साल की ये 7 से 8 लाख रुपए कमाते हैं।