महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ३ मार्च ;अभी तक ; हम हजारों लीटर पानी प्रतिदिन यूं ही व्यर्थ बहा देते हैं और उसका बड़ा ही नादानी भरा उत्तर दिया जाता है कि अरे, यह पानी तो कल भरा था इसलिए वह आज बासी हो गया है । अब यह उपयोग में लाने योग्य नहीं बचा है । आखिर हमारी सोच को क्या हो गया है ? जो जल नलों के माध्यम से हमारे घरों में आता है वह नदी, तालाब या कुओं के माध्यम से आता है और यही जल नदी, तालाब या कुओं में वर्ष में एक बार वर्षा ऋतु में एकत्रित होता है व उसी को हम वर्ष भर पीते हैं । नदी व तालाब में पानी का प्रतिदिन उत्पादन नहीं होता है । इसलिए यह स्पष्ट है कि पानी बासी नहीं होता है । विनम्र निवेदन है कि यदि आपके यहां मटके में पानी बचा है तो उसे उपयोग में लाएं उसे ढोले नहीं । हम सब मिलकर जल बचाएं – जीवन बचाएं के अनमोल विचार को सार्थक बनाएं ।
उक्त बात समाजसेवी रामचंद्र रैकवार ने कही । वे अनुराग संस्था द्वारा प्रत्येक माह के प्रथम रविवार को स्वच्छता, पर्यावरण व जल संवर्धन को लेकर निकाली जाने वाली जनजागरण पदयात्रा के अवसर पर अपनी भावना व्यक्त कर रहे थे ।
अनुराग जनजागरूकता पद यात्रा में प्रकाश गंधर्व, डॉ. देवेंद्र पुराणिक, सिद्धार्थ तंवर, राजाराम तंवर, सत्यनारायण भूरिया, हरिनारायण माथुर, श्रीचंद भावनानी, रमेश सोनी, हरिशंकर शर्मा, इंजी. एस के जैन, बंशीलाल टांक, अजीजुल्लाह खान, राजेश मेडतवाल, मोहनलाल चौधरी, आदि गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया । संचालन गोपालकृष्ण पंचारिया ने किया ।