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    डीएपी खाद का हाहाकार, कौन होगा जिम्मेदार ? अशोक कुमठ ने लिखा कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान को पत्र

    महावीर अग्रवाल

    मंदसौर , पिपलिया स्टेशन १६ मई ;अभी तक ;   मानसून ने अंडमान में दस्तक दे दी है, अतिशीघ्र केरल पहंुचकर आगे बढ़ेगा, लेकिन बुआई के लिए आवश्यक डीएपी खाद दूर-दूर तक दिखाई नही दे रही। डीएपी संकट से मचने वाले हाहाकार के लिए कौन जिम्मेदार होगा ? फटि. एसोसिएशन नई दिल्ली के सदस्य पिपलियामंडी निवासी अशोक कुमठ ने डीएपी संकट से किसानों को आने वाली परेशानी से निजात के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान को पत्र लिखा है।

    कुमठ ने बताया फसल के लिए आवश्यक तीन तत्वों नाइट्रोजन, फोस्फोरस व पोटाश में बुवाई के पूर्व लगने वाले फास्टेट की पूर्ति डीएपी (18ः46ः0) से होती है, इसकी सुगम उपलब्धता के लिए केन्द्रीय सरकार देश के सभी जिलों में खपत की मात्रा के आधार पर प्रत्येक कंपनी को खाद की मात्रा आवंटित करती है। लेकिन इस बार डीएपी का सप्लाय प्लान गड़बड़ा गया है। इसका मुख्य कारण विदेश में डीएपी के भावों में भारी बढ़ोतरी 600 डॉलर प्रतिटन से बढ़कर 700 डॉलर प्रतिटन हो गया है। देश में करीब 100 लाख टन डीएपी की खपत होती है, जिसमें केवल 48 लाख टन ही देश में उत्पादन होता है। बाकी मात्रा आयात की जाती है। विदेश में भाव बढ़ने से कंपनियों को घाटे का बोझ बढ़ने लगा और वे आयात करने से कतरा रही है। हालांकि कंपनियों को राहत देते हुए भारत सरकार ने 600 रुपए प्रति टन सब्सीडी बढ़ाते हुए 27799 प्रतिटन की है। लेकिन फिर भी वर्तमान दर और सब्सीडी मिलाकर कंपनियों को 1000 रुपए प्रतिटन का घाटा हो रहा है। इसको वहन कौन करे ? घरेलू उत्पादन भी सुगम नही है। कारण इसमें लगने वाले मुख्य कच्चे माल रॉक फास्फेट और फोस्फोटिक एसीड भी आयात होता है। सरकार का यह निर्णय कि किसानों को डीएपी 1350 में ही मिले, इसलिए तत्काल कुछ निर्णय लेना होगा। कंपनियों को पहले की तरह आयात में हो रहे घाटे की क्षतिपूर्ति सरकार करे (अतिरक्ति सब्सीडी दे)। दूसरा डीएपी के विकल्पों पर ध्यान दे। सुपर फास्फेट खाद। जिसका निर्माण पूरा देश में ही होता है, वर्तमान में देश में 120 संयत्र है जो 55 लाख टन का निर्माण कर विक्रय कर रहे है। 400 रुपए प्रति बोरी के मूल्य से इसका उपयोग फोस्फेट खाद की पूर्ति कर सकता है। इसमें सल्फर, जींक भी फसलों को उपलब्ध होगा। इसका प्रयोग बढ़ाने से डीएपी आयात की निर्भरता कम होगी। तीसरा टीएसपी (ट्रिपल सुपर फोस्फेट) का उत्पादन देश में प्रारंभ हो, इसमें डीएपी के समान पोषक तत्व है। इसके उपयोग की प्रेरणा लाभकारी होगी। तीसरा अन्य एनपीके खाद की व्यवस्था 20ः20ः0ः13, 12ः32ः16, 15ः15ः 15, 14ः35ः14 भी डीएपी की कमी को दूर करेंगें। चौथा, मोरक्को से जो 20 लाख मे. टन डीएपी आयात का अनुबंध सरकार ने किया, उसकी समीक्षा हो। किसानों को डीएपी खरीद में अतिरिक्त भार न हो, उन्हें सरकार निर्धारित मूल्य 1350 में ही डीएपी उपलब्ध कराने के लिए बचनबद्ध है। एसी दशा में समयानुसार व्यवस्था ही एक मात्र उपाय है। समय पर खाद नही होने से खरीफ में उत्पादन प्रभावित होगा। जो किसानों के घाटे में एक उत्प्रेरक का कार्य करेगा।

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