महावीर अग्रवाल
मंदसौर १७ अप्रैल ;अभी तक ; शहर का बहुचर्चित तैलिया तालाब एक बार फिर सुर्खियों में है—लेकिन इस बार वजह और भी चौंकाने वाली है। तालाब की डूब क्षेत्र में बिना किसी वैध अनुमति के कॉलोनियों की फसल उगाई जा रही थी, और अब इस अवैध खेल का पर्दाफाश मंदसौर के समाजसेवी प्रदीप गुप्ता ने किया है। शिकायत मिलते ही प्रशासन ने झटपट मोर्चा संभाला और नामचीन कॉलोनाइजर्स को नोटिस थमा दिए।
अपर कलेक्टर एकता जायसवाल की अगुआई में कार्रवाई का बिगुल बज चुका है। जिन पर गाज गिरी है, उनमें गौतम गनेड़ीवाल, मोहन मेघनानी, अभिन तलेरा, लवीन तलेरा और वेदांत गनेड़ीवाल जैसे रसूखदार नाम शामिल हैं। आरोप है कि इन्होंने तालाब की डूब में आने वाले सर्वे नंबर 200 में प्रगति ग्रीन और सर्वे नंबर 123, 124 में यश स्टेट नाम की कॉलोनियां खड़ी कर डालीं—वो भी बिना किसी कानूनी अनुमति के!
प्रदीप गुप्ता ने चिट्ठी में दो टूक लिखा है कि तालाब की सीमाएं तय करने के लिए एक साल पहले नोटिफिकेशन आना था, लेकिन अफसरों की नींद अब तक नहीं टूटी। ये सीधा-सीधा एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाने जैसा है। इतना ही नहीं, 2011 की मंदसौर विकास योजना में जिन क्षेत्रों को जलभराव क्षेत्र माना गया था, उन्हीं जगहों पर कॉलोनियां बना दी गईं। यानी जिन जमीनों पर पानी बहना था, वहाँ अब दीवारें खड़ी हो गईं!
प्रदीप गुप्ता ने सीधा संदेश दिया है—तालाब की रक्षा होनी चाहिए! उनकी मांग है कि तालाब की सीमाएं तय कर जल्द से जल्द नोटिफिकेशन निकाला जाए, चारों ओर तारबंदी हो, पेड़ लगाए जाएं और कोई भी अतिक्रमण, मिट्टी भराव या प्रदूषण बर्दाश्त न किया जाए। साथ ही डूब क्षेत्र में दी गई सभी कॉलोनी अनुमतियों को तत्काल रद्द किया जाए।
अब सबकी निगाहें जिला प्रशासन पर टिकी हैं—क्या ये कार्रवाई सिर्फ नोटिसों तक सीमित रहेगी या वाकई बुलडोजर चलेगा?
फिलहाल इतना तय है—तैलिया तालाब का मामला अब सिर्फ पानी का नहीं, पसीने और सियासत का बन चुका है ।